भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) द्वारा यहां आयोजित कराए गए रणजी कॉनक्लेव में घरेलू टीमों के कप्तानों और प्रशिक्षकों ने रणजी ट्रॉफी में निर्णय समीक्षा प्रणाली (डीआरएस) लागू करने और टॉस में सिक्के के इस्तेमाल को खत्म करने के सुझाव दिए हैं. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) अपनी घरेलू क्रिकेट का स्तर और मजबूत बनाना चाहता है. इसलिए अब वह इंटरनैशनल मैचों की ही तरह घरेलू मैचों में भी डिसीजन रिव्यू सिस्टम (DRS) का इस्तेमाल करने पर विचार कर रहा है. बीते साल रणजी ट्रॉफी में खराब अंपायरिंग को लेकर कई मामले उठे थे. ऐसी उम्मीद की जा रही थी कॉनक्लेव में अंपायरिंग को लेकर बात की जाएगी.
डीआरएस अभी तक सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में ही लागू किया जाता है, लेकिन बीते सीजन मैचों की संख्या बढ़ने के कारण कप्तान और प्रशिक्षकों ने मौजूदा तकनीक के साथ इसे घरेलू सत्र में लागू करने का सुझाव दिया है.
बीते सीजन रणजी ट्रॉफी सेमीफाइनल में कर्नाटक के खिलाफ सौराष्ट्र के बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा को तब नॉट आउट दिया गया था जब गेंद उनके बल्ले का बाहरी किनारा लेकर कैच कर ली गई थी. इस मैच में पुजारा ने शतक जमाया था और इससे मैच का परिणाम बदल गया था.
इसके साथ-साथ बोर्ड इस बात पर भी विचार कर रहा है कि अब घरेलू मैचों में टॉस का इस्तेमाल भी न हो. शुक्रवार को कप्तानों और कोचों की सालाना बैठक का आयोजन हुआ. इस मीटिंग में इन दो खास बिंदुओं पर भी चर्चा हुई.
इस सालाना मीटिंग में घरेलू क्रिकेट में टॉस के इस्तेमाल न करने पर कहा गया कि टॉस के बजाए मेहमान टीम को यह तय करने का मौका मिलना चाहिए कि वह पहले बैटिंग करने चाहते हैं या बोलिंग. इससे मेजबान टीम को अपने घरेलू मैदान पर मिलने वाले अडवांटेज को कम किया जा सकता है.
BCCI अधिकारी के अनुसार, 'कप्तानों और कोचों ने यह प्रस्ताव रखा कि होम अडवांटेज को बेअसर करने के लिए टॉस को खेल से हटा दिया जाना चाहिए. हालांकि इस पर कोई निर्णय लेने से पहले यह देखना होगा कि क्या यह संभव है क्योंकि बीसीसीआई अपने घरेलू स्तर पर भी आईसीसी के नियमों का ही पालन करता है. आईसीसी के नियम कहते हैं कि आपको मैच की शुरुआत से पहले टॉस की जरूरत है. इंग्लिश क्रिकेट बोर्ड इस नियम को अपना सकता है क्योंकि वे अपने मेरिलबोर्न क्रिकेट क्लब (MCC) के नियमों का पालन करता है.'
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इस मीटिंग में भाग लेने वाले लोग इस बात पर भी सहमत दिखे कि रणजी ट्रॉफी में प्लेट ग्रुप में दो क्वॉर्टर फाइनल का तरीका सही नहीं हैं.
बीसीसीआई ने पिछले सत्र में ही रणजी टीमों को तीन ग्रुप में बांटा है. पहले दो ग्रुप (A और B) में एलीट टीमों को रखा गया है, जबकि ग्रुप C में नई टीमें (नॉर्थईस्ट, उत्तराखंड और बिहार) शामिल हैं.
रणजी ट्रॉफी के क्वॉर्टर फाइनल में इन तीन ग्रुपों की टीमें अंतिम 8 में अपनी जगह पक्की करती हैं. इस प्लानिंग से नई टीमों का अंतिम 8 में पहुंचना तो बहुत आसान है, जबकि एलीट ग्रुप की टीमों के लिए अंतिम 8 में जगह बना पाना मुश्किल हो रहा है.
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पिछले सीजन बीसीसीआई ने ग्रुप A और B से 5 टीमों को क्वॉर्टर फाइनल खेलने का मौका दिया था. मीटिंग के ज्यादातर सदस्य चाहते थे कि इसे 5 की बजाए 6 किया जाए और ग्रुप C से 2 टीमों को पहले की ही तरह अंतिम 8 में जगह पक्की करने का मौका मिले.
Source : News Nation Bureau