भारतीय राजनीति नाटकीय उथल-पुथल समेत उतार-चढ़ाव, कभी-कभी नौटंकी की हद तक, तीखी और आक्रामक बयानबाजी समेत कार्यकर्ताओं और समर्थकों के जोश और उत्साह से भरी रैलियों-रोड शो के लिए जानी जाती है. इस लिहाज से देखें तो 2022 ने इन सभी तेवरों के कई बार दर्शन भी किए. हां, इस साल भारतीय राजनीति के लपेटे में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) जैसी केंद्रीय एजेंसियां भी आ गईं. सीबीआई और ईडी को राजनीतिक निशाना बनाया गया, मानो वे भी भारतीय राजनीति में हितधारक हों. ऐसे में यह जानना रोचक रहेगा कि 2022 किन राजनीतिक घटनाओं का साक्षी बना.
2022 में हुए चुनावी समर
साल 2022 में गोवा, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, गुजरात और दिल्ली नगर निगम में चुनाव हुए. भारतीय जनता पार्टी का दबदबा 2022 में भी जारी रहा. भगवा पार्टी ने पांच राज्यों क्रमशः गोवा, उत्तराखंड, मणिपुर, उत्तर प्रदेश और गुजरात में जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस को केवल एक राज्य हिमाचल प्रदेश ही मिल सका. सबसे बड़ा या कहें चौंकाने वाला चुनावी राजनीतिक परिणाम पंजाब से आया, जहां आम आदमी पार्टी कांग्रेस को बुरी तरह से हराकर विजयी हुई. आप के राजनीतिक भविष्य के लिहाज से यह ऐतिहासिक चुनाव परिणाम था. आप को अपना पहला पूर्ण राज्य मिला, जबकि यूपी और गुजरात में बीजेपी की रिकॉर्ड तोड़ जीत हुई. उत्तर प्रदेश में 37 साल बाद पहली बार कोई सत्ताधारी दल वापस सत्ता में लौटा. साल के अंत में ही आम आदमी पार्टी ने दिल्ली नगर निगम में बीजेपी के 15 साल के वर्चस्व को खत्म करते हुए एमसीडी चुनाव में भी जीत हासिल की.
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कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष के लिए चुनाव
2022 में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव बड़ी खबर थी, क्योंकि यह 25 साल बाद हो रहे थे. अध्यक्ष पद के लिए चुनाव नहीं करा वंशवादी राजनीति को बढ़ावा देने के लिए भारतीय जनता पार्टी लगातार प्रमुखता से कांग्रेस पर निशाना साधती आई है. हालांकि कांग्रेस के साथ जैसा हमेशा होता आया, अध्यक्ष पद के लिए चुनाव भी विवादों से दूर नहीं रह सके. पहले पहल गांधी परिवार के वफादार अशोक गहलोत को कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष का चुनाव लड़ना था, लेकिन उन्होंने अपने पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को राजस्थान का मुख्यमंत्री पद सौंपने से इंकार कर दिया. इसने राजस्थान में विद्रोह को लगभग भड़का दिया. पार्टी किसी तरह इससे निपटने में कामयाब रही. इस नाटकीय घटनाक्रम के बाद गांधी परिवार के ही प्रतिनिधि मल्लिकार्जुन खड़गे ने गहलोत की जगह ले ली. हालांकि उन्हें असंतुष्ट जी-23 समूह के सदस्य शशि थरूर ने चुनौती दी. थरूर ने कांग्रेस पार्टी में क्रांतिकारी सुधारों की मांग की थी. आखिरकार खड़गे थरूर के 1,072 मतों के मुकाबले 7,897 मतों के साथ चुनाव जीत कांग्रेस अध्यक्ष बनने में सफल रहे.
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा
कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपनी पार्टी की खोई हुई चुनावी जमीन को फिर से हासिल करने के लिए बड़े अभियान पर हैं. हालांकि बीजेपी ने इस यात्रा को 'ब्रांड राहुल' को फिर से लांच करने की पहल बताया है. कन्याकुमारी से जम्मू-कश्मीर तक 3,570 किलोमीटर की यह यात्रा 150 दिनों तक चलेगी. राहुल गांधी ने कहा कि वह लोगों के बीच प्यार फैलाने के लिए पदयात्रा पर हैं. यह अलग बात है कि इस भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी कोई नया संदेश देने में फिलवक्त तो असफल ही रहे हैं. ले-देकर वह पुराने जुमले ही बीजेपी की ओर उछाल रहे हैं, बल्कि कहीं-कहीं तो उनकी यात्रा राजनीतिक विवाद भी खड़े कर रही है. इस पूरी भारत जोड़ो यात्रा पर बीजेपी की गहरी नजर है और वह पीएम मोदी के खिलाफ हो रही जुमलेबाजी का काउंटर अटैक 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान करने की रणनीति पर काम कर रही है.
