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बंगाल के नए कोच बने लक्ष्मी रतन शुक्ला, 33 साल के रणजी ट्रॉफी के सूखे को खत्म करना लक्ष्य

बंगाल के पूर्व कप्तान का मानना ​​है कि यह समय व्यक्तिगत प्रतिभा दिखाने का नहीं बल्कि टीम प्रयास दिखाने का है

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Satyam Dubey
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Lakshmi Ratan Shukla

Lakshmi Ratan Shukla ( Photo Credit : File Photo)

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बंगाल सीनियर टीम के मुख्य कोच लक्ष्मी रतन शुक्ला का लक्ष्य है कि वो टीम के 33 साल के रणजी ट्रॉफी सूखे को खत्म करना चाहते हैं.  एक महीने से चल रही अटकलों पर विराम लगाते हुए उनकी नियुक्ति आगामी सत्र से पहले हो गई है. पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज और बंगाल के पूर्व मुख्य कोच डब्ल्यूवी रमन को बल्लेबाजी सलाहकार नियुक्त किया गया है और वह अगले साल 50 दिनों की अवधि के लिए अपनी सेवाएं देंगे. लक्ष्मी रतन शुक्ला के साथ,  उनके पूर्व सहयोगियों सौराशीष लाहिरी, शिब शंकर पॉल, अरिंदम दास और संजीब सान्याल को भी विभिन्न आयु समूहों में कई कोचिंग कर्तव्यों के साथ नामित किया गया है. 

लक्ष्मी रतन शुक्ला और रमन की नियुक्ति ने दोनों को पुरानी यादों में डाल दिया है क्योंकि उन्होंने लगभग एक दशक के बाद बंगाल की सीनियर टीम में वापसी की है. एक खिलाड़ी के रूप में, शुक्ला का घरेलू करियर शानदार रहा और वह हमेशा रमन की टीम के अभिन्न अंग रहे क्योंकि उन्होंने बंगाल को कुछ यादगार जीत दिलाई. 

आपको बता दें कि एक टीम के रूप में बंगाल ने अपने आखिरी दो खिताब जीते  साल 2011 में सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी और साल 2012 में विजय हजारे ट्रॉफी रमन की देखरेख में जहां शुक्ला ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. विजय हजारे ट्रॉफी में उनके हरफनमौला कारनामे (291 रन और 11 विकेट) के लिए प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया. हालांकि, तब से बंगाल को कोई सफलता नहीं मिली है क्योंकि वे बार-बार नॉकआउट खेलों में दबाव में गिरते गए और ट्रॉफी का सपना केवल सपना ही रह गया. 

बंगाल इस समय संक्रमण के दौर से गुजर रहा है क्योंकि वे अपने खेल को बेहतर बनाने के लिए तरह-तरह के प्रयास कर रहे हैं. हालांकि, भारतीय सलामी बल्लेबाज अरुण लाल ने पुनरुत्थान को प्रज्वलित किया, जिन्होंने तीन साल पहले टीम की कमान संभाली थी. लेकिन वर्तमान में वृद्धावस्था और थकान के कारण अपने पद से इस्तीफा दे दिया. 

रणजी ट्रॉफी के पिछले दो संस्करणों में, अभिमन्यु ईश्वरन की अगुवाई वाली टीम ने फाइनल और सेमीफाइनल में पहुंचने के साथ कुछ अच्छा प्रदर्शन किया. समय के साथ, उन्होंने ईशान पोरेल, आकाश दीप और मुकेश कुमार की पसंद के साथ तेज आक्रमण को भी पॉलिश किया है.

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आपको बता दें कि उन्होंने अपनी गेंदबाजी में सुधार किया है, लेकिन बल्लेबाजी अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है. बल्लेबाजों को अक्सर संकट की स्थिति में आत्मविश्वास खोते देखा जाता है. हाल ही में समाप्त हुए रणजी ट्रॉफी टूर्नामेंट में टीम मध्य प्रदेश से सेमीफाइनल में 174 रन से हार गई थी. 

बंगाल के पूर्व कप्तान का मानना ​​है कि यह समय व्यक्तिगत प्रतिभा दिखाने का नहीं बल्कि टीम प्रयास दिखाने का है. स्पोर्ट्सकीड़ा के साथ बातचीत में शुक्ला ने कहा  कि व्यक्तिगत रिकॉर्ड अब पर्याप्त नहीं होंगे. आपको टीम के लिए खेलना होगा और मैच विजेता बनना होगा. आपको बंगाल को विजय हजारे ट्रॉफी और सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी जीतने में मदद करनी होगी.  

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