Indian Fast Bowling Attack : विश्व क्रिकेट में सबसे खतरनाक तेज गेंदबाजी आक्रमण के बारे में सोचने पर एंडी रोबटर्स (Andy Robters), माइकल होल्डिंग (Michael Holding), जोएल गार्नर (Joel Garner), कोलिन क्रॉफ्ट (Colin Croft) और मैल्कम मार्शल (Malcolm Marshall) का नाम जेहन में आता है. ऐसे में जबकि कैरेबियाई क्रिकेट (Caribbean cricket) अवसान पर है, तो लगता है कि भारतीय पेसरों (Indian pace battery) ने उसके तेज गेंदबाजों के सारे गुणों को आत्मसात कर लिया है और यही कारण है कि आज वे दुनिया भर में 'अव्वल' बनकर उभर चुके हैं.
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एक समय था जब भारत के पास कपिल देव (Kapil Dev) थे, लेकिन वह अकेले थे. इसके बाद जवागल श्रीनाथ (Javagal Srinath), वेंकटेश प्रसाद (Venkatesh Prasad), जहीर खान (Zaheer Khan) और आशीष नेहरा (Ashish Nehra) और इरफान पठान (Irfan Pathan) आए, लेकिन ये या तो अकेले खेले या फिर दुक्के ही खेल सके. आज आलम यह है कि भारत के पास पांच या यूं कहें कि छह ऐसे तेज गेंदबाज हैं, जो किसी भी हालात में किसी भी टीम के बल्लेबाजी क्रम के परखच्चे उड़ा सकते हैं. जसप्रीत बुमराह (Jaspreet Bumrah), मोहम्मद शमी (Mohammed Shami), उमेश यादव (Umesh Yadav), इशांत शर्मा (Ishant Sharma), भुवनेश्वर कुमार (Bhuvneshwar Kumar) और हार्दिक पांड्या (Hardik Pandya) के रूप में भारत के पास विश्वस्तरीय तेज गेंदबाज हैं और सबसे अहम बात यह है कि ये सभी टीम को एक साथ सेवाएं दे रहे हैं. ऐसे भारतीय क्रिकेट के इतिहास में इससे पहले कभी नहीं हुआ था.
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2019 खत्म होने को है और इस साल हर किसी की जुबान पर भारतीय तेज गेंदबाजों का ही नाम है. इसका कारण भारतीय तेज गेंदबाजों का इस साल का प्रदर्शन है, जो कई मायनों में ऐतिहासिक है. भारत के मौजूदा आक्रमण को देखकर सभी ने माना है कि भारत के पास इस समय के सबसे खतरनाक और काबिल तेज गेंदबाज हैं. यह बात आंकड़ों से भी साबित होती है. 2019 में भारतीय गेंदबाजों का टेस्ट औसत महज 15.16 रहा है, जो प्रदर्शन के लिहाज से अभी तक के क्रिकेट इतिहास में एक कैलेंडर साल में 50 से अधिक विकेट लेने वाले बॉलिंग अटैक का दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. यही नहीं यह इस साल किसी भी तेज गेंदबाजी आक्रमण का सबसे अच्छा औसत भी है. आस्ट्रेलिया 22.49 के साथ दूसरे स्थान पर है. साथ ही यह पिछले 67 साल में किसी एक कैलेंडर साल में किसी टीम के बॉलिंग अटैक का यह सबसे अच्छा सामूहिक गेंदबाजी औसत है. वहीं, भारतीय आक्रमण का इस साल का स्ट्राइक रेट 31.06 है, जो टेस्ट इतिहास में किसी टीम के फास्ट बॉलिंग अटैक का सर्वश्रेष्ठ स्ट्राइक रेट है. इस मामले में आस्ट्रेलिया दूसरे स्थान पर है. आस्ट्रेलियाई गेंदबाजों का इस साल 46.6 स्ट्राइक रेट रहा है. इस दौरान इन भारतीय गेंदबाजों ने कुल 116 विकेट लिए हैं.
