जावेद मियांदाद (Javed Miandad) का नाम पाकिस्तान में बड़ी इज्जत से लिया जाता है. पाकिस्तान में जो अच्छे क्रिकेटर हुए, उनमें जावेद मियांदाद (Javed Miandad) का नाम लिया जाता है. क्या उस खिलाड़ी को टीम से बाहर रखने के लिए साजिश रची जा सकती है. आप कुछ भी सोचें, लेकिन हुआ तो कुछ ऐसा ही है. वह साजिश भी किसी और ने नहीं, बल्कि अब के पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने रची थी. जबकि वे पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के कप्तान नहीं थे. तब कप्तान थे वसीम अकरम (Wasim Akram) और जावेद मियांदाद को बाहर रखने के लिए मोहरा बनाए गए पूर्व पाकिस्तानी बल्लेबाज बासित अली (Basit Ali). बासित अली ने एक इंटरव्यू के दौरान इस बात का खुलासा किया है.
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पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर बासित अली ने खुलासा किया है कि दिग्गज बल्लेबाज जावेद मियांदाद ने 1996 विश्व कप के लिए टीम में खुद को शामिल करने का अनुरोध किया था. बासित अली ने टाइम्सऑफइंडिया.कॉम से बातचीत में कहा, मैं कुछ ऐसा साझा करने जा रहा हूं, जिसके बारे में आप शायद नहीं जानते होंगे. मैं अपने देश की वजह से शांत था. मियांदाद को 1996 विश्व कप टीम में शामिल नहीं किया गया था. उनका नाम शुरू में नहीं था. मैं उस 15 सदस्यीय टीम में शामिल था.
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पूर्व क्रिकेटर बासित अली ने कहा, लेकिन उन्होंने खिलाड़ियों से अनुरोध किया कि वे विश्व कप खेलना चाहता था. उन्होंने हमसे पूछा मुझे कौन सा नंबर दोगे? वह सबसे अधिक विश्व कप मैच खेलने का रिकॉर्ड बनाना चाहते थे. इसलिए, मैं टीम से बाहर हो गया. मैंने अपनी जगह उन्हें दे दी क्योंकि मैं मियांदाद का बहुत सम्मान करता था. बासित अली ने एक और खुलासा करते हुए कहा कि 1993 में मियांदाद को टीम से बाहर रखने के पीछे इमरान खान का हाथ था. बासित ने कहा, मियांदाद को टीम से बाहर निकालने की साजिश रची गई थी 1993 के आसपास. उस समय मेरी उनसे तुलना की जाने लगी थी, जबकि ईमानदारी से कहूं तो मैं मियांदाद का एक प्रतिशत भी नहीं था. मैं नंबर नंबर चार पर बल्लेबाजी करता था और जब मियांदाद को हटा दिया गया तो मुझे नंबर छह पर बल्लेबाजी करने को कहा गया.
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उन्होंने कहा, चार नंबर पर मेरी औसत 55 की थी, लेकिन छह नंबर पर मेरा प्रदर्शन खराब हो गया. वे जानते थे कि मैं इस नंबर पर शायद ही बल्लेबाजी कर पाऊंगा. यह मेरे लिए धीमा जहर जैसा था. बासित ने आगे कहा, मैं बड़े शॉट्स के लिए जाना जाता था. क्रम बदलने के बाद मेरी बल्लेबाजी मुश्किल से आती थी. उस समय वसीम अकरम कप्तान थे. लेकिन मियांदाद को बाहर करने के लिए जो व्यक्ति जिम्मेदार था, वह कोई और नहीं इमरान खान थे. वह आदेश देते थे. उन्हीं के इशारे पर सब होता था.
Source : IANS/News Nation Bureau