भारत में क्रिकेट पर नियंत्रण रखने वाली संस्था बीसीसीआई में जरूरी सुधारों के लिए सुप्रीम कोर्ट के गठित किए गए लोढ़ा समिति ने साफ कर दिया है कि भारतीय बीसीसीआई के अयोग्य करार दिए गए अधिकारी बोर्ड की बैठक में हिस्सा नहीं ले सकते।
लोढ़ा समिति ने कहा कि राज्य क्रिकेट संघ के प्रतिनिधि के तौर पर या आईसीसी की बैठक में बीसीसीआई के प्रतिनिधि के तौर पर हिस्सा नहीं ले सकते।
सुप्रीम कोर्ट बीसीसीआई के सचिव पद से बर्खास्त कर दिए गए अजय शिर्के के महाराष्ट्र क्रिकेट संघ एमसीए के प्रतिनिधि के तौर पर बीसीसीआई की बैठक में हिस्सा लेने की खबर आने के बाद लोढ़ा समिति ने एक बयान जारी कर 'सामान्य प्रश्नोत्तरी' की दूसरी किश्त जारी की।
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लोढ़ा समिति ने कहा है, 'सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की भावना के अनुरूप अयोग्य करार दिया गया अधिकारी क्रिकेट प्रशासन नहीं संभाल सकता। वह बीसीसीआई या संबद्ध राज्य संघों का प्रतिनिधित्व करने या नामित होने के योग्य भी नहीं होगा और बीसीसीआई में या बीसीसीआई की ओर से वह कोई भूमिका नहीं निभा सकता।'
समिति के बयान में आगे कहा गया है, 'अयोग्य करार दिया गया व्यक्ति बीसीसीआई में संरक्षक या सलाहकार के तौर पर भी नहीं जुड़ सकता और न ही किसी समिति या परिषद की सदस्यता के योग्य रह जाता है।'
समिति स्पष्ट कर देना चाहती है कि क्रिकेट प्रशासन में किसी अधिकारी का कुल कार्यकाल नौ वर्ष होगा, ना कि 18 वर्ष जैसा कि पहले कहा गया था।
समिति ने यह भी स्पष्ट किया कि तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा करने के बाद किसी अधिकारी को तीन वर्ष के 'विराम' पर जाना ही पड़ेगा।
इस नियम के मुताबिक बीसीसीआई अध्यक्ष पद के सबसे प्रबल उम्मीदवार माने जा रहे बंगाल क्रिकेट संघ (सीएबी) के अध्यक्ष और पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को बीसीसीआई अध्यक्ष बनने पहले 'विराम' अवधि बिताना होगा।
Source : IANS