भारत को दो विश्व कप दिलाने वाले कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) ने शनिवार को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया. शांत स्वाभाव के लिए मशहूर एमएस धोनी (Ms Dhoni retirement) ने अपनी अंदाज के मुताबिक इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट के जरिए शांति से अपने संन्यास का ऐलान किया. एमएस धोनी ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट करते हुए लिखा, आप सभी के प्यार और समर्थन के लिए बहुत शुक्रिया. आज शाम 7.29 बजे के बाद से मुझे रिटायर समझिए. एमएस धोनी ने अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच पिछले साल 2019 में इंग्लैंड में खेले गए विश्व कप के सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेला था. तब से वह टीम से बाहर चल रहे थे और उनके संन्यास की अटकलें तेज थी.
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उम्मीद थी की धोनी आस्ट्रेलिया में होने वाले टी-20 विश्व कप में खेलेंगे लेकिन कोविड-19 के कारण इसे टाल दिया गया था. धोनी की कप्तानी में भारत ने टी-20 विश्व कप-2007 जीता और 28 साल बाद 2011 में भारत को वनडे विश्व कप दिलाया. इसके अलावा धोनी ने अपनी कप्तानी में भारत को चैम्पियंस ट्रॉफी दिलाई और टेस्ट में टीम को नंबर-1 बनाया. धोनी दुनिया के इकलौते कप्तान थे जिन्होंने आईसीसी के सभी टूनार्मेंट्स- टी-20 विश्व कप, वनडे विश्व कप और चैम्पियंस ट्रॉफी जीती.
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लेकिन इस बीच सबके मन में यह भी चल रहा है कि क्रिकेट से दूरी बनाने के बाद करीब सवा साल बाद आखिरी 15 अगस्त के ही दिन धोनी ने क्रिकेट को अलविदा क्यों कहा. इसके पीछे तीन कारण अभी तक समझ में आते हैं. चलिए आपको इन तीन कारणों के बारे में बताते हैं. दरअसल धोनी ने अभी पिछले महीने ही सात जुलाई को अपना जन्मदिन मनाया था. सात जुलाई को ही वे 39 साल के हो गए. सात जुलाई से 15 अगस्त तक अगर आप जोड़ेंगे तो आंकड़ा 39 आएगा. यानी धोनी जिस दिन 39 साल 39 दिन के हुए उसी दिन शाम को उन्होंने शाम 7.29 बजे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया. संन्यास का दिन और वक्त धोनी ने सोच समझकर चुना या फिर यूं ही यह आंकड़ा फिट बैठ गया, यह तो धोनी ही जानें, लेकिन जहां तक न्यूमेरोलॉजी की बात है तो धोनी इस पर काफी विश्वास करते हैं, इसीलिए उनकी जर्सी का नंबर भी सात था, जिस दिन उनका जन्मदिन होता है. यही नहीं पहले वन डे मैच में धोनी सात नंबर पर ही बल्लेबाजी करने भी आए थे. इसलिए धोनी ने तय किया हो कि वे 39 साल 39 दिन पर ही संन्यास लेंगे, यह कोई बड़ी बात नहीं है.
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अब बात चेन्न्ई में संन्यास लेने की. जब पूरी दुनिया में लॉकडाउन था तब धोनी भी अपने घर रांची में ही रहे. बीच बीच में उनकी कुछ वीडियो सामने आती रहीं, लेकिन खुद एमएस धोनी कभी सामने निकलकर नहीं आए. अगर वे चाहते तो इस दौरान भी संन्यास का ऐलान कर सकते हैं. न कोई प्रेस कॉफ्रेंस और न ही कोई भीड़भाड़, अगर इंस्टाग्राम पर ही संन्यास के बारे में बोलना था तो वे तो लॉकडाउन के दौरान रांची में रहते हुए भी कर सकते थे. लेकिन धोनी ने अपने संन्यास का ऐलान चेन्नई में किया. वही चेन्नई जिसके लिए वे पहले आईपीएल से खेलते आ रहे हैं. दो बार जब चेन्नई की टीम आईपीएल से बाहर हो गई थी, इसको छोड़ दें तो बाकी 10 साल वे चेन्नई सुपरकिंग्स के लिए ही खेले हैं, और तीन बार सीएसके को उन्होंने विजेता भी बनाया. धोनी की जरूर चाहत रही होगी कि जिस टीम के साथ उनका करीब 12 साल का लगाव रहा, उसी शहर में जाकर वे संन्यास का ऐलान करें. झारखंड रांची के होते हुए भी धोनी चेन्नई में जाते ही थाला यानी बड़े भाई हो जाते हैं.
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अब बात तीसरे और बड़े कारण की. धोनी ने संन्यास के लिए देश की आजादी की सालगिरह का दिन चुना. इसके पीछे कारण यह हो सकता है कि धोनी भले क्रिकेट खेलते हों, लेकिन देश के लिए प्यार का जज्बा उनके मन में जो हैं, वह सभी जानते हैं. धोनी इस वक्त भी मानद लेफ्टिनेंट कर्नल हैं. पिछले साल जब विश्व कप के बाद धोनी टीम इंडिया से पहली बार दूर हुए थे, जब वे देश की सेवा करने और ट्रेनिंग लेने सेना के कैंप में ही गए थे. धोनी ने प्रादेशिक सेना में अपनी यूनिट को सेवाएं दी थी. इसके बाद वे अन्य काम करते रहे, लेकिन पहली बार उन्होंने देश के लिए ही समय निकाला. और देश की आजादी के बड़ा दिन और किसी के लिए क्या हो सकता है. इसलिए धोनी ने इस खास दिन को चुना और इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया.
Source : Sports Desk