आतंकवाद के मुद्दे पर चीन की दोहरी नीति एक फिर दुनिया भर के सामने खुलकर सामने आ गया है. चीन ने आज यानि गुरुवार को इस्लामाबाद के राज्य प्रायोजित आतंक को एक बार फिर समर्थन प्रदान किया है. चीन की वजह से सयुंक्त राष्ट्र में लश्कर के आतंकी अब्दुल रहमान मकी को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के भारत और अमेरिका का प्रस्ताव पारित नहीं हो सका. मकी को भारत और अमेरिका ने पहले ही अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कर रखा है. यह पहली बार नहीं है कि चीन ने ऐसा किया है, इसके पहले जैश ए मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर पर यूएन का प्रतिबंध लगाने की भारत की कोशिशों पर भी चीन तकरीबन दो वर्षों तक रोड़ा डालता रहा. यह भी उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले ही ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में आतंकवाद का मुद्दा उठा था और चीन ने इसमें दूसरे सदस्यों के साथ मिल कर आतंकवाद के खिलाफ सहयोग का वादा किया था.
विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि भारत और अमेरिका ने एक जून, 2022 को संयुक्त तौर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के तहत गठित अल-कायद व आइएसआइएल प्रतिबंध समिति के तहत यूएनएससी 1267 समिति की तरफ से अब्दुल मकी को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव पेश किया था. अब्दुल रहमान मकी लश्कर ए तैयबा (नया नाम जमात उल दावा) के राजनीति प्रकोष्ठ का मुखिया है. उसने एलईटी के अंतरराष्ट्रीय संबंधों का मुखिया भी है. वह लश्कर के सरगना हाफिज मोहम्मद सईद का करीबी रिश्तेदार भी है.
यह भी पढ़ें: Agnipath Scheme: युवाओं के लिए कितना फायदेमंद? सरकार ने किए ये दावे
मकी मुख्य तौर पर भारत के खिलाफ आतंकियों को तैयार करने, आवश्यक फंडिंग को जुटाने व जम्मू व कश्मीर में आतंकी वारदातों को अंजाम देने से जुड़ा रहा है. लश्कर ए तैयबा ने अभी तक भारत में कई बड़े आतंकी वारदातों को अंजाम दिया है जिसमें वर्ष 2000 का लाल किला हमला, वर्ष 2008 का रामपुर कैंप पर हमला, वर्ष 2018 में बारामुला, श्रीनगर हमला व बांदीपोरा हमले शामिल हैं.
यह भी उल्लेखनीय तथ्य है कि पाकिस्तान सरकार ने वर्ष 2019 में मकी को आतंकी वारदातों को अंजाम देने के जुर्म में गिरफ्तार भी किया था. तब पाकिस्तान पर फाइनेंशिएल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) का दबाव था. बाद में पाकिस्तान की एक कोर्ट ने मकी को आतंकी गतिविधियों को वित्तीय सुविधा देने का दोषी ठहराते हुए सजा भी सुनाई है. लेकिन इसके बावजूद चीन अपने मित्र देश पाकिस्तान को और ज्यादा किरकिरी से बचाने के लिए मकी के खिलाफ लाये गये प्रस्ताव को रद्द करवाने का काम किया है. चीन की तरफ से 16 जून, 2022 को उक्त प्रस्ताव रोकने के लिए तकनीकी वजहों को कारण बताया गया है. जबकि मकी के आतंकी संबंधों के खिलाफ ठोस सबूत हैं. भारत ने चीन के इस कदम को बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है.
यह पहली बार नहीं है जब वैश्विक आतंकवाद का मुकाबला करने पर चीन का पाखंड सामने आया है. अतीत में कई मौकों पर, बीजिंग ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों को 'वैश्विक आतंकवादी' के रूप में नामित करने के भारत के प्रयास पर रोक लगा दी थी.
मक्की लश्कर का उप प्रमुख और उस आतंकवादी समूह के राजनीतिक मामलों का प्रमुख है जिसने हजारों निर्दोष नागरिकों और सशस्त्र बलों के दर्जनों सदस्यों को मार डाला है. वह विदेशी संबंध विभाग का भी नेतृत्व करते हैं और जमात उद-दावा (JuD) की केंद्रीय और धर्मांतरण टीम के सदस्य हैं. मक्की जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेशों में सक्रिय है जहां उसने युवाओं को कट्टरपंथी बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई. उसने जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों के नागरिकों पर हमले की साजिश रची.
मक्की के नेतृत्वकाल में ही भारत में 26/11 मुंबई आतंकवादी हमला, 22 दिसंबर 2000 को लाल किला हमला, 2008 में नए साल के दिन रामपुर सीआरपीएफ कैंप हमला, करण नगर (श्रीनगर) ) फरवरी 12-13, 2018 पर हमला, मई 2018 को खानपोरा (बारामूला) हमला, जून 2018 को श्रीनगर हमला और अगस्त 2018 को गुरेज/बांदीपोरा हमला जैसे प्रमुख हमलों की योजना बनी थी.
यूएस डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट्स रिवार्ड्स फॉर जस्टिस प्रोग्राम के तहत मक्की के बारे में जानकारी के लिए $ 2 मिलियन का इनाम है. अमेरिकी खजाने ने उन्हें नवंबर 2010 में विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी के रूप में नामित किया था. चीन ने पहले पाकिस्तान स्थित मौलाना मसूद अजहर, पाकिस्तान स्थित और संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी इकाई, जैश-ए-मोहम्मद (JeM) को वैश्विक आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध करने से रोक दिया था.
कौन है पाकिस्तान में छिपा आतंकी अब्दुल रहमान मकी
अब्दुल रहमान मकी एक इस्लामवादी कार्यकर्ता और जमात-उद-दावा (JuD) का दूसरा-इन-कमांड है, जो अहल-ए-हदीस का एक पाकिस्तानी इस्लामिक कल्याण संगठन है. वह हाफिज मुहम्मद सईद के चचेरे भाई और बहनोई हैं. मकी का जन्म 1948 में पाकिस्तान के पंजाब राज्य के बहावलपुर में हुआ था. वह पहले सऊदी अरब के मदीना स्थित इस्लामिक यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रहा है. उसने 2004 में, एक पुस्तक का विमोचन किया जिसमें दिखाया गया है कि कैसे फिदाइन ऑपरेशन आत्मघाती हमले नहीं हैं. 2017 में उसके बेटे ओवैद रहमान मक्की को जम्मू और कश्मीर में भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा ऑपरेशन में मार दिया गया था.
मक्की तालिबान के सर्वोच्च कमांडर मुल्ला उमर और अल-कायदा के अयमान अल-जवाहिरी का करीबी है. मक्की पाकिस्तान में अपने भारत विरोधी भाषणों के लिए लोकप्रिय है. अब्दुल रहमान मक्की, हाफिज सईद के साथ, वर्तमान में दीफा-ए-पाकिस्तान काउंसिल (डीपीसी) के लिए काम कर रहा है, जिसे पाकिस्तान के हितों की रक्षा करने और वजीरिस्तान, पाकिस्तान में ड्रोन हमलों के खिलाफ आंदोलन करने के लिए नामित किया गया है.
HIGHLIGHTS
- वैश्विक आतंकवाद का मुकाबला करने पर चीन का पाखंड सामने आया
- अब्दुल रहमान मकी जमात-उद-दावा का दूसरा-इन-कमांड है
- मक्की तालिबानी मुल्ला उमर और अयमान अल-जवाहिरी का करीबी रहा