World Simplicity Day 2022: सादा जीवन उच्च विचार, क्या है इस फलसफे के मायने? 

सादा जीवन उच्च विचार भारतीय संस्कृति और समाज का सर्वोच्च मूल्य है. भारतीय समाज में परिवार, समाज और जीवन में संतुलन बनाने की बात होती रही है.

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Pradeep Singh
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ग्रामीण जीवन( Photo Credit : News Nation)

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विज्ञान के विकास के साथ मानव को बहुत सहूलियत मिली है. एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने से लेकर जीवन जीने के साधन आसानी से उपलब्ध होने लगे. लेकिन इस आसानी ने बहुत सारी जटिलताओं को भी मानव जीवन में भर दिया. अब जरूरत से ज्यादा चीजों को इकट्ठा करना और सब कुछ पा लेने की होड़ लग गयी. इस प्रक्रिया में मनुष्य न केवल परिवार और समाज से दूर हुआ बल्कि वह स्वयं से भी दूर होता चला गया. बनावटी चीजों के मोह में प्रकृति से भी उसकी दूरी बढ़ती गयी. परिणामस्वरूप वह कुछ चीजों के मोह में बहुत सी चीजों से वंचित हो गया. आज के भाग दौड़ के इस जीवन में हम सादगी की जरूरत और उसके फायदे पर चर्चा करेंगे.

सादगी दिवस कब शुरू हुआ

हर वर्ष 12 जुलाई को दुनिया भर में सादगी दिवस मनाया जाता है. यह दिवस अमेरिका के मशहूर लेखक, कवि, पर्यावरणविद, इतिहासकार और दर्शनशास्त्री हेनरी डेविड थोरी के जन्मदिन (12 जुलाई, 1817) को ‘सिंप्लीसिटी डे’यानी सादगी दिवस के रूप में मनाया जाता है. उन्होंने दुनिया को ‘सादा जीवन’ जीने का संदेश दिया था और सभी समस्याओं का हल इसे बताया.हेनरी का मानना था कि जीवन को केवल धन और अनावश्यक चीजों को हासिल करने के लिए ही खत्‍म न कर दिया जाए. उनका मानना ​​था कि हमारा ध्यान प्रकृति, ज्ञान, आत्मनिर्भरता और अपना रास्ता खुद बनाने पर अधिक होना चाहिए और इसके लिए सिंपल लाइफ जीना जरूरी है. 

सादा जीवन उच्च विचार भारतीय संस्कृति का सर्वोच्च मूल्य है

आज के भागदौड़ की जिंदगी और सफलता के लिये गलाकाट प्रतिस्पर्धा में कई बार शरीर ही नहीं, दिमाग भी थक जाता है. ऐसे में जरूरी है कि जीवन को जीने का तरीका थोड़ा सरल और स्वस्थ्य बनाया जाए. जीवन को आनंदमय बनाने और शांतिपूर्वक जीने के लिए अपने सोच-विचार और व्यवहार को सरल बनाना चाहिए. हालांकि, सादगी का अर्थ सबके लिए अलग-अलग हो सकता है. सादगी दिवस पर अगर आप भी अपने जीवन में कुछ सकारात्मक और बेहतर करना चाहते हैं तो जीवन शैली में कुछ परिवर्तन करना होगा. फिलहाल, जिंदगी को सरल रखना इतना आसान नहीं है. लेकिन कोशिश करने पर क्या नहीं हो सकता है. बस हमें जिंदगी को  इतना सरल रखना है, जितना रख सकें. उन अपेक्षाओं के पीछे न दौड़ें, जो मन की शांति हर लें. 

सादा जीवन उच्च विचार भारतीय संस्कृति और समाज का सर्वोच्च मूल्य है. भारतीय समाज में परिवार, समाज और जीवन में संतुलन बनाने की बात होती रही है. जिंदगी खुद में कितनी सरल और सादी है यह अभी हाल ही में आए कोरोना महामारी से समझा दिया. जो बात हमें सालों से समझ में नहीं आ रही थी, उसे इस मुश्किल समय ने एक झटके में समझा दिया है.   

