क्रिकेट के खेल में कई तरह के शब्द आते हैं जिसे समझना आसान नहीं होता। कई बार क्रिकेट के ये शब्द हम हर बार मैच के दौरान सुनते हैं मगर उसका सही अर्थ हमें मालूम नहीं होता।
ऐसा ही एक शब्द है रिवर्स स्विंग। यह शब्द एक बार फिर चर्चा में इसलिए है क्योंकि ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट टीम ने बॉल टेंमरिंग की है और हर कोई कह रहा है कि इससे स्विंग में मदद मिलती है।
आइए जानते हैं क्या होती है ये रिवर्स स्विंग और कैसे गेंद से छेड़छाड़ (बॉल टेंमरिंग) करने पर गेंदबाज को इसमें मदद मिलती है।
क्रिकेट में मुख्य रूप से दो तरह की स्विंग होती है
क्रिकेट में 2 तरह की स्विंग होती है। एक इनस्विंग होती है और दूसरी आउटस्विंग। जब गेंद नई होती है और गिरने के बाद बल्लेबाज की तरफ आती है तो उसे इनस्विंग कहते हैं जबकि बॉल गिरने के बाद बल्लेबाज से दूर बाहर की तरफ जाए तो उसे आउटस्विंग कहते हैं।
इन दोनों के अलावा एक और प्रकार की स्विंग रिवर्सस्विंग होती है। जब मैच में गेंद पुरानी हो जाती है और उसकी चमक कम होने लग जाती है तो गेंद को स्विंग कराने में दिक्कत होती है।
ऐसे में रिवर्स स्विंग काम आती है। रिवर्स स्विंग में तेज गेंदबाज गेंद को इन-स्विंग के एक्शन से आउट-स्विंग कराते हैं और आउट-स्विंग के एक्शन से इन-स्विंग। यानी बल्लेबाज ये भांप नहीं पाता कि गेंद किस दिशा में स्विंग करने वाली है।
और पढ़ें: क्या होती है बॉल टेंपरिंग और इसको लेकर क्या है ICC के नियम
रिवर्स स्विंग कराने के लिए गेंदबाज गेंद की सीम (सिलाई) के एक तरफ के हिस्से को लगातार चमकाते रहते हैं और दूसरे तरफ के हिस्से को खुरदरा बनाते रहते हैं। इस तरह 20-30 ओवरों के बाद गेंद के दोनों तरफ के हिस्से असमान हो जाते हैं। रिवर्स स्विंग कराने के लिए गेंदबाज सिलाई पर अंगुलियों को रखकर हाथ को शरीर से जितना हो सके दूर रखकर गेंद फेंकते हैं।
रिवर्स स्विंग के लिए अक्सर होती है बॉल टेंमरिंग
रिवर्सस्विंग के लिए जरूरी है कि गेंद का एक हिस्सा चमकदार रहे और दूसरा खुरदरा और इसलिए ही कई बार खिलाड़ी चुपके से वैसलीन या सनस्क्रीन का इस्तेमाल करके गेंद का एक हिस्सा चमकाते हैं और किसी नुकेले चीज का इस्तेमाल कर गेंद को खुरदरा करने की कोशिश करते हैं। ऐसा करना आईसीसी के नियमों के खिलाफ है।
यह भी पढ़ें: बीजेपी-आरएसएस पर भड़की ममता, पूछा, 'कभी राम को बंदूक के साथ देखा है क्या?'
Source : News Nation Bureau