दुनिया की सबसे पुरानी और प्रसिद्ध क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन (Bitcoin) 2008 में बाजार में आई थी. फाइनेंशियल क्राइसिस के बाद डिजिटल करेंसी के आइडिया को लाया गया था. इसकी सफलता के बाद क्रिप्टोकरंसी की लोकप्रियता लगातार बढ़ती गई. लाखों लोग अब इसमें निवेश कर रहे हैं. हालांकि पिछले कुछ दिनों में क्रिप्टोकरंटी की वैल्यू में गिरावट देखने को मिल रही है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency बिल को बताई जा रही है. केंद्र सरकार इसे शीतकालीन सत्र में संसद में पेश करने जा रही है.
इस बिल के जरिए सरकार प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी को बैन करने की तैयारी में है. इससे काफी इनवेस्टर्स चिंतित है. भारत में क्रिप्टोककरेंसी के भविष्य पर भी सवाल उठ रहे हैं. लेकिन क्या आपको पता है क्रिप्टोकरेंसी को इनवेस्टमेंट के लिए नहीं बनाया गया था. आइए आपको बताते हैं कैसे हुई थी क्रिप्टोकरेंसी की शुरूआत और क्या था इसको बनाने का कारण.
बिटकॉइन है पहली पसंद
क्रिप्टोकरंसी में जब भी निवेश की बात सामने आती है तो पहला नाम Bitcoin का ही आता है. 2008 से लेकर अब तक इसने लंबा सफर तय किया है. किसी ने Bitcoin के क्रिएटर को नहीं देखा है. Bitcoin बनाने वाला कोई एक व्यक्ति या ग्रुप Satoshi Nakamoto नाम से जाना जाता है. इसे लांच करते समय कहा गया कि यह पूरी तरह डिजिटल करेंसी होगी जिसमें किसी भी सरकार का दखल नहीं होगा. कोई भी सरकार इसमें दखल नहीं दे सकती है.
किसी तकनीक पर करती है काम?
2009 में बिटकॉइन को एक सॉफ्टवेयर के माध्यम से लांच किया गया. इसके बाद कई बदलाव हुए और आज ये सॉफ्टवेयर ओपन सोर्स है और कोई भी इसे देख सकता है या कंट्रीब्यूट कर सकता है. ये डिमांड और सप्लाई, क्रिप्टोग्राफी और डिसेंट्रेलाइज्ड नेटवर्क पर काम करता है. Bitcoins करेंसी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर काम करती है. इसे मैसिव कंप्यूटिंग सिस्टम के जरिए माइन या प्रोड्यूस किया जा सकता है.
Source : News Nation Bureau