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आज के समय में हम जब सादगी पूर्ण जीवन की बात करते हैं तो हम महज अपने जीवन में कुछ संतुलन और नियंत्रण के बाद ही अपना सकते हैं. आज हर व्यक्ति टीवी, मोबाइल और लैपटॉप के बिना रही रह पा रहे है. ऐसे हम हम बता रहे हैं कि किन चीजों का उपयोग कम करके आप जीवन को सरल और सादा बना सकते हैं. 

टीवी, लैपटॉप और मोबाइल का कम उपयोग

आज के समय में कोई भी टीवी, लैपटॉप औऱ मोबाइल के बिना नहीं रह सकता है. लेकिन इनका उपयोग कम कर सकता है. एक अध्ययन के मुताबिक अमेरिकी वयस्क प्रतिदिन 11 घंटे से अधिक समय सोशल मीडिया पर गुजार देते हैं. यह चार साल पहले 9 घंटे, 32 मिनट कम था. मोबाइल, टैब और लैपटॉप  शारीरिक ही नहीं, मानसिक रूप से बीमार बना रहा है. इसलिए इससे सबसे पहले काम अगर आप खुद को हेल्‍दी रखने के लिए करना चाहते हैं तो स्‍क्रीन से दूरी बनाएं.   

पत्र-पत्रिकाओं को पढ़ने की आदत डालें

आज के समय में लोग टीवी देख लिए या मोबाइल औऱ लैपटॉप पर कुछ पढ़कर ही अपने को ज्ञानी समझ बैठते हैं. जबकि हमें पत्र-पत्रिकाओं को पढ़ने के लिए कुछ समय निकालना चाहिए. पढ़ने के लिए समय निकालने के भी कुछ फायदे हैं. अपने आस-पास की व्यस्त दुनिया से आपको एक छोटा ब्रेक देने के अलावा, पढ़ना तनाव को कम कर सकता है, आपकी शब्दावली का विस्तार कर सकता है, और मानसिक तनाव को शांत कर आपको पॉजिटिव बनाता है. 

प्रकृति के नजदीक जाकर उसके बदलावों का आनंद

जीवन सादा औऱ सरल बनाने के लिए आपको प्रकृति के बीच रहने की आदत डालनी चाहिए.  प्रकृति से जुड़ने ये आप शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से स्‍वस्‍थ रहेंगे. जो कुछ भी आपको अच्छा लगे वह करें जैसे तैराकी, पिकनिक, सैर करना या हाइकिंग, कयाकिंग, यहां तक ​​कि स्कूबा डाइविंग जैसे कुछ नया भी कर सकते हैं. 

अनावश्यक चीज से छुटकारा पाएं

हेनरी के इस विचार में ये बात छुपी थी कि आप किसी चीज के लती न बनें. अगर आप बहुत ज्‍यादा किसी ऐसी चीज को कर रहे जिसका कोई भी मतलब नहीं, तो आप उन चीजों से दूरी बना लें.

आत्मनिरीक्षण का अभ्यास 

सादगी दिवस मनाने का एक बहुत ही महत्वपूर्ण तरीका आत्मनिरीक्षण या आत्म-प्रतिबिंब का अभ्यास करना है. सादगी दिवस अपने आप को विश्लेषण करने के लिए समय निकालने का एक बड़ा बहाना है. आत्मनिरीक्षण आपको अपने जीवन, अपने विचारों और अतीत, वर्तमान और अपने भविष्य के लिए अपने लक्ष्यों को केंद्रित करने का मौका देता है. 

HIGHLIGHTS

  • जरूरत से ज्यादा चीजों को इकट्ठा न करें
  • सादगी का महत्वपूर्ण तरीका आत्मनिरीक्षण
  • सरल जीवन जीने के लिए प्रकृति से निकटता जरूरी

 

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