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Paris Olympics: कब शुरू हुई थी ओलंपिक में मशाल जलाने की परंपरा? जानें क्या है इसके पीछे की कहानी

Paris Olympics 2024: ओलंपिक उदघाटन समारोह में एक मशाल जलाई जाती है जो काफी पुरानी परंपरा है. क्या आप इसके पीछे की कहानी जानते हैं?

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Roshni Singh
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Olympics Torch History

Olympics Torch History ( Photo Credit : Social Media)

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Paris Olympics 2024: पेरिस ओलंपिक की 26 जुलाई से आगाज होने जा रहा है. खेले के इस महाकुंभ पर पूरी दुनिया की नजरें होंगी. हर बार की तरह इस बाक भी ओलंपिक का ओपनिंग सेरेमनी एक मशाल के माध्यम से शुरू होगी. इस टॉर्च के जरिए एक आग की लौह जलाई जाती है, जो तब तक जलती रहती है जब तक ओलंपिक खेल समाप्त नहीं हो जाते. यह मशाल एक ओलंपिक खेल समाप्त होने के बाद उस देश में पहुंचाई जाती है जहां अगले ओलंपिक्स का आयोजन होना है. पेरिस ओलंपिक्स में यह मशाल 26 जुलाई को ओपनिंग सेरेमनी के दौरान मैदान में लाई जाएगी. तो चलिए हम आपकों ओलंपिक मशाल, उसके इतिहास और इसके पीछे छुपे साइंस के बारे में आपको बताने वाले हैं.

ओलंपिक मशाल का इतिहास सदियों पुराना है. मशाल जलाने की यह परंपरा ग्रीस में होने वाले पुराने ओलंपिक खेलों के समय शुरू हुई थी. ग्रीक पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि इस मशाल के पीछे लोगों की सांस्कृतिक भावनाएं जुड़ी हुई हैं. वहां आग का महत्व बहुत अधिक होता था. पहले मंदिरों में मशाल जलाने की परंपरा रही है. 

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वहीं आधुनिक ओलंपिक की बात करें तो ओलंपिक मशाल को पहली बार 1936 में जलाया गया था. पुराने समय में एक मशाल के अंदर आग लगाई जाती थी और कोई  दिग्गज एथलीट उसे लेकर दौड़ता है. 1956 में जब रॉन क्लार्क मशाल लेकर दौड़ रहे थे तब उनकी टी-शर्ट जल गई थी, लेकिन वह रुके नहीं भागना जारी रखा.

साल 2000 में बनी नए मशाल

ओलंपिक में जलने वाले मशाल से कोई बड़ी घटना भी हो सकती है ये देखते हुए साल 2000 में वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीकी के साथ मशाल को तैयार किया. जिसकी मदद से पहली बार मशाल को पानी के अंदर भी ले जाया गया था. इस नई मशाल की खोज यूनिवर्सिटी ऑफ एडीलेड ने टर्ब्यूलेंस एनर्जी कंबशन ग्रुप और एक छोटी सी कंपनी के साथ मिलकर की थी. कितनी भी खराब मौसम हो ये मशाल बंद नहीं होती. हालांकि साल 2000 के बाद मशाल का साइज छोटा-बड़ा होता रहा है, लेकिन उसके बाद इसी तकनीक के आधार पर मशाल का इस्तेमाल होता रहा है.

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Source : Sports Desk

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