कोलकाता की अलीपुर अदालत ने भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद शमी के खिलाफ के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. शमी के खिलाफ 2018 में उनकी पत्नी हसीन जहां ने मामला दर्ज करवाया था जिसके संदर्भ में उनके खिलाफ यह वारंट जारी किया गया है. भारतीय तेज गेंदबाज को सरेंडर करने और जमानत के लिए अप्लाइ करने के लिए 15 दिनों का समय दिया गया है. हालांकि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने साफ कर दिया है कि जब तक वह चार्जशीट नहीं देखते तब तक शमी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी.
ये भी पढ़ें- US Open 2019: कंधे की चोट की वजह से बीच टूर्नामेंट से बाहर हुए नोवाक जोकोविक
बीसीसीआई के एक अधिकारी ने बताया कि अभी इस मामले पर किसी भी तरह का ऐक्शन लेना जल्दबाजी होगी. एक बार चार्जशीट देखने के बाद ही हम कोई फैसला ले पाएंगे. अधिकारी ने कहा, ''हम समझते हैं कि गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है. लेकिन हमें नहीं लगता कि हमें अभी इस मामले में दखल देने की जरूरत है. एक बार हम चार्जशीट देख लें तब हम तय करेंगे कि क्या बीसीसीआई के संविधान के अनुसार कोई ऐक्शन लेने की जरूरत है. लेकिन इस समय तो मैं यही कह सकता हूं कि कुछ भी करना जल्दबाजी होगी.''
ये भी पढ़ें- इशांत शर्मा ने तोड़ा कपिल देव का ये खास रिकॉर्ड, ऐसा कारनामा करने वाले बने दूसरे भारतीय गेंदबाज
अधिकारी से जब पूछा गया कि क्या शमी के खिलाफ 2018 में सीओए ने अनुबंध को रोक लेने की नीति अपनाई थी, क्या वही नीति इस बार भी अपनाई जाएगी तो अधिकारी ने कहा कि तब इस मामले का संबंध मैच फिक्सिंग से अधिक था जिसका आरोप उनकी पत्नी ने लगाया था. अधिकारी ने कहा, ''वह अलग था. शमी पर उस समय यह आरोप थे कि वह मैच फिक्सिंग में शामिल रहे हैं. इसलिए तब सीओए को लगा था कि भ्रष्टाचार रोधी इकाई (एसीयू) के तत्कालीन अध्यक्ष नीरज कुमार का इस मामले को देखना उपयुक्त होगा. नीरज ने अपनी जांच में शमी को निर्दोष पाया था. इसके बाद उनका अनुबंध बहाल किया गया.''
उन्होंने कहा, ''इस बार यह मामला घरेलू हिंसा का है. इस समय जो स्थिति है उसे देखते हुए उनका अनुबंध खत्म करने की जरूरत नहीं है. मुझे पूरी उम्मीद है कि शमी एक बार जब देश वापस आ जाएंगे, तब वो सभी जरूरी कदम उठाएंगे.'' शमी इस समय किंग्सटन में विंडीज के साथ जारी दूसरे टेस्ट मैच में हिस्सा ले रहे हैं.
Source : आईएएनएस