AB de Villiers on Suryakumar Yadav: साउथ अफ्रीका के दिग्गज एबी डिविलियर्स (AB de Villiers) क्रिकेट को अलविदा कह चुके हैं. उन्होंने अपने क्रिकेट करियर में कई रिकॉर्ड बनाए और सबसे लोकप्रिय क्रिकेटर में से एक रहे हैं. उन्हें क्रिकेट फैंस मिस्टर 360 डिग्री के नाम से बुलाते हैं. उन्हें यह नाम इसलिए मिला था क्योंकि उनके पास मैदान के चारों ओर ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करने की काबिलियत थी. डिविलियर्स के बाद कई युवा खिलाड़ियों ने उनके खेलने के अंदाज को अपनाया. मौजूदा वक्त में कुछ ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्हें 360 डिग्री कहा जाता है. इनमें भारत के सूर्यकुमार यादव (Suryakumar Yadav) और साउथ अफ्रीका के बेबी एबी (Baby AB) नाम से फेमस खिलाड़ी डेवाल्ड ब्रेविस (Dewald Brevis) का नाम सबसे आगे है.
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सूर्यकुमार यादव सीनियर खिलाड़ी हैं. हालांकि उन्होंने 30 की उम्र में 2021 में टीम इंडिया के लिए डेब्यू किया था. इन दो सालों में सूर्या अपने आप को बतौर 360 डिग्री बल्लेबाज साबित कर चुके हैं. वहीं, डेवाल्ड ब्रेविस अभी युवा खिलाड़ी हैं. उन्होंने अंडर-19 टी20 वर्ल्ड कप में कमाल का प्रदर्शन किया था और अब वह फ्रेंचाइजी क्रिकेट में धूम मचा रहे हैं. ऐसे में जब पूर्व 360 डिग्री बल्लेबाज एबी डिविलियर्स से इन दोनों खिलाड़ियों की बल्लेबाजी में समानता से जुड़ा सवाल पूछा गया तो उन्होंने इसका से जवाब दिया.
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TOI से बातचीत करते हुए डिविलियर्स ने कहा, 'सूर्या और डेवाल्ड में गेम अप्रोच को लेकर बहुत समानताएं हैं. जब ये दोनों गेंदबाज के सामने होते हैं तो बेहद आक्रामक होते हैं. ये बल्लेबाज गेंदबाजों को सेटल ही नहीं होने देते. डेवाल्ड निश्चित तौर पर अभी बहुत युवा है और उन्हें बहुत कुछ सीखने की जरूरत है, वहीं सूर्या काफी अनुभवी हैं. वह अपना खेल जान चुके हैं. यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने IPL खेलने के बाद काफी लंबा सफर तय किया है. दोनों का खेल देखकर मैं काफी उत्साहित होता हूं. दोनों का भविष्य चमकदार है.'
'सूर्यकुमार जैसे प्लेयर खेल का स्तर ऊंचा करते हैं'
डिविलियर्स कहते हैं, 'सूर्यकुमार अपने गेम को अगले स्तर पर ले जा चुके हैं. इनके जैसे खिलाड़ियों का क्रिकेट में होना बेहद शानदार है क्योंकि यह खेल के स्तर को ऊंचा करते हैं. डेवाल्ड अभी युवा है और उन्हें लंबा सफर तय करना है. वह हम सब को बता चुके हैं कि उनमें टेलेंट है, उन्हें सिर्फ उस टेलेंट को निखारने की जरूरत है. उनके पास वक्त है. उन्हें अपनी मजबूत और कमजोर पक्ष को पहचानना है. उन्हें यह भी समझने की जरूरत है कि पहले गैर में बल्लेबाजी कैसे की जाती है. हमेशा पांचवें गैर में नहीं चलना है. यह सब वह वक्त के साथ सीख जाएंगे.'