पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने गुरुवार को कहा कि चयन समिति को महेंद्र सिंह धोनी को बता देना चाहिए कि यह अनुभवी विकेटकीपर बल्लेबाज उनकी भविष्य की रणनीति का हिस्सा है या नहीं. ऐसी अटकलें लगायी जा रही हैं कि टेस्ट प्रारूप से पहले ही संन्यास ले चुके धोनी ने अपना अंतिम वनडे खेल लिया है जो विश्व कप में भारत का सेमीफाइनल था जिसमें टीम को हार का मुंह देखना पड़ा था.
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सहवाग को लगता है कि संन्यास लेना धोनी का व्यक्तिगत फैसला है, लेकिन चयनकर्ताओं को वेस्टइंडीज के खिलाफ टीम की घोषणा करने से पहले उनसे बात करनी चाहिए. सहवाग ने कहा, यह निर्णय महेंद्र सिंह धोनी पर छोड़ देना चाहिए कि उसे कब संन्यास लेना चाहिए. चयनकर्ताओं का दायित्व है कि वे धोनी से बात करें और उसे सूचित करें कि भविष्य में वह भारत के विकेटकीपर बल्लेबाज नहीं होंगे. काश चयनकर्ताओं ने मुझसे भी मेरी योजना के बारे में पूछा होता.
सहवाग ने पैनल के सदस्य संदीप पाटिल को निशाना बनाते हुए यह बात कही, पाटिल उस समय मुख्य चयनकर्ता थे जब सहवाग को 2013 में टीम से बाहर किया गया था और इसके बाद से वह वापसी नहीं कर पाये. पाटिल ने फिर राष्ट्रीय टेलीविजन पर सहवाग से माफी मांगी. पाटिल ने वहां कहा, सचिन (तेंदुलकर) से भविष्य के बारे में बात करने की जिम्मेदारी मुझे और राजिंदर सिंह हंस को दी गयी थी जबकि यही जिम्मेदारी सहवाग के लिये विकी (विक्रम राठौड़) को सौंपी गयी थी. हमने उससे पूछा तो उसने कहा कि उसने सहवाग से बात कर ली है, लेकिन अगर सहवाग कह रहा है कि विक्रम ने उससे बात नहीं की थी, तो मैं इसकी जिम्मेदारी लेना चाहूंगा.
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सहवाग ने पाटिल को याद दिलाया कि टीम की घोषणा के बाद खिलाड़ियों से बात करने का कोई मतलब नहीं है. उन्होंने कहा, विक्रम ने मुझसे तब बात की जब मुझे बाहर कर दिया गया था. अगर वह मुझसे टीम की घोषणा से पहले बात करते तो यह औचित्यपूर्ण होता. एक बार क्रिकेटर को बाहर किये जाने के बाद उससे बात करने का कोई मतलब नहीं है. अगर एमएसके प्रसाद धोनी से तब बात करें जब उन्हें टीम से बाहर कर दिया जाये तो धोनी क्या कहेगा कि वह प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलेगा और अगर वह रन जुटाता है तो चयनकर्ताओं को उसे तब चुनना चाहिए. बात यह है कि चयनकर्ताओं को बाहर किये जाने से पहले क्रिकेटरों से बात करनी चाहिए.
भारत के पहले विश्व कप विजेता कप्तान कपिल देव हालांकि इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते हैं. उन्होंने कहा, मुझे नहीं लगता कि अगर खिलाड़ी चुना जाता है तो चयनकर्ता उस खिलाड़ी से बात करता है, इसलिये मुझे नहीं लगता कि जब उसे टीम से बाहर किया जाता है तो इस बारे में उससे बात करने की जरूरत है.