भारतीय टीम के साथ किशोर खिलाड़ी के तौर पर जुड़ने वाले स्पिनर हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) का मानना है कि 22 सत्रों के बाद 40 साल की उम्र में भी कौशल के मामले में वह किसी से कम नहीं हैं. उन्होंने कहा कि अगर किसी को इस मामले में शक है तो देश के सर्वश्रेष्ठ स्पिनरों के साथ उनका कौशल परीक्षण करवा लें. देश के लिए 103 टेस्ट और 236 एकदिवसीय खेलने वाले हरभजन (Harbhajan) ने कहा कि अगर आप उन युवा खिलाड़ियों से मेरी तुलना करना चाहते है तो आप जिसे सर्वश्रेष्ठ समझते है उसके साथ मेरा कौशल परीक्षण करवा लीजिए. T20 मैचों में सात से कम इकोनोमी रेट के साथ 235 विकेट लेने वाले हरभजन सिंह ने कहा कि आप उम्र के बारे में उस समय बात कर सकते है जब गेंद आपके पैरों के बीच से निकल जाए और आपके कंधो में जान ना रहे.
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हरभजन सिंह ने कहा कि मैं भारत के लिए कम से कम 800 दिन तक मैदान पर उतरा हूं. मैंने इतना कुछ हासिल किया है जिसमें किसी की सहानुभूति की जरूरत नहीं है. लेकिन हां, अगर कौशल की बात करें, तो आप किसी के साथ भी मेरा परीक्षण कर सकते है. मैं अभी भी तैयार हूं. हरभजन से जब पूछा गया कि वह घरेलू क्रिकेट खेले बिना आईपीएल में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकते हैं तो उन्होंने कहा, हर किसी का अपना तरीका होता है. अगर किसी को लगता है कि उसके लिए मैच जरूरी है तो उसके लिए यह अच्छा है. मैंने जितना अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला है और अगर मैं नेट पर एक महीने में 2000 गेंद फेंकता हूं तो मेरे लिए यह काफी है.
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पिछले महीने 40 साल के हुए हरभजन सिंह को जब यह बताया गया कि इस साल आईपीएल खेलने को तैयार रवि बिश्नोई और कार्तिक त्यागी जैसे खिलाड़ियों का जन्म उनके टेस्ट पदार्पण के बाद हुआ है तो वह हंसने लगे. हरभजन ने कहा, ऐसा लग रहा है कि आप मुझे यह महसूस कराने की कोशिश कर रहे हैं कि मैं बहुत बूढ़ा हो गया हूं. लेकिन गंभीरता से बात करूं तो मैंने जब पदार्पण किया था तब मोहम्मद अजहरुद्दीन भारत के कप्तान थे. यह एक शानदार यात्रा रही है, उतार-चढ़ाव से भरी और मैं ईश्वर का आभारी हूं कि मैं दो दशकों तक अपने सपने को जी सका. हरभजन का मानना है कि कोविड-19 लॉकडाउन ने उन्हें पहले से ज्यादा फिट होने में मदद की है. उन्होंने कहा, आपको हमेशा लगता है कि अगर और मौका मिला होता तो आप और ज्यादा ख्याति हासिल कर सकते थे. जो मैं देश के लिए नहीं हासिल कर सका शायद वह मेरी किस्मत में था ही नहीं, पर वह एक दूसरा नजरिया होगा.
Source : Bhasha