भारत क्रिकेट और 183 के आंकड़े में काफी करीबी संबंध है. प्रशंसकों के पास इस संख्या को याद रखने के अपने कारण हैं. अधिकांश के लिए यह वह स्कोर है जिसका भारत ने 1983 विश्व कप में वेस्टइंडीज की मजबूत टीम के खिलाफ फाइनल में सफलतापूर्वक बचाव किया था. कुछ के लिए यह टानटन में विश्व कप में सौरव गांगुली की एतिहासिक पारी का स्कोर है. लेकिन बेंगलुरु के प्रणव जैन के लिए लिए 183 का मतलब महेंद्र सिंह धोनी के करियर की सर्वश्रेष्ठ एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय पारी है और 22 साल के प्रणव का मिशन भारत के सबसे सफल कप्तानों में से एक के 183 आटोग्राफ हासिल करना है.
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कोलकाता आने से पहले ही प्रणव जैन 153 आटोग्राफ हासिल कर चुके हैं. कोलकाता के रिसार्ट में महेंद्र सिंह धोनी के शूट पूरा करने का इंतजार कर रहे प्रणव ने कहा, माही भाई (महेंद्र सिंह धोनी) ने मुझे 183 आटोग्राफ का वादा किया है, लेकिन एक शर्त के साथ. उन्होंने मुझे कहा है कि ‘जिस दिन तेरे 183 आटोग्राफ पूरे होंगे, तुझे और आटोग्राफ नहीं मिलेंगे’. मेरी आज 10 आटोग्राफ लेने की योजना है और यह 163 हो जाएंगे. ग्लव्स, बल्लों, पोस्टर, स्कैच जैसी चीजों पर महेंद्र सिंह धोनी के आटोग्राफ लेने के लिए प्रणव दुनिया भर के देशों की यात्रा कर चुके हैं. महेंद्र सिंह धोनी विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम के एक अन्य कप्तान कपिल देव के साथ एक विज्ञापन की शूटिंग के लिए यहां आए हैं.
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महेंद्र सिंह धोनी ने अपना पहला मैच 23 दिसंबर 2004 को बांग्लादेश के खिलाफ खेला था, इस मैच में धोनी शूनय पर आउट हो गए थे, वे इस मैच में दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से आउट हुए थे. हालांकि दूसरे मैच में उन्होंने 12 रन की पारी खेली थी, लेकिन धोनी के लिए इतना ही पर्याप्त नहीं था. इसके अगले साल जब भारतीय टीम ने पाकिस्तान का दौरा किया तो महेंद्र सिंह धोनी भी इस टीम में थे. तब सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग पारी की शुरुआत करने मैदान में उतरे और सचिन के जल्दी आउट हो जाने के बाद कप्तान सौरव गांगुली ने बड़ा फैसला किया और महेंद्र सिंह धोनी को नंबर तीन पर बल्लेबाजी के लिए भेज दिया. इस मैच में धोनी ने पाकिस्तान के बल्लेबाजों की जमकर खबर ली और 123 गेंद पर 148 रन ठोक दिए थे. धोनी ने अपनी पारी में चार छक्के और 15 चौके मारे थे. इस मैच को भारत ने 58 रन से जीता था. वन डे में 148 रन बनाने के बाद भी धोनी की सर्वश्रेष्ठ पारी आनी अभी बाकी थी और यह पारी आई श्रीलंका के खिलाफ. जब धोनी ने जयपुर में 31 जुलाई 2005 में 183 रन की नाबाद पारी खेली. यानी इतने रन बनाने के बाद भी धोनी आउट नहीं हुए थे. इस मैच में भी कप्तान राहुल द्रविड़ ने धोनी को नंबर तीन पर बल्लेबाजी के लिए भेजा और धोनी ने मैदान पर जो कहर ढाया वह आज भी याद किया जाता है. उस मैच में धोनी ने 145 गेंद पर 183 रन ठोक दिए थे. धोनी ने उस पारी में 10 छक्के और 15 चौके जमाए थे. इसके बाद धोनी कभी 183 रन से बड़ी पारी नहीं खेल पाए.
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भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने 90 टेस्ट, 350 एकदिवसीय और 98 टी20 अंतरराष्ट्रीय में 17,000 से ज्यादा रन बनाए हैं. एकदिवसीय में उन्होंने विकेट के पीछे 500 से ज्यादा शिकार किए हैं, जबकि टेस्ट में 300 से ज्यादा बार बल्लेबाजों को पवेलियन भेजने में योगदान दिया है.
(इनपुट भाषा)
Source : News Nation Bureau