जुलाई 2002 में भारत और श्रीलंका की क्रिकेट टीमें नैटवेस्ट ट्रॉफी खेलने के लिए इंग्लैंड गई थीं. सौरव गांगुली की उभरती हुई टीम इंडिया और नासिर हुसैन की इंग्लैंड इस त्रिकोणीय सीरीज के फाइनल में पहुंची थी. सीरीज का फाइनल मुकाबला ठीक 18 साल पहले आज ही के दिन यानि 13 जुलाई, 2002 को लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान में खेला गया था. इंग्लैंड ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया और 50 ओवरों में 5 विकेट के नुकसान पर 325 रनों का भारी-भरकम स्कोर खड़ा कर दिया था. मैच में इंग्लैंड के लिए सलामी बल्लेबाज मारकस ट्रेस्कोथिक और कप्तान नासिर हुसैन ने शतक जड़ा था. ट्रेस्कोथिक ने 100 गेंदों पर 109 रनों की पारी खेली थी, जबकि तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने आए हुसैन ने 128 गेंदो पर 115 रनों की शतकीय पारी खेली थी. इंग्लैंड के 325 रनों के जवाब में टीम इंडिया की शुरुआत काफी शानदार रही थी.
ये भी पढ़ें- ENGvWI : वेस्टइंडीज से क्यों हारी इंग्लैंड की टीम, नासिर हुसैन ने बताया सिरदर्द
पहले विकेट के लिए वीरेंद्र सहवाग और सौरव गांगुली के बीच 106 रनों की साझेदारी हुई थी. पहला विकेट गिरने के बाद टीम इंडिया ने एक के बाद एक विकेट गंवा दिए. इसके साथ ही अभी भारत लक्ष्य से काफी दूर था. हालांकि, 6ठे नंबर पर बल्लेबाजी करने आए युवराज सिंह और 7वें नंबर पर बल्लेबाजी करने आए युवराज सिंह ने पारी को संभाल लिया और टीम इंडिया को लक्ष्य की ओर लेकर चल पड़े. युवी और कैफ काफी शानदार बल्लेबाजी कर रहे थे और लगने लगा था कि यही दोनों मिलकर भारत को इंग्लैंड के खिलाफ फाइनल जिता देंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ, 267 के कुल स्कोर पर युवराज सिंह 69 रन बनाकर आउट हो गए. भारत के लिए ये काफी बड़ा झटका था.
ये भी पढ़ें- केन विलियमसन क्या टेस्ट कप्तानी से हटाए जाने वाले हैं, अटकलों पर बोले कोच गैरी स्टीड
युवी का विकेट गिरने के बाद बल्लेबाजी करने आए हरभजन सिंह और अनिल कुंबले भी सस्ते में आउट होकर पवेलियन लौट गए. भारत का 8वां विकेट अनिल कुंबले के रूप में 314 रनों के स्कोर पर गिरा था. लेकिन, अब टीम इंडिया लक्ष्य के काफी करीब पहुंच चुकी थी. इसके साथ ही भारत के पास अब विकेट भी नहीं बचे थे. अनिल कुंबले का विकेट गिरने के बाद 10वें नंबर पर बल्लेबाजी करने के लिए जहीर खान आए थे. भारत को अभी भी मैच जीतने के लिए 13 गेंदों पर 12 रनों की जरूरत थी. भारत के लिए चिंता की सबसे बड़ी बात यही थी कि उस वक्त उनके पास केवल दो ही विकेट बचे थे और दोनों टैलेंडर थे. हालांकि, सौरव गांगुली के लिए राहत की बात ये थी कि एक तरफ मोहम्मद कैफ अभी भी क्रीज पर डटे हुए थे.
ये भी पढ़ें- अब न्यूजीलैंड के क्रिकेटर भी मैदान में उतरे, जानिए क्या है कोरोना वायरस का हाल
49वां ओवर कराने आए डैरेन गफ के ओवर की आखिरी गेंद पर कैफ ने चौका जड़कर मैच को और रोमांचक बना दिया था. इस ओवर में भारत ने कुल 9 रन बटोरे थे. अब टीम इंडिया को मैच जीतने के लिए 6 गेंदों पर 2 रन चाहिए थे. नासिर हुसैन ने फ्लिन्टॉफ पर भरोसा जताया और आखिरी ओवर की जिम्मेदारी उन्हें सौंप दी. फ्लिन्टॉफ के सामने क्रीज पर जहीर खान थे. जहीर ने शुरुआती दो गेंदें खेलने के बाद तीसरी गेंद पर जहीर ने गेंद को अपने बल्ले से हल्का-सा पुश कर दिया और रन दौड़ लिया. गेंद कुछ ही दूरी पर कवर्स के पास खड़े फील्डर के पास गई और उन्होंने डायरेक्ट थ्रो मारने के चक्कर में एक अतिरिक्त रन और दे दिया. इन दो रनों के साथ ही भारत ने इंग्लैंड को इस रोमांचक मैच में 2 विकेट से हराकर इतिहास रच दिया.
इस जीत के बाद टीम इंडिया के कप्तान सौरव गांगुली ने लॉर्ड्स की बालकनी में खड़े होकर अपनी जर्सी उतारकर लहरा दी थी. फिर वे दौड़े-दौड़े ग्राउंड में आए और कैफ के ऊपर उछलकर चढ़ गए और उन्हें नीचे गिरा दिया. मजेदार बात ये थी कि गांगुली खुशी के मारे कैफ के ऊपर से जल्दी उठे ही नहीं थे. भारतीय क्रिकेट के इतिहास में यह मैच हमेशा यादगार रहेगा. इसके अलावा मैच के एक अन्य हीरो युवी ने कैफ को अपने पीठ पर बैठाकर मैदान की भी सैर कराई थी.
#OnThisDay in 2002.. #TeamIndia scripted history by winning the Natwest Trophy final at Lord's 🇮🇳👏pic.twitter.com/jKeFXEmCgk
— BCCI (@BCCI) July 13, 2020
Source : News Nation Bureau