एजबेस्टन मैदान पर पांच मैचो की सीरीज का पहला टेस्ट भारत 84 रन से हार गया। इस मैच में हार की वजह टीम इंडिया की बल्लेबाजी रही। दुनिया की नंबर 1 टेस्ट टीम और सबसे बेहतरीन बल्लेबाजी वाली लाइनअप 184 का लक्ष्य हासिल करने में भी कामयाब नहीं हो पाई। कोहली एंड कंपनी की चौतरफा आलोचना होने लगी लेकिन फिर भी दूसरे टेस्ट में भारतीय बल्लेबाजों से क्रिकेट फैन्स को काफी उम्मीदें थी, ऐसा लग रहा था कि टीम के बल्लेबाज एजबेस्टन की गलती लॉर्ड्स में नहीं दोहराएंगे लेकिन लॉर्डस में भी बल्लेबाजों ने निराश ही किया। पहली पारी में पूरी टीम 107 रनों पर ही पवेलियन लौट गई। टीम का कोई भी खिलाड़ी 30 रन का आंकड़ा भी नहीं छू सका। पहली पारी में सर्वाधिक स्कोर रविचंद्रन अश्विन का रहा जिन्होंने टीम के कुल स्कोर में 29 रनों का योगदान दिया। दूसरी पारी में भी हाल यही रहा। पूरी टीम इंडिया 130 रन ही बना सकी और मैच पारी और 159 रन से हार गई। मैच की दूसरी पारी में भी अश्विन ने सर्वाधिक 33 रन बनाए।
पहले टेस्ट की तरह दूसरे टेस्ट में भी बल्लेबाजों का हाल 'आया राम गया राम' जैसा था। बल्लेबाज किस जल्दी में थे समझ पाना मुश्किल है। भारतीय बल्लेबाजों को मालूम है कि इंग्लैंड की पिच गेंदबाजों को मदद करती है ऐसे में उन्हें कोशिश करनी थी कि क्रीज पर ज्यादा से ज्यादा वक्त गुजारें। टीम के अधिकतर बल्लेबाज अपना बल्ला शरीर के नजदीक रखने में कामयाब नहीं रहे, दूर से कई शॉट खेलने का प्रयास किया गया। टीम के कई बल्लेबाज गेंद को हल्के हाथों से खेलने में भी कामयाब नहीं हुए। टीम के बल्लेबाज बल्लेबाजी करते समय गेंद को पूरे बल्ले से (फुल फेस ऑफ द बैट) से खेलने में भी असफल होते दिखाई दिए। ऐसा नहीं है कि बल्लेबाजी की यह साधारण पर महत्वपूर्ण टिप्स किसी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी को मालूम नही होगी लेकिन किसी बात का मालूम होना और उसको मैदान पर एग्सक्यूट करना दो अलग-अलग चीजे हैं।
आइए भारतीय बल्लेबाजों के प्रदर्शन पर एक नज़र डालते हैं
मुरली विजय का 'शर्मनाक प्रदर्शन'
कहते हैं क्रिकेट में हर दिन एक नया दिन होता है। आपने पहले कितने भी रिकॉर्ड बनाए हो वह मायने नहीं रखते आप मैच के दिन कैसा खेलते हैं उस पर चर्चा होगी। साल 2014 में जब भारत इंग्लैंड के दौरे पर टेस्ट सीरीज खेलने गई थी तो उस सीरीज में भारत की ओर से सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज मुरली विजय थे। लेकिन चार साल बाद जब एक बार फिर वह इंग्लैंड की धरती पर बल्ला लेकर उतरे तो न वह जोश दिखा न लड़ने का जज्बा। लॉर्ड्स में दूसरे टेस्ट में हालत इतने भयावह रहे कि तमिलनाडु का यह ओपनर दोनों ही पारियों में खाता नहीं खोल सका। दोनों ही पारियो में वह जेम्स एंडरसन के शिकार बने।
केएल राहुल का 'फ्लॉप शो'
सीमित ओवर के खेल में दुनिया के बेहतरीन बल्लेबाजों में गिने जाने वाले केएल राहुल ने भारतीय फैन्स को निराश किया। भारत और इंग्लैंड के बीच दूसरे टेस्ट मैच की दूसरी पारी में राहुल 16 गेंदों पर 10 रन बनाकर पवेलियन लौटे जबकि पहली पारी में उन्होंने 14 गेंदों पर 8 रन बनाए थे। दूसरे टेस्ट मैच में शिखर धवन की जगह पर केएल राहुल को ओपनिंग के लिए भेजा गया था लेकिन वह बुरी तरह फ्लॉप रहे।
