सीमा सुरक्षा बल, बीएसएफ का प्रसिद्ध ऊंट सवार दस्ता 1976 से गणतंत्र दिवस समारोह का हिस्सा है. हालांकि इस साल बीएसएफ की पहली महिला टुकड़ी अपने पुरुषों समकक्षों के साथ शाही पोशाक में ऊंट पर सवारी कर गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा लेगी. प्रसिद्ध डिजाइनर राघवेंद्र राठौर ने बीएसएफ के महिला ऊंट दस्ते के लिए पोशाक डिजाइन की है. महिला प्रहारियों के लिए डिजाइन की गई वर्दी कई भारतीय शिल्पकलाओं का प्रतिनिधित्व करती है. ये शिल्पकलाएं देश के विभिन्न हिस्सों में तैयार की जाती हैं, जिन्हें राघवेंद्र राठौर के जोधपुर स्टूडियो में इन-हाउस असेंबल किया जाता है. गौरतलब है इस साल 73वां गणतंत्र दिवस मनाया जाएगा.
400 साल पुरानी डंका तकनीक का इस्तेमाल
बीएसएफ की महिला प्रहारियों की वर्दी के डिजाइन में राजस्थान की संस्कृति और इतिहास का खास ख्याल रखा गया है. बीएसएफ महिला दस्ते के लिए पोशाक डिजाइन करते समय इस बात का भी खास ध्यान रखा गया है कि पहनने वाली महिला प्रहरियों को सम्मान और गौरव की अनुभूति हो. साथ ही वह महिला प्रहरियों के पहनने में सुविधाजनक भी रहे. महिला प्रहरियों की पोशाक जोधपुरी बंद गले का ही डिजाइनर स्वरूप है. महिला प्रहरियों की वर्दी में बनारस के शिल्प जरदोजी का काम किया गया है. साथ ही 400 साल पुरानी डंका तकनीक का भी इस्तेमाल किया गया है.
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मेवाड़ की पग यानी पगड़ी भी होगी खास आकर्षण
जाहिर है बीएसएफ की महिला प्रहरियों की पोशाक राजस्थान के शानदार इतिहास और संस्कृति का भी प्रतिनिधित्व करती है. महिला प्रहरियों की पोशाक का आकर्षण राजस्थान की आन-बान-शान की प्रतीक पग यानी पगड़ी है. यह पगड़ी मेवाड़ क्षेत्र में खासी लोकप्रिय है, जो समग्र राजस्थान में सांस्कृतिक पोशाक का अनिर्वाय हिस्सा बन चुकी है. इस पग को प्रतिष्ठा और सम्मान का प्रतीक माना जाता है. गौरतलब है कि बीएसएफ का पहला महिला ऊंट सवार दस्ता सीमा पर चौकसी भी करेगा. एक दस्ते में 30 महिला प्रहरियों को शामिल किया गया है.
HIGHLIGHTS
- बीएसएफ का पहला महिला ऊंट सवार दस्ता लेगा गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा
- महिला प्रहरियों की वर्दी प्रसिद्ध डिजाइनर राघवेंद्र राठौर ने की है डिजाइन
- महिला प्रहरियों की वर्दी राजस्थान की संस्कृति और इतिहास को भी लाएगी सामने