दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के इसी महीने होने वाले छह पदों के चुनाव की वोटरों की सूची में 100-250 तक उन लोगों के नाम शामिल हैं, जिनका देहांत हो चुका हैं. ऐसे नामों में डीडीसीए के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के अलावा पूर्व बल्लेबाज चेतन चौहान के नाम शामिल हैं. डीडीसीए की वोटर लिस्ट में कुल 4,270 नाम शामिल हैं. अरुण जेटली के बेटे रोहन जेटली ने बुधवार को डीडीसीए के अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किया. इस सूची में दिवंगत नामों में पूर्व टेस्ट खिलाड़ी राकेश शुक्ला और मन मोहन सूद हैं जो डीडीसीए के सचिव रह चुके हैं. उनके अलावा डीडीसीए के पूर्व महासचिव सुरिंदर सिंह सरीन का नाम भी है.
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भारत के पूर्व विकेटकीपर सुरिंदर खन्ना की पत्नी अभीता खन्ना, भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष नरेंद्र बत्रा के बेटे ध्रुव बत्रा का नाम भी इस सूची में शामिल है, जबकि इनका निधन हो चुका है. ऐसे ही कुछ बड़े नाम जो अब इस दुनिया में नहीं हैं, डीडीसीए की वोटर लिस्ट में हैं. उनमें एनसी बख्शी, राकेश बहादुर माथुर, रमेश कुमार कौशल, दिलबाग सिंह, सुभाष गुप्ता, दर्शन खुराना, देविंदर चौधरी, डीपी सिंह और फारीउद्दीन हैं. डीडीसीए के एक सदस्य ने कहा कि यह तो कुछ नाम हैं जो सूची में हैं. कई ऐसे पुराने सदस्यों के नाम हैं जिन्हें हम जानते तक नहीं हैं और उनका निधन हो चुका है. उनके भी नाम वोटर लिस्ट में हैं. अगर हम सूची को अच्छी तरह से देखेंगे तो पाएंगे की कई लोग विदेशों में बस चुके हैं और जाहिर सी बात है कि वह वोट करने नहीं आएंगे.
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इस सूची को चार सदस्यीय टीम ने मंजूर किया है जिसकी अध्यक्षता सीनियर वकील राजीव बंसल कर रहे हैं. उन्होंने इस सूची को मंजूरी दी है और इसी सूची को डीडीसीए की आधिकारिक वेबसाइट पर डाला गया है. कुछ सदस्य इस बात से हैरान हैं कि यह सब तब हुआ तब चुनाव अधिकारी देश के पूर्व चुनाव आयुक्त हैं. सदस्य का मानना है कि जिन लोगों का निधन हो चुका है, उनके नाम तुरंत हटा देने चाहिए थे. डीडीसीए के अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष और चार निदेशकों के पदों के लिए 17 से 20 अक्टूबर के बीच चुनाव होने हैं.
डीडीसीए के कुछ सदस्यों ने कहा कि जिन लोगों ने यह सूची बनाई है, उन्हें इस काम को गंभीरता से लेना चाहिए था. सदस्य ने कहा कि पहली नजर में तो ऐसा लगता है कि यह सूची जल्दबाजी में बनाई गई है और इस पर गंभीरता से विचार नहीं किया गया है. सूची के आखिरी में लगे नोट को देखिए जिसे देखकर पता चलता है कि सूची बनाने में लापरवाही बरती गई है. वकील बंसल के द्वारा सूची के आखिरी के नोट में लिखा गया है, यह सूची कुल सदस्यों में से 20 लोगों के रैनडम सैम्पल लेकर वेरिफाई करते हुए बनाई गई है, जिसमें से 18 लोगों का पता मिला. एक सदस्य डॉ. नरोत्तम पुरी को लेकर उनके सदस्यता नंबर में गलती थी. वहीं उत्तम बेलानी को लेकर पता चला कि उनके संबंध में केवाइसी नहीं की गई है, लेकिन उनकी जानकारी सदस्यों के रजिस्टर में है.
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आरोप-प्रत्यारोप का दौर हालांकि शुरू हो चुका है. बंसल ने कहा कि उन्हें संघ से जो जानकारी मिली, उसके आधार पर सूची तैयार की गई है. बंसल ने आईएएनएस से कहा कि मुझे जो जानकारी दी गई थी, उस आधार पर यह अंतिम सूची है. मुझे कमप्यूटर को उपयोग करने की अनुमित नहीं दी गई थी, इसिलए उन्हें ही पुष्टि करनी थी. बंसल को जब बताया गया कि सूची में कई ऐसे नाम हैं जिनका निधन हो चुका है तो उन्होंने कहा कि मुझे कोई जानकारी नहीं है. इस संबंध में सबसे उपयुक्त शख्स जो जवाब दे सकते हैं वो है डीडीसीए के प्रशासन. मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता. मुझे इस बात की जानकारी नहीं है इसलिए मैं कुछ नहीं कहूंगा.
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4,270 लोगों की सूची को पूरी तरह से देखना एक मुश्किल काम है लेकिन यह बचने का कोई बहाना नहीं हो सकता. डीडीसीए को इस तरह की गफलत से बचने के लिए यह प्रक्रिया काफी पहले शुरू करनी चाहिए थी. डीडीसीए के कुछ सीनियर सदस्यों का मानना है कि सत्ता में बैठे कुछ लोग इस बहाने चुनावों को प्रभावित कर सकते हैं, क्योंकि चुनाव प्रोक्सी के आधार पर नहीं होंगे, बल्कि शख्स की मौजूदगी पर होंगे.
Source : IANS