भारतीय महिला हॉकी टीम गुरुवार को 21वें राष्ट्रमंडल खेलों में वेल्स के खिलाफ अपने अभियान की शुरुआत करेगी।
भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतकर 12 साल के सूखे को खत्म करने के लक्ष्य से मैदान पर उतरेंगी।
भारतीय महिला हॉकी टीम ने साल 2006 में राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीता था। इससे पहले 2002 में टीम ने इस टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक हासिल किया था।
अब रानी की कप्तानी में भारतीय महिला टीम इतिहास रचने के लिए पूरी तरह से तैयार है। कप्तान रानी का कहना है कि उनकी टीम को पदक जीतना है और इससे कम उन्हें कुछ भी मंजूर नहीं है।
रानी की कप्तानी में ही भारतीय महिला हॉकी टीम ने पिछले साल नवम्बर में एशिया कप का खिताब अपने नाम किया था।
और पढ़ें- CWG 2018: भारत के 5 सबसे कम आबादी वाले राज्यों से 45 प्रतिशत खिलाड़ी लेंगे हिस्सा
राष्ट्रमंडल खेलों में पदक के सूखे को खत्म करने के लिए भारतीय महिलाओं को अपने ही ग्रुप में शामिल टीमों की चुनौती से पार पाना होगा। पूल-ए में भारत के साथ वेल्स, मलेशिया, दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड की टीमें शामिल हैं।
इस बारे में टीम के मुख्य कोच हरेंद्र सिंह ने कहा, 'इस पूल में मिलने वाली चुनौतियां बड़ी हैं, लेकिन मुझे विश्वास है कि हम इन्हें पार कर लेंगे। टीम ने अभ्यास मैचों में जिस प्रकार क्वींसलैंड और कनाडा के खिलाफ खेला है, उससे मैं खुश हूं।'
वेल्स के खिलाफ पिछले मुकाबलों के परिणाम अच्छे रहे हैं, लेकिन कप्तान रानी का कहना है कि टीम इन परिणामों पर निर्भर नहीं रहेगी। उन्होंने कहा, 'हर टूर्नामेंट एक नए अध्याय की तरह होता है। कोई भी टीम विजेता बन सकती है। इसलिए, हम किसी भी प्रतिद्वंद्वी को हल्के में नहीं ले सकते।'
भारतीय टीम का सामना 6 अप्रैल को मलेशिया से होगा और इसके बाद आठ अप्रैल को उसकी भिड़ंत इंग्लैंड से होगी। 10 अप्रैल को भारतीय टीम का सामना ग्रुप स्तर के अंतिम मैच में दक्षिण अफ्रीका से होगा।
और पढ़ें- CWG 2018 : देखिए समुद्र के किनारे बसा खूबसूरत गोल्ड कोस्ट
Source : IANS