कभी शरीफों और रईसों की पहली पसंद रहे 'क्रिकेट' जैसे खेल के तमाम स्याह सच दुनिया भर की जांच एजेंसियों की फाइलों में मौजूद हैं. वह चाहे दिल्ली पुलिस हो, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) या फिर इंग्लैंड की न्यू स्कॉटलैंड यार्ड. कालांतर में सफेद रहे इसी क्रिकेट के आज बदरंग पन्ने पलटने पर सौ-सौ काले सच सामने आते हैं. इन्हीं में से एक वह सच भी है, जिसमें इस केस की पड़ताल से जुड़ी फाइलें 13 साल तक दिल्ली पुलिस के 12-13 दारोगाओं की अलमारियों में बंद पड़ी रही थीं. इन तमाम सनसनीखेज खुलासों की चर्चा आजकल सुर्खियों में है. इसकी प्रमुख वजह है, दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की टीम का करीब 10 दिनों से लंदन में डेरा डाला जाना. दिल्ली पुलिस अपराध शाखा की यह टीम 2000 के दशक में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के फरार सट्टेबाज संजीव चावला को लेने लंदन गई है. संजीव चावला वही सट्टेबाज है, जिसने रातों-रात दौलतमंद बनाने का लालच देकर, दक्षिण अफ्रीकी कप्तान हैंसी क्रोनिये सहित दुनिया के तमाम क्रिकेटरों का करियर हमेशा-हमेशा के लिए तबाह कर दिया था. हैंसी की बाद में एक हवाई दुर्घटना में संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई थी.
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अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सट्टेबाजों की घुसपैठ की जांच में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े रहे सीबीआई के पूर्व संयुक्त निदेशक और दिल्ली पुलिस के रिटायर्ड पुलिस आयुक्त नीरज कुमार ने शनिवार को दिल्ली में आईएएनएस के साथ विशेष बातचीत में इस कथित 'जेंटलमेन-गेम' के कई स्याह सच बताए. बकौल नीरज कुमार, कभी भद्रजनों की बपौती समझे जाने वाले और आज इस मैले हो चुके खेल में सट्टेबाजों की घुसपैठ की जांच से मैं हमेशा ही प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा रहा था. सीबीआई में संयुक्त निदेशक था तब भी, बाद में जब दिल्ली का पुलिस आयुक्त बना तब भी. नीरज कुमार ने बताया, मुझे सबसे बड़ी हैरत तब हुई, जब 2000-2001 में दिल्ली पुलिस की तमाम टीमों द्वारा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सट्टेबाजी के खेल का भंडाफोड़ किए जाने की फाइलें 13 साल तक अंजाम तक ही नहीं पहुंचाई जा सकीं. साल 2013 की बात है, मैं दिल्ली का पुलिस आयुक्त बना. मैंने सोचा कि क्रिकेट सट्टेबाज संजीव चावला की फाइल देखी जाए. पता चला फाइल तो मिल ही नहीं रही है. आखिरकार जब मैं अपनी पर उतर आया तो दिल्ली पुलिस के मातहत अफसरों को लगा कि अब वह फाइल तलाश कर मेरी टेबल पर लानी ही होगी.
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नीरज कुमार ने आगे बताया, तब जाकर सट्टेबाज संजीव चावला की फरारी वाली फाइल बरामद हो सकी. फाइल मिली अशोक विहार इलाके में एक पुलिस वाले की अलमारी में. तब तक 13 साल में संजीव चावला की फरारी केस के 12-13 जांच अधिकारी बदले जा चुके थे. यह अलग बात है कि इतने साल गुजर जाने के बाद भी न संजीव चावला दिल्ली पुलिस को मिल सका और न ही किसी पुलिस अफसर ने फाइल को कोई अहमियत देना मुनासिब समझा. बकौल नीरज कुमार, फाइल तो मिल गई, लेकिन समस्या थी कि अब इस फाइल को आगे कैसे बढ़ाया जाए. इसके लिए मैंने उस वक्त दिल्ली पुलिस अपराध शाखा में विशेष आयुक्त रहे धर्मेंद्र कुमार को पूरी बात बताई. मैंने उनसे कहा कि मैं 31 जुलाई, 2013 को दिल्ली पुलिस आयुक्त पद से रिटायर होने वाला हूं. 13 साल से फरार चल रहे क्रिकेट के इस अंतरराष्ट्रीय सट्टेबाज संजीव चावला के खिलाफ अदालत में आरोप-पत्र दाखिल करके कमिश्नरी छोड़ने का मन है. संजीव चावला का आरोप-पत्र तैयार कराने में मैंने जो कदम उठाए, उसके अलावा विशेष आयुक्त धर्मेंद्र कुमार और संयुक्त पुलिस आयुक्त आलोक कुमार ने दिन-रात जिस तरह मदद की, उसे मैं ताउम्र नहीं भूल सकता हूं.
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उन्होंने कहा, मुझे खूब याद है कि सटोरिए संजीव चावला की फरारी की फाइल तलाश कर रिटायरमेंट वाले दिन उसके आरोप-पत्र पर मैं अपनी अंतिम मुहर न लगा आया होता तो दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की टीम को संजीव चावला को लंदन से भारत लाने का मौका शायद आज भी ब-मुश्किल ही मिल पाता. मुझे आज इस बात की बेहद खुशी है कि चलो कम से कम वह दिन तो आया जब संजीव चावला जैसे भगोड़े अंतरराष्ट्रीय अपराधी को भारत लाने की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है.
Source : IANS