लंबे समय से चल रहे कयासों को लगाम लगाते हुए कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धोनी ने अपने कूल अंदाज में कप्तानी को अलविदा कह दिया। एक बेस्ट फिनिशर से लेकर एक करिश्माई कप्तान तक के इस सफर में कैप्टन कूल ने आईसीसी के सभी टाइटल को टीम इंडिया के नाम करवाया।
फिनिशर कप्तान
2 अप्रैल 2011 की वर्ल्ड कप कौन भूल सकता है। मुंबई का वानखेडे़ स्टेडियम युवी-धोनी के नारों से गूंज रहा था। स्ट्राइक पर थे युवराज और सामने थे श्रीलंका के गेंदबाज नुवान कुलसेकरा। युवराज ने 48वें ओवर की पहली गेंद पर एक रन लिया। जिसके बाद स्ट्राइक पर आ गये कप्तान धोनी। धोनी के सामने मौका था एक बेहतरीन फिशिर देकर टीम को वर्ल्ड कप का तोहफा देने का।
कुलसेकरा ने अपनी दूसरी बॉल फेकी और कप्तान धोनी के बैट से निकला उनका अपना फेवरेट हैलीकॉप्टर शॉट। और इसी के साथ सभी की सांसे थामते हुए कप्तान धोनी ने पूरे देश को अभी तक का सबसे बेहतरीन फिनिश दिया। फिनिशर के रूप में धोनी की इस पारी को हमेशा याद किया जाएगा। धोनी ने खुद को बैटिंग ऑर्डर में प्रमोट करके अंत तक भारतीय टीम को जीत दिलाई।
नहीं देखने को मिलेगी करिश्माई कप्तानी
धोनी को क्रिकेट इतिहास में करिश्माई कप्तान कहा जाता है। क्रिकेट के मैदान पर उन्होंने कई बार ऐसे जोखिम उठाए जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। अब यह मैजिकल कप्तानी देखने को नहीं मिलेगी।
माही मार रहा है
एक ऐसा खिलाड़ी जो सहवाग, सचिन, गांगुली, द्रविड़ जैसे बड़े नामों के रहते हुए भारतीय टीम ना सिर्फ अपनी जगह बनाता है बल्कि स्लॉग ओवर में रनों के दबाव झेल रही टीम इंडिया के बेस्ट फिनिशर के रूप में सामने आता है। हालांकि भारतीय टीम के लिए सबसे राहत की बाहत यह है कप्तान धोनी वनडे और टी-20 टीम के साथ अपना योगदान देते रहेंगे
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टीम इंडिया को मिला बेस्ट फिनिशर
4 सितम्बर 2005 को ज़िम्बाव्बे के खिलाफ वनडे मैच में धोनी ने फिनिशर के रूप में अपना असली रंग दिखाया। 251 रन के विजय लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत ने जब सिर्फ 91 रन पर पांच विकेट गवां दिए थे, तब धोनी बल्लेबाजी करने आए। धोनी और युवराज के बीच अच्छी साझेदारी हुई। आखिरी दस ओवरों में भारत को जीतने के लिए 68 रन की जरूरत थी। धोनी ने छक्का लगाते हुए भारत को जीत दिलवायी थी। 11 गेंद शेष रहते भारत ने यह मैच जीत लिया और धोनी 67 रन पर नाबाद थे। जिसके बाद धोनी के रूप में मिला टीम इंडिया का सबसे बड़ा फिनिशर
दूसरों को भी दिया मौका
ऐसा नहीं है कि धोनी ने सिर्फ खुद को स्थापित किया बल्कि दूसरों को भी आगे बढ़कर खेलने का मौका दिया। जब बात आयी टीम को फ्रंटफुट से लीड करने की तो धोनी फिनिशर की भूमिका छोड़ तीसरे या चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करने को आये। धोनी ने समय-समय पर सुरैश रैना, रवीन्द्र जडेजा को फिनिशर के रूप में प्रमोट किया। हालांकि कुछ वक्त पहले ही धोनी ने यह बयान दिया कि अब उनकी जगह किसी और को फिनिशर की जिम्मेदारी निभानी चाहिए। ताकि दूसरों को भी जिम्मेदारी निभाने का पूरा मौका मिले।
Source : News Nation Bureau