क्रिकेट (cricket) कई दशक से भारत का सबसे लोकप्रिय खेल माना जाता रहा है लेकिन 90 के दशक से अब तक भारतीय क्रिकेट टीम (indian cricket team) में कई बड़े बदलाव आए हैं. नहीं-नहीं, हम खिलाड़ियों और खेल के फार्मेट में बदलाव की बात नहीं कर रहे हैं. हम तो खेलने के अंदाज और टीम के नेचर की बात कर रहे हैं. आज भारतीय क्रिकेट टीम में तमाम ऐसी क्वालिटी हैं, जिसकी पूर्व खिलाड़ी भी तारीफ करते हैं. अब भारतीयों ने तमाम ऐसी बातें सीख ली हैं, जिसकी भारतीय टीम में कभी कमी मानी जाती थी. आइए ऐसे बड़े बदलावों (change) के बारे में आपको बताते हैं.
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सबसे पहला और सबसे बड़ा बदलाव जो पिछले दो दशकों में आया है वो है फिल्डिंग और फिटनेस में. 90 के दशक में भारतीय क्रिकेट टीम की फिल्डिंग कुछ खास नहीं मानी जाती थी. आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रिका और न्यूजीलैंड के खिलाड़ी इस मामले में बहुत आगे माने जाते थे, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं. दुनिया के सबसे बेहरतीन फिल्डरों में भारत के कई फिल्डर शुमार हैं.
दूसरा सबसे बड़ा बदलाव तेज गेंदबाजी में आया है. आज भारत के पास तेज गेंदबाजी के रूप में कई विकल्प मौजूद हैं. पहले टीम एक या दो गेंदबाजों पर ही निर्भर रहती थी. एक समय ये हाल था की पूर्व तेज गेंदबाज श्रीनाथ को खेल से संन्यास की घोषणा के बाद टीम में महज इसलिए वापसी करनी पड़ी क्योंकि कोई स्तरीय गेंदबाज टीम के पास नहीं था. लेकिन अब भारत के पास तेज गेंदबाजों की अच्छी-खासी लाइन अप है. भारत के कई तेज गेंदबाज इस समय विश्व के सबसे बेहतरीन तेज गेंदबाजों में गिने जाते हैं.
तीसरा सबसे बड़ा बदलाव जो अब टीम में दिखता है वो है आक्रामक बॉडी लैग्वेंज. 90 के दशक में कई टीमें मैदान में आक्रामक नेचर के लिए जानी जाती थीं, जबकि भारतीय टीम उनके सामने चुपचाप से दिखती थी. पहले विपक्षी टीमें स्लेजिंग जैसी चीजों को हथियार बनाकर भारतीय खिलाड़ियों को परेशान करती थीं लेकिन अब भारतीय खिलाड़ियों ने माकूल जवाब देना सीख लिया है. हम कह सकते हैं कि अब भारत के खिलाड़ी भी किसी मामले में कम नहीं है.
HIGHLIGHTS
- पहले से बहुत बदली नजर आती है अब भारतीय टीम
- भारतीय टीम के कई क्षेत्रों में हुआ है काफी सुधार
- पूर्व खिलाड़ी भी इन बदलावों को देखकर हैं खुश