भारत दक्षिण अफ्रीका के बीच तीसरा टेस्ट मैच चौथे दिन महज दो ही ओवर में खत्म हो गया. भारत ने यह मैच पारी और 202 रन से जीत लिया. इसके साथ ही तीन टेस्ट मैचों की सीरीज पर भी भारत ने 3-0 से कब्जा कर लिया. तीसरे दिन का खेल खत्म होने तक भारत जीत से महज दो विकेट दूर था. चौथे दिन दूसरे की ओवर में शाहबाज नदीम ने दोनों विकेट एक ही ओवर में ले लिए और मैच खत्म हो गया. इससे पहले भारत ने अपनी पहली पारी नौ विकेट के नुकसान पर 497 रनों पर घोषित की थी. इसके बाद तीसरे ही दिन दक्षिण अफ्रीका को पहली पारी में 162 रनों पर ढेर कर उसे फालोआन दिया. दूसरी पारी में भी दक्षिण अफ्रीका की स्थिति बदल नहीं सकी और टीम लगातार विकेट खोती रही. तीसरे दिन का खेल खत्म होने तक दक्षिण अफ्रीकी टीम भारत से 203 रन पीछे थी, चौथे दिन इसमें एक ही रन का इजाफा और कर सकी और पारी व 202 रन से मैच हार गई. इस सीरीज में वे कौन से कारण थे कि भारत ने शानदार जीत दर्ज की और दक्षिण अफ्रीका को करारी हार का सामना करना पड़ा. आइए जानते हैं इस रिपोर्ट में.
1. रोहित शर्मा की सलामी बल्लेबाजी : भारत की जीत का सबसे अहम कारण सलामी बल्लेबाज रोहित शर्मा रहे. इससे पहले जब भारत ने वेस्टइंडीज का दौरा किया था, तब सलामी बल्लेबाजी की भूमिका मयंक अग्रवाल और केएल राहुल ने की थी. तब इन दोनों ही बल्लेबाजों ने काफी खराब प्रदर्शन किया था. न तो उस सीरीज में राहुल चले और न ही मयंक अग्रवाल ही कुछ खास कर सके. यह बात और है कि उस सीरीज में कप्तान विराट कोहली, चेतेश्वर पुजारा और हनुमा विहारी आदि खिलाड़ियों ने ठीकठाक प्रदर्शन किया था, जिसकी वजह से टीम इंडिया दो के दो मैच जीतने में कामयाब हो गई. हालांकि वेस्टइंडीज की टीम इतनी मजबूत भी नहीं थी. लेकिन यही क्रम अगर दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भी चलता तो मुश्किल हो सकती थी. ऐसे में भारत ने तय किया कि रोहित शर्मा को सलामी बल्लेबाजी की भूमिका दी जाए. बस रोहित आए और टेस्ट में भी हिटमैन की ही तरह छा गए. रोहित ने पहले मैच में दो शतक जमाए और उसके बाद मयंक भी रंग में आ गए और दूसरे मैच में दोहरा शतक ठोक दिया. यह सलामी जोड़ी भारत की जीत में काफी अहम रही.
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2. स्पिनर्स का कमाल : भारत की जीत में स्पिनर्स का अहम योगदान रहा है. यह कोई नई बात नहीं है. हर बार की ही तरह भारत की जीत में स्पिनर्स ने अच्छा प्रदर्शन किया है. इस बार सीरीज में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज रविचंद्रन अश्विन ही रहे. ध्यान रखना होगा कि यह वही रविचंद्रन अश्विन हैं, जिन्हें वेस्टइंडीज के खिलाफ खेले गए दो टेस्ट मैचों में खेलने का मौका नहीं दिया गया था. अब जब भारत में सीरीज थी तो यह तय था कि अश्विन टीम में वापसी करेंगे और हुआ भी यही. इसके बाद वे तीनों टेस्ट मैच खेले और दोनों टीमों में सबसे ज्यादा 15 विकेट लेने में कामयाब रहे. उन्होंने छह पारियों में करीब 25 के औसत से विकेट लिए. यही नहीं, दूसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज भी स्पिनर ही रहे और वह भी भारतीय. भारत के रविंद्र जडेजा ने अश्विन के बाद 13 विकेट लिए. रविंद्र जडेजा ने गेंदबाजी ही नहीं, बल्कि बल्लेबाजी में भी अच्छा प्रदर्शन किया है.
