अपने समय में घरेलू क्रिकेट के दिग्गज खिलाड़ी रहे राजिन्दर गोयल (Rajinder Goyal) का रविवार को निधन हो गया. वह 77 साल के थे और पिछले कुछ समय से बीमार थे. लेफ्ट आर्म स्पिनर राजिंदर गोयल (Rajinder Goyal) कभी भारतीय टीम का हिस्सा नहीं बन पाए. उन्होंने 24 साल के घरेलू क्रिकेट करियर में हरियाणा के लिए 750 विकेट चटकाए थे. हरियाणा के लिए खेलने के अलावा उन्होंने पंजाब और दिल्ली का भी प्रतिनिधित्व किया था. राजिंदर गोयल के नाम रणजी ट्रॉफी में सर्वाधिक विकेट लेने का रिकॉर्ड है. उन्होंने रणजी में 637 विकेट झटके. उन्हें 2017 में सीके नायडू लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था.
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बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष रणबीर सिंह महेंद्र ने कहा कि क्रिकेट के लिए यह एक बहुत बड़ा नुकसान है और मेरे लिए यह एक व्यक्गित क्षति है. अगर वह देश में बाएं हाथ के सबसे अच्छे स्पिनर नहीं थे तो भी सबसे अच्छे में से एक थे. उनका 750 विकेट लेने का रिकॉर्ड, उनकी जबरदस्त क्षमता को दिखाता है. उन्होंने कहा, उन्होंने रणजी ट्रॉफी में हरियाणा, दिल्ली और पंजाब का प्रतिनिधित्व किया. संन्यास के बाद खेल में उनकी योगदान बहुत बड़ा था. वह सज्जन व्यक्ति थे, जो बहुत अंत तक सक्रिय रहे. उनके निधन के बाद क्रिकेट जगत ने अपने एक जेवर को खो दिया है. मैं उन्हें बहुत याद करूंगा.
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राष्ट्रीय टीम में जगह नहीं मिलने के बावजूद गोयल 1958-59 से 1984-85 तक घरेलू क्रिकेट में खेलते रहे. इन 26 सत्र में उन्होंने हरियाणा की तरफ से रणजी ट्राफी में 637 विकेट लिए जो राष्ट्रीय चैंपियनशिप में रिकार्ड है. उन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में कुल 157 मैच खेलकर 750 विकेट लिए. वह बिशन सिंह बेदी थे जिन्होंने उन्हें बीसीसीआई पुरस्कार समारोह में सीके नायुडु जीवनपर्यंत उपलब्धि सम्मान सौंपा था. गोयल में लंबे स्पैल करने की अद्भुत क्षमता थी. जिस पिच से थोड़ी भी मदद मिल रही हो उस पर उन्हें खेलना नामुमकिन होता था. वह इतने लंबे समय तक खेलते रहे इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि वह विजय मांजरेकर के खिलाफ भी खेले और उनके बेटे संजय के खिलाफ भी.
उन्हें 1974-75 में वेस्टइंडीज के खिलाफ बेंगलुरू में टेस्ट मैच के लिए टीम में चुना गया था. वह 44 साल की उम्र तक प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलते रहे. सुनील गावस्कर ने अपनी किताब ‘आइडल्स’ में जिन खिलाड़ियों को जगह दी थी उसमें गोयल भी शामिल थे. सुनील गावस्कर ने अपनी किताब में लिखा है कि गोयल अपने लिए नए जूते और किट लेकर आए लेकिन उन्हें 12वां खिलाड़ी चुना गया. अगले टेस्ट मैच में बेदी की वापसी हो गई लेकिन गोयल को फिर कभी देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं मिला.
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कपिल देव निश्चित तौर पर हरियाणा के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर रहे हैं लेकिन उनसे पहले गोयल थे जिन्होंने इस राज्य की गेंदबाजी की कमान बखूबी संभाल रखी थी. कपिल देव की अगुवाई वाली हरियाणा ने जब 1991 में मुंबई को हराकर रणजी ट्राफी जीती थी तब गोयल उसकी चयनसमिति के अध्यक्ष थे. एक बार गोयल से पूछा गया कि क्या उन्हें इस बात का दुख है कि बेदी युग में होने के कारण उन्हें भारत की तरफ से खेलने का मौका नहीं मिल, उन्होंने कहा, बिलकुल नहीं. बिशन बेदी बहुत बड़े गेंदबाज थे.
(एजेंसी इनपुट)
Source : Sports Desk