Sourav Ganguly on KL Rahul: टीम इंडिया (Team India) के सलामी बल्लेबाज केएल राहुल (KL Rahul) इन दिनों अपने खराब फॉर्म से गुजर रहे हैं. यही वजह है कि उनकी टेस्ट से उपकप्तानी भी चली गई. राहुल अपनी पिछली 10 टेस्ट पारियों में 25 रनों के आंकड़े को भी पार नहीं कर पाए हैं. उन्होंने 47 टेस्ट मैचों में 35 से कम के औसत से रन बनाए हैं. वहीं उन्होंने 9 वर्षों में सिर्फ 5 टेस्ट शतक बनाए हैं. अब उनकी इस खराब फॉर्म की आलोचना भी हो रही है. अब इसपर टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली (Sourav Ganguly) का भी बयान आया है. उन्होंने कहा कि भारत में रन नहीं बनाने पर आलोचना होती है. पहले भी कई खिलाड़ियों के साथ हुआ है. ऐसे में केएल राहुल आलोचना झेलने वाले अकेले खिलाड़ी नहीं हैं.
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'महत्वपूर्ण यह है कि कोच और कप्तान क्या सोचते हैं'
सौरभ गांगुली ने पीटीआई से कहा, ‘जब आप भारत में रन नहीं बनाते हैं तो निश्चित रूप से आपकी आलोचना होगी. केएल राहुल अकेले नहीं हैं. अतीत में भी कई खिलाड़ियों को इस स्थिति का सामना करना पड़ा है.’ भारतीय टीम के पूर्व कप्तान गांगुली ने कहा, ‘खिलाड़ियों पर बहुत दबाव होता है और उन पर बहुत ध्यान दिया जाता है. टीम मैनेजमेंट को लगता है कि वह टीम के लिए एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं. अंत में महत्वपूर्ण यह है कि कोच और कप्तान क्या सोचते हैं.’
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राहुल से बहुत अधिक उम्मीद की जाती है
राहुल ने इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में कुछ बेहतरीन पारियां खेली हैं, लेकिन गांगुली ने कहा कि यह स्पष्ट है कि लोग राहुल जैसे प्रतिभाशाली खिलाड़ी से अधिक उम्मीद करते हैं. उन्होंने कहा, ‘उन्होंने प्रदर्शन किया है, लेकिन निश्चित रूप से आप भारत के लिए खेलने वाले शीर्ष क्रम के बल्लेबाज से कहीं अधिक उम्मीद करते हैं क्योंकि दूसरों द्वारा निर्धारित मानक बहुत ऊंचे हैं.’
राहुल की समस्या तकनीकी है या मानसिक?
गांगुली ने कहा, ‘जब आप कुछ समय के लिए असफल होते हैं तो बेशक आलोचना होगी. मुझे यकीन है कि राहुल में क्षमता है और मुझे यकीन है कि जब उन्हें अधिक अवसर मिलेंगे तो उन्हें रन बनाने के तरीके खोजने होंगे.’ राहुल की समस्या तकनीकी है या मानसिक? यह पूछने जाने पर गांगुली ने कहा, ‘दोनों.’
उन्होंने कहा, ‘अगर आप इस तरह की पिचों पर खेल रहे हैं तो यह और भी मुश्किल हो जाता है क्योंकि गेंद टर्न होने के साथ उछाल भी ले रही है. असमान उछाल है और जब आप फॉर्म में नहीं होते हैं तो यह और भी कठिन हो जाता है.’