प्रज्ञान ओझा ने अपने संन्यास लैटर में लिखा कई खिलाड़ियों का नाम, देखें किसने के लिए क्या कहा
प्रज्ञान ओझा ने साल 2009 से 2013 के बीच 24 टेस्ट में 113 विकेट लिए हैं. प्रज्ञान ओझा ट्वीट कर अपने इस्तीफे का ऐलान किया. हालांकि प्रज्ञान ओझा ने अपने फैसले का कारण नहीं बताया.
भारत के बाएं हाथ के अनुभवी स्पिनर प्रज्ञान ओझा (Pragyan Ojha) ने शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय (Pragyan Ojha retirement) से संन्यास ले लिया. खास बात यह है कि प्रज्ञान ओझा ने अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय टेस्ट मैच 2013 में वेस्टइंडीज के खिलाफ मुंबई में सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) के विदाई टेस्ट में खेला था. प्रज्ञान ओझा ने साल 2009 से 2013 के बीच 24 टेस्ट में 113 विकेट लिए हैं. प्रज्ञान ओझा ट्वीट कर अपने इस्तीफे का ऐलान किया. हालांकि प्रज्ञान ओझा ने अपने फैसले का कारण नहीं बताया. प्रज्ञान ओझा ने ट्विटर पर लंबा चौड़ा पत्र भी डाला है. इसमें अपने साथ खेले कई खिलाड़ियों का जिक्र किया गया है.
प्रज्ञान ओझा ने कहा, भारत के लिए इस स्तर पर खेलना हमेशा से मेरा सपना था. मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता कि कितना खुशकिस्मत हूं कि मेरा सपना पूरा हुआ. मुझे देशवासियों का इतना प्यार और सम्मान मिला. उन्होंने सचिन तेंदुलकर से टेस्ट कैप लेने को अपने कैरियर का सबसे यादगार पल बताया. उन्होंने कहा, यह सौ टेस्ट विकेट लेने के बराबर था. मुझे उम्मीद है कि भारतीय क्रिकेट को ऊंचाइयों तक लेने जाने में हरसंभव योगदान देता रहूंगा. अपने कैरियर के शुरुआती चरण में प्रज्ञान ओझा ने टेस्ट में आर अश्विन के साथ कामयाब स्पिन जोड़ी बनाई. उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ 2011 की घरेलू सीरीज में 20 और न्यूजीलैंड के खिलाफ 13 विकेट लिए थे. ओझा ने कहा, मेरे कैरियर में मैने कई उतार चढ़ाव देखे. मुझे अहसास हुआ कि एक खिलाड़ी की महानता उसके मेहनत और समर्पण का ही नहीं बल्कि टीम प्रबंधन, साथी खिलाड़ियों, कोचों, ट्रेनर और प्रशंसकों द्वारा जताए गए भरोसे और उनके मार्गदर्शन का भी फल है.
प्रज्ञान ओझा ने कहा, मैं बीसीसीआई का ऋणी हूं जिसने मुझ पर भरोसा किया और मुझे यह असाधारण मौका दिया. प्रज्ञान ओझा ने कहा, इंडियन प्रीमियर लीग में मेरा सफर यादगार रहा और परपल कैप जीतना मेरे लिए कभी न भूलने वाली स्मृति रहेगी. डेक्कन चार्जर्स और मुंबई इंडियंस टीमों का खास तौर पर शुक्रिया. उन्होंने कहा, मैं वीवीएस लक्ष्मण का भी शुक्रगुजार हूं जिन्होंने बड़े भाई की तरह मुझे मार्गदर्शन दिया. वेंकटपति राजू मेरे रोलमॉडल रहे, हरभजन सिंह लगातार सलाह देते रहे और एमएस धोनी ने मुझे भारत के लिए खेलने का मौका दिया. प्रज्ञान ओझा ने रोहित शर्मा और मनोज तिवारी के साथ हैदराबाद के अमोल शिंदे को भी धन्यवाद दिया. 13 बरस के कैरियर में प्रज्ञान ओझा हैदराबाद के लिए खेले और रणजी ट्राफी में बिहार के कप्तान रहे. उन्होंने कहा, मैं 14 साल तक हैदराबाद क्रिकेट संघ का हिस्सा रहा और यह अनुभव अविस्मरणीय है. मैं बंगाल क्रिकेट संघ और सौरव गांगुली का भी शुक्रगुजार हूं जिन्होंने खराब दौर में मेरा साथ दिया. मैं बिहार क्रिकेट संघ को भी धन्यवाद देता हूं जिसने मुझे कप्तानी का मौका दिया.