QUAD देशों की बैठक में हिस्सा लेने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान पहुंचे. भारत मूल के लोगों और संस्थाओं की ओर से भव्य स्वागत के बाद पीएम मोदी भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के गठबंधन QUAD की बैठक में शामिल होंगे. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रूस-यूक्रेन युद्ध और भारत में लद्दाख के पैंगोंग झील के पास चीन के सैनिकों की गतिविधियों को लेकर यह बैटक काफी महत्वपूर्ण हो गई है. इससे पहले QUAD देशों की मार्च 2021 में वर्चुअल और सितंबर 2021 में आमने-सामने की बैठक हुई थी.
पड़ोसी देश चीन QUAD समूह को लेकर लगातार गलतबयानी करते हुए चिंता जताता रहता है. QUAD समूह को चीन ने एशियन नाटो कहता रहा है. वह शुरुआत से ही QUAD को लेकर एतराज जताता है. चीन इस समूह को उसे घेरने के लिए अमेरिकी चाल बताता रहता है. अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के मुताबिक, QUAD के गठन का प्रमुख अघोषित उद्देश्य हिंद महासागर से लेकर प्रशांत महासागर के बीच पड़ने वाले इलाके यानी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबदबे पर लगाम लगाना है. साथ ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र के बाकी देशों को चीनी वर्चस्व से बचाना भी है.
QUAD में भारत के होने से चीन की चिंता
अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया चार देशों के बीच साल 2007 में बने एक रणनीतिक गठबंधन क्वाड्रीलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग यानी QUAD को लेकर चीन की आशंका लगातार बढ़ती जा रही है. इसे वह अपने वैश्विक उभार को रोकने वाली रणनीति के रूप में देखता है. चीन के विदेश मंत्रालय का आरोप है कि QUAD उसके हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए काम कर रहा है. जानकारों के मुताबिक, चीन की सबसे बड़ी चिंता QUAD में भारत के जुड़े होने से है. चीन को डर है कि अगर भारत अन्य महाशक्तियों के साथ गठबंधन बनाता है तो वह भविष्य में उसके लिए बड़ी समस्या खड़ी कर सकता है. चीन इसलिए ही भारत-अमेरिका के रिश्ते को लेकर तीखी टिप्पणियां करता है
अपनी साजिशों और मंसूबों को लेकर डरा चीन
बीते कुछ वर्षों में भारत पर बढ़त बनाने के लिए चीन ने हिंद महासागर में अपनी गतिविधियां बढ़ाई हैं. साथ ही पूरे साउथ चाइना सी पर अपना दावा भी ठोक दिया है. सुपर पावर बनने की कोशिशों के चलते चीन ने कभी नहीं चाहता कि भारत दुनिया की किसी और सुपरपावर के करीब जाए. इसीलिए 1960 और 1970 के दशक में वह भारत-सोवियत संघ के सहयोग के खिलाफ बयानबाजी करता था. आजकल रूस के बजाय अमेरिका के खिलाफ बयान दे रहा है. भारत के साथ मिलकर अमेरिका QUAD के विस्तार पर काम कर रहा है, ताकि चीन के गंदे मंसूबों को खत्म किया जा सके.
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सैन्य-राजनीतिक दबदबे पर लगाम
माना जाता है कि भारत आने वाले दिनों में सुपरपावर होगा. हिंद-प्रशांत क्षेत्र में महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों को किसी भी सैन्य या राजनीतिक प्रभाव से मुक्त रखना ही QUAD का मकसद है. इसलिए अंतरराष्ट्रीय राजनीति के जानकार इसे खास समुद्री इलाके में चीनी दबदबे को कम करने के लिए बनाए गए एक रणनीतिक समूह के रूप में देखते है. कई अन्य देश भी QUAD को चीन को काउंटर करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के तौर पर देखने लगे हैं. अमेरिका के करीबी और भौगोलिक रूप से चीन के पास स्थित देश साउथ कोरिया के भी आने वाले दिनों में QUAD से जुड़ने की योजना है. यही वजह है कि चीन भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी से घबराया हुआ है.
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QUAD के जरिए एशिया में शक्ति संतुलन बनाएगा भारत
QUAD बैठक से पहले ही चीन भारत से लगी सीमा पर भड़काऊ हरकतें शुरू कर चुका है. भारत के साथ लंबे समय से चीन का सीमा विवाद है. ऐसे में अगर सीमा पर उसकी आक्रामकता ज्यादा बढ़ती है, तो इस कम्युनिस्ट देश को रोकने के लिए भारत QUAD के अन्य देशों की मदद ले सकता है. साथ ही भारत QUAD में अपना कद बढ़ाकर चीन की मनमानियों पर अंकुश लगाते हुए एशिया में शक्ति संतुलन भी कायम कर सकता है. इसी के मद्देनजर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने बीते दिनों कहा था कि QUAD अप्रचलित हो चुके शीत युद्ध और सैन्य टकराव की आशंकाओं में डूबा हुआ है.
HIGHLIGHTS
- चीन QUAD समूह को लेकर लगातार गलतबयानी करता रहता है
- मार्च 2021 में वर्चुअल और सितंबर 2021 में इसकी प्रत्यक्ष बैठक
- चीन भारत-अमेरिका के रिश्ते को लेकर तीखी टिप्पणियां करता है