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द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना
झारखंड की पूर्व राज्यपाल और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से राष्ट्रपति पद चुनाव की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू भारत की 15वीं राष्ट्रपति चुनी गईं. इस पद के लिए चुनी जाने वाली वह पहली आदिवासी महिला है, जो सबसे कम उम्र की चुनी गई राष्ट्रपति भी हैं. उन्होंने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराया. मुर्मू को 2,824 वोट मिले, जबकि सिन्हा को 1,877 वोट मिले. मुर्मू संथाल जनजाति से हैं और उनका जन्म मयूरभंज जिले में हुआ था।. स्थानीय निकाय स्तर पर चुनावी राजनीति में प्रवेश करने से पहले उन्होंने ओडिशा में स्नातक और अध्यापन के जीवन में एक कठिन रास्ता तय किया. बाद में वह विधायक चुनी गईं और 2000 से 2004 तक बीजू जनता दल-भाजपा गठबंधन सरकार में मंत्री रहीं. वह 2009 तक विधायक रह ओडिशा के रायरंगपुर का प्रतिनिधित्व करती रहीं.
नीतीश कुमार का यू-टर्न
2022 बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड के नेता नीतीश कुमार के राजनीतिक करियर के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ रहा है, क्योंकि उन्होंने महागठबंधन में फिर से शामिल होकर एक और यू-टर्न लिया. अगस्त में उन्होंने एनडीए छोड़ दिया और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के समर्थन से सरकार बनाई. नीतीश के इस नए यू-टर्न ने 2024 के महत्वपूर्ण आम चुनाव से पहले रोडमैप का खाका खींच दिया है. हाल ही में नीतीश ने ऐलान किया था कि वह बीजेपी के खिलाफ कैंपेन चलाएंगे और कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे. उन्होंने संकेत दिया कि तेजस्वी यादव उनकी जगह लेंगे.
महाराष्ट्र में सियासी उथल-पुथल
2022 उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना के लिए एक बुरे सपने जैसा रहा, क्योंकि यह पार्टी दो धड़ों में बंट गई. जून में शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया. वह दर्जनों विधायकों के साथ गुवाहाटी के लिए रवाना हुए. शिवसेना नेताओं ने एक पूर्ण फिल्मी नाटक का मंचन किया गया, जो एमवीए सरकार के पतन के साथ समाप्त हुआ. उद्धव ठाकरे को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा. शिंदे ने बीजेपी के समर्थन से महाराष्ट्र के सीएम पद की शपथ ली. पार्टी के मालिकाना हक का मामला सुप्रीम कोर्ट में है. इस घटनाक्रम से राज्य के राजनीतिक माहौल में खटास आ गई है. शिवसेना सांसद संजय राउत की गिरफ्तारी ने आग में घी डालने का काम किया. राज्य में कई हाई-प्रोफाइल गिरफ्तारियां भी हुईं, जिनमें पूर्व मंत्री अनिल देशमुख और नवाब मलिक के नाम शामिल हैं.
नेशनल हेराल्ड केस
नेशनल हेराल्ड केस ने 2022 में गांधी परिवार को खूब परेशान किया. इस साल तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी पहली बार प्रवर्तन निदेशालय कार्यालय में पेश हुए. जुलाई में सोनिया गांधी, जिनका स्वास्थ्य कोविड संक्रमण के कारण ठीक नहीं था, तीन बार ईडी के सामने पेश हुईं, जबकि राहुल गांधी से पांच बार पूछताछ की गई. ईडी के कदम के खिलाफ कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति दर्ज की. पार्टी के पुराने नेताओं ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू किया. एक बार उन्होंने फिर भारत बंद आयोजित किया. हालांकि उन्होंने दावा किया कि विरोध बेरोजगारी के खिलाफ था.
केंद्रीय जांच एजेंसियों पर राजनीतिक हमले
प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय जांच ब्यूरो सरीखी केंद्रीय जांच एजेंसियों के लिए यह एक अभूतपूर्व साल रहा. 2022 के दौरान ये एजेंसियां खबरों में रही हैं. इस साल को शायद इनके छापेमारी और गिरफ्तारियों का भी कहा जाए. इन केंद्रीय एजेंसियों ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मनीष सिसोदिया, डीके शिव कुमार जैसे कई अन्य शीर्ष नेताओं से अलग-अलग मामलों में पूछताछ की. ईडी ने शिवसेना सांसद संजय राउत, आप के मंत्री सत्येंद्र जैन और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्रियों अनिल देशमुख और नवाब मलिक को गिरफ्तार किया था.
आम आदमी पार्टी के लिए खुशनुमा साल
2022 अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी के लिए यह साल बड़ी राजनीतिक महत्वाकांक्षा पूरी करने वाला रहा. हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी के गृह राज्य गुजरात में 13 प्रतिशत वोट शेयर हासिल करने के बाद यह एक राष्ट्रीय पार्टी बन गई. इसने पश्चिमी राज्य में अपना खाता खोलते हुए पांच सीटें भी जीतीं. दिल्ली नगर निगम में बीजेपी के 15 साल के वर्चस्व को खत्म करने में भी आप को सफलता मिली. सफलता की कहानी यहीं खत्म नहीं होती. इस 10 साल पुरानी पार्टी ने इसी साल पंजाब में इतिहास रच कांग्रेस को हटाकर अपनी सरकार बनाई.
HIGHLIGHTS
- 2022 में सात राज्यों के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने पांच जीते
- कांग्रेस को यह साल जाते-जाते हिमाचल के रूप में संजीवनी दे गया
- सबसे कमाल रहा आप के लिए, जो अब एक राष्ट्रीय पार्टी बन गई है