क्राइस्टचर्च में खेले गए सीरीज के दूसरे टेस्ट मैच में न्यूजीलैंड ने टीम इंडिया को 7 विकेट से हराकर टेस्ट सीरीज में भी 2-0 से क्लीन स्वीप कर लिया. पहली पारी में 242 रन बनाने वाली टीम इंडिया अपनी दूसरी पारी में सिर्फ 124 रनों पर ही ढेर हो गई. वहीं दूसरी ओर न्यूजीलैंड ने अपनी पहली पारी में 235 रन बनाए थे. कीवी टीम ने टीम इंडिया द्वारा दिए गए 132 रनों के लक्ष्य को 36 ओवरों में 3 विकेट के नुकसान पर ही हासिल कर लिया. आइए जानते हैं टीम इंडिया की हार के सबसे बड़े कारण.
बल्लेबाजों का फ्लॉप शो
वेलिंग्टन टेस्ट में शर्मनाक हार के बाद भी टीम इंडिया के प्रदर्शन में कोई सुधार नहीं आया और विराट की सेना क्राइस्टचर्च में भी 7 विकेट से हार गई. टीम इंडिया की इस करारी हार में सिर्फ बल्लेबाजों का ही नहीं बल्कि गेंदबाजों का भी पूरा योगदान रहा. टेस्ट स्पेशलिस्ट खिलाड़ियों से लैस भारतीय टीम न्यूजीलैंड के सामने आते ही सरेंडर कर दिया. कप्तान विराट कोहली 2 मैचों की टेस्ट सीरीज की चारों पारियों में कुल 38 रन ही बना सके. विराट ने वेलिंग्टन टेस्ट की पहली पारी में 2 और दूसरी पारी में 19 रन बनाए थे. जबकि, क्राइस्टचर्च टेस्ट की पहली पारी में वे 3 और दूसरी पारी में 14 रन बनाकर आउट हो गए थे.
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विराट के अलावा उप-कप्तान अजिंक्य रहाणे में भी पूरी सीरीज में फेल साबित हुए. रहाणे ने सीरीज की चार पारियों में 91 रन बनाए. रहाणे ने वेलिंग्टन टेस्ट की पहली पारी में 46 और दूसरी पारी में 29 रन बनाए थे. जबकि, क्राइस्टचर्च टेस्ट की पहली पारी में वे 7 और दूसरी पारी में 9 रन बनाकर आउट हो गए थे. रहाणे के अलावा भारत के टेस्ट स्पेशलिस्ट चेतेश्वर पुजारा ने भी न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में पूरी तरह से फ्लॉप हो गए. पुजारा ने 2 मैचों की 4 पारियों में 100 रन ही बना सके. इनके अलावा पृथ्वी शॉ और मयंक अग्रवाल भी न्यूजीलैंड में कोई प्रभाव नहीं छोड़ सके.
गेंदबाजों में निरंतरता की कमी
जैसा कि हमने पहले ही बताया था कि भारत की शर्मनाक हार में बल्लेबाजों के साथ-साथ गेंदबाजों ने भी कीवीलैंड में कोई खास प्रदर्शन नहीं किया. पहले टेस्ट में ईशांत ने अच्छी गेंदबाजी की थी, लेकिन वे चोटिल होने की वजह से दूसरे टेस्ट में नहीं खेले. दूसरे टेस्ट में शमी ने कीवियों को बांधने की भरपूर कोशिश की थी. लेकिन दूसरे छोर से साथ न मिलने की वजह से वे टीम को मैच नहीं जिता सके.
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न्यूजीलैंड के साथ खेली गई 2 मैचों की सीरीज में एक बार भी ऐसा नहीं देखा गया कि भारतीय गेंदबाजों ने मिल-जुलकर प्रदर्शन किया हो. पहले मैच में जहां ईशांत शर्मा ने कीवियों को परेशान किया तो वहीं दूसरे मैच में मोहम्मद शमी और जसप्रीत बुमराह ने मिला-जुला प्रदर्शन किया. इनके अलावा कोई भी गेंदबाज कीवियों को बैकफुट पर लाने में कामयाब नहीं हो पाया. ईशांत शर्मा ने वेलिंग्टन टेस्ट की पहली पारी में 5 विकेट चटकाए थे, जबकि रविचंद्रन अश्विन को 3 विकेट मिले थे. इनके अलावा बुमराह और शमी को एक-एक विकेट ही मिला था.
दूसरे टेस्ट की पहली पारी में गेंदबाजों ने हालांकि अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन वे दूसरी पारी में कीवी बल्लेबाजों को जल्दी आउट करने में नाकाम रहे. दूसके टेस्ट की पहली पारी में शमी को 4, बुमराह को 3, जडेजा को 2 और उमेश यादव को सिर्फ 1 विकेट मिला. जबकि दूसरी पारी में बुमराह को 2 और उमेश को 1 ही विकेट मिला.
Source : News Nation Bureau