एमएस धोनी के संन्यास के फैसले पर पहली बार बोले कोच रवि शास्त्री 

टीम इंडिया के पूर्व कप्तान एमएस धोनी को इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास लिए हुए अब एक साल से भी ज्यादा का वक्त हो या है. लेकिन उनकी प्रसिद्धि, उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है.

author-image
Pankaj Mishra
New Update
MS dhoni

MS dhoni ( Photo Credit : ians)

Advertisment

टीम इंडिया के पूर्व कप्तान एमएस धोनी को इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास लिए हुए अब एक साल से भी ज्यादा का वक्त हो या है. लेकिन उनकी प्रसिद्धि, उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है. अभी भी फैंस  उन्हें उतना ही चाहते हैं, जितना पहले चाहते थे. हालांकि जब 15 अगस्त 2020 की शाम को एमएस धोनी ने रिटायरमेंट का ऐलान किया था, उस वक्त हर कोई भौचक था. किसी को समझ में नहीं आया कि अचानक ऐसा क्या हो गया कि धोनी ने सोशल मीडिया पर मैसेज करके क्रिकेट को अलविदा कह दिया. खुद धोनी ने उसके बाद भी अभी तक इस बारे में कोई बात नहीं की है, हालांकि धोनी अभी आईपीएल खेल रहे हैं और इसी महीने होने वाले आईपीएल 2021 के फेज टू में फिर से खेलते हुए नजर आएंगे. 

यह भी पढ़ें : IPL 2021 : पहले मैच में क्‍या हो सकती है एमएस धोनी की CSK की प्‍लेइंग इलेवन 

भारतीय टीम के कोच रवि शास्त्री का कहना है कि टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का अचानक टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसला साहसी और निस्वार्थ कदम था. रवि शास्त्री ने साथ ही कहा कि एमएस धोनी 2014 में 90 टेस्ट खेल चुके थे लेकिन उन्होंने 100 टेस्ट खेलने तक का इंतजार नहीं किया. रवि शास्त्री ने अपनी किताब स्टारगेजिंग : द प्लेयर्स इन माई लाइफ में लिखा है कि एमएस धोनी उस वक्त ना सिर्फ भारत के बल्कि दुनिया के सबसे बड़े खिलाड़ी थे जिनके नाम तीन आईसीसी ट्रॉफी थी जिसमें दो विश्व कप शामिल हैं. उनकी फॉर्म अच्छी थी और वह 100 टेस्ट पूरे करने से सिर्फ 10 मैच दूर थे. उन्होंने लिखा है कि एमएस धोनी टीम के टॉप तीन फिट खिलाड़ियों में थे और उनके पास अपने करियर को बूस्ट करने का मौका था. यह सच है कि वह ज्यादा जवान नहीं थे लेकिन इतने उम्रदराज भी नहीं थे. उनका निर्णय समझ में नहीं आया.

यह भी पढ़ें : IPL 2022 : आईपीएल की दो नई टीमों के लिए खर्च करने होंगे इतने करोड़ रुपये 

भारत के पूर्व ऑलराउंडर ने अपनी किताब में कई खिलाड़ियों के बारे में लिखा है, उन्होंने कहा कि उन्होंने भारत के पूर्व विकेटकीपर को अपने फैसले पर फिर से विचार करने के लिए मनाने की कोशिश की. हालांकि, उन्हें लगता है कि धोनी ने इस पर टिके रहकर सही फैसला लिया. शास्त्री ने लिखा है कि सभी क्रिकेटर कहते हैं कि लैंडमार्क और माइलस्टोन मायने नहीं रखते, लेकिन कुछ करते हैं. मैंने इस मुद्दे पर एक संपर्क किया और कोशिश कर रहा था कि वह अपना मन बदल सकें. लेकिन धोनी के लहजे में एक दृढ़ता थी जिसने मुझे मामले को आगे बढ़ाने से रोक दिया. पीछे मुड़कर देखने पर, मुझे लगता है कि उनका निर्णय सही, साहसिक और निस्वार्थ था. उन्होंने कहा है कि क्रिकेट में सबसे पावरफुल पॉजिशन को छोड़ना इतना आसान नहीं होता. धोनी एक अपरंपरागत क्रिकेटर हैं. उनकी विकेट के पीछे और सामने तकनीक का कोई तोड़ नहीं है. शास्त्री ने कहा कि  युवाओं को मेरा सुझाव है कि जब तक यह स्वाभाविक रूप से न आए, तब तक उनकी नकल करने की कोशिश न करें. शास्त्री ने कहा कि धोनी के समय खेलने वाला कोई भी विकेटकीपर इतना तेज नहीं था. वह लंबे समय तक दुनिया के सर्वश्रेष्ठ रहे. धोनी मैदान पर जो कुछ भी हो रहा था, उसके अवलोकन में तेज थे और जब खेल की प्रवृत्ति को पढ़ने के आधार पर निर्णय लेने की बात आती थी तो वह अजीब थे. 

Source : Sports Desk

MS Dhoni Ravi Shastrii
Advertisment
Advertisment
Advertisment