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भारत हमेशा स्पिनरों के लिए विख्यात रहा. बीएस चंद्रशेखर, बिशन सिंह बेदी, इरापल्ली प्रसन्ना, वेंकट राघवन के बात की विरासत को मनिंदर सिंह, अनिल कुंबले, हरभजन सिंह ने संभाला. कभी भी भारतीय तेज गेंदबाज चर्चा में नहीं रहे, लेकिन अब तहलका तेज गेंदबाज मचा रहे हैं. बुमराह, ईशांत, उमेश, शमी, भुवनेश्वर के निजी प्रदर्शन की बात करें तो ईशांत ने इस साल कुल छह टेस्ट मैच खेले हैं. इन छह मैचों में लंबी कद काठी के इस गेंदबाज ने 34 विकेट अपने नाम किए हैं. इस दौरान उनका औसत 15.56 और स्ट्राइक रेट 32.5 रहा.
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वहीं, उमेश ने इस साल चार टेस्ट मैच खेले और 14 विकेट अपने नाम किए. उमेश इस साल टेस्ट टीम से बाहर ही चल रहे थे लेकिन भुवनेश्वर कुमार की चोट ने उन्हें दक्षिण अफ्रीका सीरीज में वापसी कराई. उमेश का इस साल का औसत 13.65 रहा है जबकि स्ट्राइक रेट 23.1 है. अपनी स्विंग के दम पर बल्लेबाजों को नचाने वाले शमी भी पीछे नहीं हैं. इस साल पश्चिम बंगाल के इस गेंदबाज ने आठ टेस्ट मैच खेले हैं और 49 विकेट अपने नाम किए हैं. इस दौरान शमी का औसत 16.66 और स्ट्राइक रेट 23.1 रहा. शमी के प्रदर्शन में खास बात यह रही कि वह दूसरी पारी में भारत के लिए बेहद किफायती रहे हैं.
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चोट के कारण दक्षिण अफ्रीका और बांग्लादेश सीरीज से बाहर रहने वाले बुमराह ने इस साल सिर्फ तीन टेस्ट मैच खेले हैं और इन मैचों में दाएं हाथ के इस गेंदबाज ने 19 विकेट अपने नाम किए हैं. बुमराह का औसत अपने साथियों से कम रहा है. बुमराह का इस साल औसत 13.14 रहा है जबकि स्ट्राइक रेट 30.09 रहा. यह आकंड़े बताते हैं कि स्पिन के दबदबे वाली भारतीय टीम के पास अब ऐसे तेज गेंदबाज भी हैं जो हर जगह विकेट निकाल सकते हैं. इनका प्रभुत्व इस तरह का रहा है कि बांग्लादेश के खिलाफ ईडन गार्डन्स स्टेडियम में खेले गए दिन-रात टेस्ट मैच में रवींद्र जडेजा और रविचंद्रन अश्विन जैसे दिग्गज स्पिनर विकेट नहीं ले पाए और मेहमान टीम के पूरे 20 विकेट तेज गेंदबाजों ने ही निकाले.
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यह पहला साल नहीं है जब भारतीय गेंदबाजों ने दमदार प्रदर्शन किया है. साल 2018 में भारत ने अपने लगभग सभी टेस्ट विदेशी जमीन पर खेले थे. भारतीय गेंदबाजों ने इन कुल 11 टेस्ट मैचों में 158 विकेट अपने नाम किए थे. यह एक साल में किसी भी फास्ट बॉलिंग अटैक का विकेटों के लिहाज से दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था. एक साल में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाला फास्ट बॉलिंग अटैक विंडीज का ही रहा जिसमें गार्नर, क्रॉफ्ट, होल्डिंग. मार्शल, रोबटर्स और सिलवेस्टर क्लार्क जैसे गेंदबाज थे. इस आक्रमण ने 1980 में कुल 189 विकेट लिए थे.
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पिछले साल भारत ने यहां लगभग सभी टेस्ट बाहर खेले थे तो वहीं इस साल उसने अपने ज्यादातर टेस्ट भारत में खेले हैं. विदेशी जमीन पर भी भारतीय तेज गेंदबाज अच्छा करते हैं. उल्लेखनीय है कि इशांत, शमी, भुवनेश्वर और बुमाराह ने अपने करियर में अधिकांश विकेट ओवरसीज में लिए हैं. इसका कारण विकेटों और परिस्थतियों से मिलने वाली मदद होता है, लेकिन स्पिनरों का अड्डा मानी जाने वाली भारतीय जमीन पर भी तेज गेंदबाज अगर हावी रहते हैं तो यह बताता है कि तेज गेंदबाजी आक्रमण का पैना पन किस तरह का है और यह निश्चित तौर पर भारतीय क्रिकेट के लिए नए युग की शुरुआत है.
Source : आईएएनएस