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3. तीन दोहरे शतक : किसी एक टेस्ट सीरीज में एक दोहरा शतक लग जाए, वहीं बड़ी बात होती है, लेकिन इस भारत दक्षिण अफ्रीका की सीरीज में तो तीन तीन दोहरे शतक लग गए. हर मैच में अलग अलग खिलाड़ी ने यह जिम्मेदारी संभाली और टीम को बड़े स्कोर तक पहुंचाया. पहले मैच में यह काम नए नवेले सलामी बल्लेबाज मयंक अग्रवाल ने निभाई. उन्होंने शुरुआती मैच में ही शानदार बल्लेबाजी करते हुए 215 रन की पारी खेल दी. इसी कारण भारत ने बड़ा स्कोर खड़ा किया और भारत ने जीत दर्ज की. दूसरे मैच में यह काम खुद कप्तान विराट कोहली ने किया. उन्होंने 254 रन की पारी खेली और अंत आउट नहीं हुए. इस मैच में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को पारी से हरा दिया. अब बारी हिटमैन रोहित शर्मा की थी. इस बार रोहित ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 212 रन ठोक दिए. इसी का नतीजा रहा और भारत ने यह मैच भी पारी से जीत लिया. भारतीय बल्लेबाज दोहरे शतक जड़ते रहे और दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाज सिर्फ देख रहे थे.
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4. टॉस की भूमिका : भारत की जीत में कहीं न कहीं टॉस की भी भूमिका अहम रही. पहले से लेकर आखिरी टेस्ट तक हर बार भारतीय कप्तान विराट कोहली ने टॉस जीता और उसके बाद पहले बल्लेबाजी करते हुए मैच भी जीत लिया. दक्षिण अफ्रीकी कप्तान फाफ डुप्लेसी बार बार टॉस हारने के बाद इतने परेशान हो गए कि आखिरी टेस्ट में तो वो अपने साथी को लेकर मैदान पर आए, ताकि कम से कम इस मैच तो टॉस जीत लिया जाए, इसके बाद भी वे सफल नहीं हुए और भारतीय कप्तान कोहली ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी चुन ली. तीसरे और आखिरी मैच में भी यही से दक्षिण अफ्रीका ही हार की कहानी लिखी जाने लगी थी. बहुत संभव है कि अगर भारत टॉस हार जाता और दक्षिण अफ्रीकी टीम पहले बल्लेबाजी करती तो वे ज्यादा रन बना सकते थे. ऐसे में वे भी भारत की तरह बड़ा स्कोर बनाने में कामयाब हो सकते थे. लेकिन टॉस हारने के बाद उन्हें हर बार फील्डिंग ही करनी पड़ी.
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5. दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ी : दक्षिण अफ्रीका ही हार का बड़ा कारण खुद दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ी भी रहे. दक्षिण अफ्रीका की सबसे बड़ी समस्या खिलाड़ियों का घायल होते रहना रहा. दूसरा टेस्ट दक्षिण अफ्रीकी टीम हार चुकी थी, इसके बाद अचानक खबर आई कि एडिन मार्कराम दाहिनी कलाई में लगी चोट के कारण तीसरे टेस्ट मैच से बाहर हो गए हैं. हालांकि इससे पहले खेले गए मैचों में भी उनकी कुछ खास भूमिका नहीं रही, लेकिन इसके बाद भी वे अनुभवी खिलाड़ी माने जाते हैं. वे इससे पहले भी भारत का दौरा कर चुके हैं, इसलिए यहां की पिचों को अच्छे से समझते हैं. ऐसे में उनका बाहर होना बड़ा झटका रहा. वहीं तीसरे मैच के ही दौरान डीन एल्गर खेलते हुए उमेश यादव की गेंद पर घायल हो गए थे. उमेश यादव की एक बाउंसर सीधी एल्गर के हेलमेट में लगी और उन्हें बाहर जाना पड़ा. उस वक्त एल्गर 16 रन पर खेल रहे थे. डीन एल्गर दक्षिण अफ्रीका ही नहीं दुनिया के बेहरीन बल्लेबाजों में शुमार किए जाते हैं. एल्गर ने पहले मैच की पहली पारी में शानदार 160 रन बनाए थे. तीसरे मैच में अच्छा खेलते हुए उनका रिटायर हो जाना दक्षिण अफ्रीका को भारी पड़ गया. बहुत संभव था कि अगर इसी तरह खेलते रहते तो कम से कम पारी की हार से तो दक्षिण अफ्रीका को बचा ही सकते थे.
Source : Pankaj Mishra