चेतेश्वर पुजारा ने भी किया मायूस
एजबेस्टन टेस्ट में चेतेश्वर पुजारा को जगह नहीं मिलने पर कई लोगों ने सवाल किया था। सवाल उठना लाजमी भी है। टीम इंडिया के मिडिल ऑर्डर की जान कहे जाते हैं चेतेश्वर पुजारा। दूसरे टेस्ट में पुजारा को टीम में जगह मिली मगर उसका कोई फायदा टीम को नहीं हुआ। इस मैच की पहली पारी में चेतेश्वर पुजारा दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से रन आउट हो गए। चेतेश्वर पुजारा ने इस मैच में 25 गेंद पर सिर्फ एक रन बनाया। दूसरी पारी में उनके पास एक मौका था लेकिन इस बार भी वह कुछ खास नहीं कर पाए और केवल 17 रन बना सके।
विराट कोहली एजबेस्टन का जादू लॉर्ड्स में नहीं दोहरा पाए
टीम इंडिया के लिए जीत का पर्याय बन चुके कप्तान कोहली ने एजबेस्टन टेस्ट के दोनों पारियों में शतक और अर्धशतक लगाया था लेकिन लॉड्स में वह भी टीम की बल्लेबाजी को मजबूती प्रदान नहीं कर पाए। दूसरे टेस्ट में दुनिया का नंबर 1 टेस्ट बल्लेबाज पहली पारी में 23 और दूसरी पारी में 17 रन ही बना सका। विराट का लंबी पारी न खेल पाना भी टीम के इस प्रदर्शन के लिए बहुत हद तक जिम्मेदार है।
अजिंक्य रहाणे के किया निराश
टीम इंडिया को एक और खिलाड़ी जिससे काफी उम्मीदें थी वह है अजिक्ये रहाणे। रहाणे ने पहली पारी में 15 और दूसरी पारी में 2 रन बनाए थे। खराब प्रदर्शन के बावजूद उन्हें दूसरे टेस्ट में मौका मिला। रहाणे एक बार फिर खुद को साबित करने में असफल रहे और दूसरे टेस्ट की दोनों पारियों में 18 और 13 रन ही बना पाए। दूसरे टेस्ट की पहली पारी के बाद रहाणे ने कहा, 'इससे अधिक चुनौतीपूर्ण हालात नहीं मिल सकते खासकर इस मौसम में ड्यूक गेंद के साथ। एक बल्लेबाज के तौर पर हालांकि आपको खुद पर भरोसा होना चाहिए। यह सिर्फ रन बनाने की नहीं बल्कि अच्छे डिफेंस और गेंद को छोड़ने की भी बात है। एक बल्लेबाज के लिए यहां खेलना काफी चुनौतीपूर्ण है।'
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रहाणे के बयान से यह साफ है कि बल्लेबाजों को यह पता था कि अच्छी गेंद को क्रिकेट के किसी भी फॉर्मेट में सम्मान देना चाहिए। डिफेंस और गेंद को छोड़ने की भी जरूरत उतनी ही है जितनी गेंद खेलकर रन बनाने की। भारत दूसरे टेस्ट में भी हार गया और 5 मैचो की सीरीज में 2-0 से पीछे हो गया है। ऐसे में विराट कोहली की अगुवाई वाली टीम इंडिया को अब मानसिक चुनौती के साथ तकनीकी चुनौतियों पर भी ध्यान देते हुए अभी से तीसरे टेस्ट की तैयारी में लग जाना चाहिए।
इग्लैंड में टेस्ट सीरीज जीतकर टीम इंडिया एक इतिहास रच सकती थी जो फिलहाल मुश्किल दिख रहा है मगर क्रिकेट में कुछ भी संभव है। तीन टेस्ट अभी भी बचे हैं और भारतीय टीम में वापसी करने की हर खूबी है बस जरूरत है तो सकारात्मकता और एकाग्रता की।
Source : Sankalp Thakur