नॉन स्टॉप क्रिकेट खेलने से बिगड़ रहा है खिलाड़ियों का मानसिक स्वास्थ्य, समाधान निकालना हुआ बेहद जरूरी

तेज गेंदबाज मिशेल स्टार्क ने भी व्यस्त कार्यक्रम को दोष दिया क्योंकि कई शीर्ष खिलाड़ियों को महीनों तक घर से बाहर रहना पड़ता है जिससे उनके परिवार और मित्रता पर असर पड़ता है.

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Sunil Chaurasia
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नॉन स्टॉप क्रिकेट खेलने से बिगड़ रहा है खिलाड़ियों का मानसिक स्वास्थ्य, समाधान निकालना हुआ बेहद जरूरी

लगातार क्रिकेट खेलने से खिलाड़ियों को मानसिक समस्याएं आ रही हैं( Photo Credit : getty images)

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व्यस्त कार्यक्रम, प्रदर्शन पर कड़ी नजर और असफल होने के डर के कारण वर्तमान समय के क्रिकेटरों के लिये शारीरिक स्वास्थ्य की तरह मानसिक स्वास्थ्य भी एक चुनौती बनता जा रहा है. आस्ट्रेलिया में यह मसला सुर्खियों में बना हुआ है जहां तीन शीर्ष खिलाड़ी मानसिक स्वास्थ्य कारणों से बाहर हो गये. सीमित ओवरों के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटरों में से एक ग्लेन मैक्सवेल ने पिछले महीने अपने मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित कुछ परेशानियों के कारण विश्राम ले लिया था. पाकिस्तान के खिलाफ पहले टेस्ट क्रिकेट मैच से एक सप्ताह पहले विल पुकोवस्की और निक मैडिनसन ने भी उनका अनुसरण कर दिया है.

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पुकोवस्की इससे पहले इसी तरह के मामले के कारण दो बार विश्राम ले चुके हैं. उनका वास्तविक मामला क्या है यह अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है लेकिन क्रिकेट आस्ट्रेलिया में राष्ट्रीय टीमों के प्रमुख बेन ओलिवर ने कहा कि उन्होंने यह पद संभालने के बाद कई कारकों पर गौर किया है. उन्होंने सेन स्पोर्ट्स रेडियो से कहा, ‘‘मेरे शुरुआती आकलनों के हिसाब से इसमें प्रदर्शन पर कड़ी लोगों की कड़ी निगाह और व्यस्त कार्यक्रम की भूमिका है.’’

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तेज गेंदबाज मिशेल स्टार्क ने भी व्यस्त कार्यक्रम को दोष दिया क्योंकि कई शीर्ष खिलाड़ियों को महीनों तक घर से बाहर रहना पड़ता है जिससे उनके परिवार और मित्रता पर असर पड़ता है. यह मामला केवल आस्ट्रेलिया से ही जुड़ा हुआ नहीं है. इंग्लैंड के पूर्व कप्तान मार्कस ट्रैस्कोथिक 2006 में भारत दौरे से बाहर हो गये थे जबकि जोनाथन ट्राट 2013 में आस्ट्रेलिया से एक टेस्ट खेलने के बाद एशेज श्रृंखला के बाकी मैचों में नहीं खेले थे. दोनों ने बाद में खुलासा किया कि वे तनाव और चिंता से जूझ रहे थे.

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भारतीय कप्तान विराट कोहली ने भी कहा कि वह भी इस दौर से गुजरे हैं और मैक्सवेल जैसे शीर्ष खिलाड़ी के इस मामले में अपनी स्थिति सार्वजनिक करने के लिये तारीफ भी की. कोहली ने बांग्लादेश के खिलाफ पहले टेस्ट मैच से पहले कहा था, ‘‘यह दुनिया भर के लिये क्रिकेटरों के लिये सही उदाहरण है कि अगर आप मानसिक तौर पर सही स्थिति में नहीं हैं तो आप कोशिश करें, कोशिश करते रहें लेकिन आप इंसान हैं और किसी मोड़ पर उस मुकाम पर पहुंच जाते हैं जहां आपको खेल से बाहर रहकर समय बिताने की जरूरत पड़ती है.’’

Source : Bhasha

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