दिल्ली हाई कोर्ट ने अतुल वासन, निखिल चोपड़ा और मनिंदर सिंह को चयनसमिति से हटाए जाने के दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के फैसले को निरस्त कर दिया है। साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि इन्हें हटाने का डीडीसीए का फैसला कोर्ट की अवमानना है और संघ ने एक बार फिर सीमा का उल्लंघन किया है। साथ ही कोर्ट ने डीडीसीए को अगले 48 घंटों में उन सभी क्रिकेट खिलाड़ियों के बकाये को चुकाने को कहा है जो इस समय खेल रहे हैं।
जस्टिस रविंद्र भट्ट और दीपा शर्मा ने डीडीसीए पर कड़ा रूख अपनाते हुए कहा, 'हमें लगता है कि आप (डीडीसीए) यहां सभी के धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं। यह कोर्ट की अवमानना है।' कोर्ट ने डीडीसीए से पूछा कि क्या उसने चयनकर्ताओं के हटाने के फैसले के बारे में जस्टिस मुद्गल को बताया?
कोर्ट ने पिछले ही साल बीसीसीआई में तमाम अनियमितताओं को देखते हुए जस्टिस मुद्गल को बतौर ऑवजर्वर नियुक्त किया था।
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बता दें कि शनिवार को संघ की कार्यकारिणी समिति ने एक बैठक कर हितों के टकराव को आधार बनाते हुए अतुल वासन, निखिल चोपड़ा और मनिंदर सिंह को चयन समिति से हटा दिया था। इन तीनों को पूर्व न्यायाधिश मुकुल मुद्गल की बनाई गई सेलेक्शन पैनल ने नियुक्त किया था।
तीनों को हटाए जाने के बाद जस्टिस मुद्गल ने कोर्ट का रूख किया था। डीडीसीए की ओर से बात रख रहे सीनियर वकील अमन लेखी ने कहा कि तीनों को हटाने का फैसला हितों के टकराव के मामले को देखते हुए लिया गया था। अमन लेखी ने बताया कि उनसे इस बाबत नोटिस भेजकर जवाब भी मांगा गया था। इस पर कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले की बाद में सुनवाई करेगा।
Source : News Nation Bureau