कहते हैं गुरू भी कभी-कभी अपने शिष्यों के बीच भेदभाव करता है। इसके उदाहरण के रूप में महाभारत मे द्रोणाचार्य के किरदार को देखा जा सकता है। द्रोणाचार्य को धनुर्विद्या का सर्वश्रेष्ठ गुरु माना जाता था।
उनसे धनुर्विद्या पाने कौरव और पांडव आते थे, मगर इन 105 भाइयों में अर्जुन द्रोणाचार्य के सबसे प्रिय शिष्य थे। इसका कारण यह था कि द्रोणाचार्य को लगा कि अर्जुन के अलावा किसी और में वो गुण ही नहीं थे कि उनकी दी गई सारी विद्या को ग्रहण कर पाते।
कहने का मतलब यही है कि सैकड़ों शिष्यों में सबसे ज्यादा लगन और सीखने इच्छा जिस शिष्य में होती है गुरू उसी सोने को निखारने में सबसे ज्यादा ध्यान देता है और जब वही शिष्य सही मार्गदर्शन और अपने जुनून से निखर कर खरा सोना बनता है तो फिर सात समुंदर पार जाकर भी मछली की आंख भेदना कोई मुश्किल बात नहीं होती।
मेहनत और जुनून की यही कहानी याद दिलाते हैं इस बार कॉमनवेल्थ में गए भारतीय निशानेबाज, फर्क सिर्फ इतना था कि अर्जुन के हाथो में धनुष-बाण थी और कॉमनवेल्थ में गए निशानेबाजों के हाथों में पिस्टल, मगर निशाना अर्जुन की तरफ अचूक था।
ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में हुए 21वें राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के निशानेबाजों ने जब-जब पिस्टल हाथ में ली तो हर निशाना लक्ष्य पर साधा। यही वजह है कि इस बार कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत के 27 शूटर्स में से 16 ने पदक जीते।
निशानेबाजी में भारत ने 7 गोल्ड मेडल हासिल किए। पिछले साल ग्लास्गो में भारत ने कुल 64 पदक जीते थे जिसमें से 17 निशानेबाजी में आए थे।
पिछले कुछ दिनों से भारत के युवा शूटर्स ने पूरी दुनिया में नाम कमाया है। जब हम बात युवा निशानेबाज की करते हैं तो जो नाम सबसे पहले जहन में आता है वह है 16 साल की मनु भाकर का।
जी हां, मनु की उम्र 16 साल ही है लेकिन किसी की उम्र प्रतिभा की मोहताज नहीं होती। हरियाणा की मनु ने 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता। इससे पहले सीनियर और जूनियर विश्व कप के 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में मनु ने गोल्ड जीता था।
मनु के अलावा भारत की एक और महिला शूटर ने भारत का नाम रोशन किया। जहां मनु ने देश के लिए गोल्ड जीता तो वहीं हीना सिद्धु ने 10 मीटर एयर पिस्टल में भारत की झोली में सिल्वर मेडल डाला।
इसके अलावा 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट के पुरुषों के मुकाबले में भारत के रवि कुमार ने ब्रॉन्ज मेडल जीता।
इसके बाद भारत के स्टार निशानेबाज जीतू राय ने 10 मीटर एयर पिस्टल में कॉमनवेल्थ का रिकॉर्ड बनाते हुए भारत को गोल्ड मेडल दिलाया। वहीं ओमप्रकाश मिथरवाल ने इसी इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा जमाया।
वहीं 10 मीटर एयर पिस्टल के महिला वर्ग में भारत की एक और युवा खिलाड़ी ने क्रीतिमान स्थापित किया। 17 साल की मेहूली घोष ने भारत को सिल्वर दिलाया तो इसी इवेंट में देश की एक और बेटी अपूर्वी चंदेला ने सिल्वर मेडल जीता।
इसके बाद 10 मीटर में ब्रॉन्ज जीतने वाली हीना सिद्धु ने 25 मीटर के इवेंट में गोल्ड जीतकर कसक पूरी की।
भारत को निशानेबाजी में एक और गोल्ड मेडल दिलाया श्रेयसी सिंह ने। श्रेयसी ने डबल ट्रैप के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के इम्मा कॉक्स को हराया।
निशानेबाजी में भारत को अगला मेडल 50 मीटर राइफल प्रोन में मिला। राइफल थ्री पोजिशन स्पर्धा में तेजस्वनी सावंत ने रेकॉर्ड बनाते हुए गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने 457.9 स्कोर हासिल करते हुए कॉमनवेल्थ का नया रिकॉर्ड बनाया।
50 मीटर राइफल प्रोन में ही भारत अंजुम मुद्रल ने 455.7 स्कोर के साथ सिल्वर मेडल पर कब्जा किया।
16 साल की मनु भाकेर ने जहां सबसे युवा महिला निशानेबाज के तौर पर देश का नाम रोशन किया तो वहीं पुरुषों में 15 साल के अनीश बनवाल ने वही कर दिखाया जो मनु ने किया।
25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल फाइनल्स में चमत्कारिक प्रदर्शन करते हुए अनीश ने गोल्ड मेडल जीत लिया। अपना पहला कॉमनवेल्थ खेल रहा यह नौजवान भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतने वाला सबसे कम उम्र का खिलाड़ी बन गया।
इसके अलावा शूटर संजीव राजपूत ने 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन में देश को गोल्ड मेडल दिलाया।
इस तरह के प्रदर्शन के बाद अब देश भर में निशानेबाजी को लेकर एक अलग स्तर की जागरुकता देखने को मिल रही है। माता-पिता अपने बच्चों को मनु भाकेर और अनीश बनवाल बनाने का सपना देखने लगे हैं हालाकि सरकार की तरफ से इस खेल को अभी और सहायता की जरूरत है ताकि आने वाले वक्त में भारत के निशानेबाजों का नाम पूरी दुनिया में मशहूर हो जाए।
Source : Sankalp Thakur