Indian Cricket Team: भारतीय क्रिकेट में 1990 से लेकर 2005 तक का दौर सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण और वीरेंद्र सहवाग का दौर माना जाता है. ये पाचों खिलाड़ी भारतीय क्रिकेट इतिहास के श्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक हैं और इनका भारतीय क्रिकेट में योगदान अतुलनिय है. इनमें से कोई भी बल्लेबाज अगर क्रीज पर होता था तो टीम हमेशा जीत के प्रति आश्वस्त होती थी.
इन सभी खिलाड़ियों का रिकॉर्ड ही बताता है कि ये कितने बड़े बल्लेबाज थे लेकिन इन्हीं के समय में और बल्लेबाज था जो घरेलू क्रिकेट में जमकर रन बना रहा था लेकिन टीम इंडिया की तरफ से उसे एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला. इसकी वजह भारतीय टीम के फैब 5 माने जाने वाले सचिन, राहुल, सहवाग, गांगुली और लक्ष्मण का नियमित तौर पर बेहतरीन प्रदर्शन था.
इस खिलाड़ी को नहीं मिला मौका
जिस समय भारतीय क्रिकेट में फैब 5 की तूती बोलती थी उसी समय में घरेलू क्रिकेट में मुंबई के लिए अमोल मजूमदार खेला करते थे. मजूमदार मुंबई के लिए रनों का अंबार लगाते रहे लेकिन उन्हें कभी भी भारतीय टीम में मौका नहीं मिला. वे एक भी मैच किसी भी फॉर्मेट में टीम इंडिया के लिए खेलने को नहीं मिला. इस वजह से उन्हें देश का सबसे बदनसीब क्रिकेटर भी माना जाता है जिसे प्रतिभा और क्षमता के बावजूद नहीं मिला. मजूमदार ने 171 प्रथम श्रेणी मैचों में 30 शतक और 60 अर्धशतक लगाते हुए 11, 167 और 113 लिस्ट ए मैच में 3 शतक औऱ 26 अर्धशतक लगाते हुए 3,286 रन बनाए हैं.
कोचिंग में आजमा रहे हाथ
अमोल मजूमदार को बेशक राष्ट्रीय टीम में खेलने का मौका नहीं मिला लेकिन उनकी क्षमता पर सभी को भरोसा रहा. यही वजह है कि कोचिंग के क्षेत्र में आने के बाद वे काफी सफल रहे हैं. वे भारतीय अंडर 19 और 23 टीम के बैटिंग कोच, नीदरलैंड क्रिकेट टीम के बैटिंग कंसलटेंट, राजस्थान रॉयल्स के बैटिंग कोच, साउथ अफ्रीका क्रिकेट टीम के बैटिंग कोच रह चुके हैं. अक्तूबर 2023 से वे भारतीय महिला क्रिकेट टीम के हेड कोच हैं.
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