दुनियाभर में मास्टर ब्लास्टर के नाम से मशहूर सचिन तेंदुलकर (sachin tendulkar) ने लॉरेस स्पोर्टिग मूमेंट अवार्ड (laureus20 sporting moment 2000-2020) अपने नाम किया है. भारत ने साल 2011 में 28 साल बाद क्रिकेट विश्व कप जीता था और यह विश्व कप सचिन तेंदुलकर का आखिरी विश्व कप था. इस जीत के बाद भारतीय खिलाड़ियों ने क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर को अपने कंधों पर उठा लिया था, इसी पल को बीते 20 साल में लॉरेस स्पोर्टिग मूमेंट यानि लॉरेस सर्वश्रेष्ठ पल का अवार्ड मिला है.
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सचिन तेंदुलकर ने अवार्ड तो जीता ही साथ ही दिल भी जीतने का काम किया. अवार्ड मिलने के बाद सचिन तेंदुलकर ने ट्विटर पर इसे देश को समर्पित करने का भी ऐलान कर दिया. ट्विटर पर सचिन तेंदुलकर ने अब से कुछ ही देर पहले लिखा कि आप सभी का भरपूर प्यार और समर्थन के लिए शुक्रिया! मैं इसे समर्पित करता हूं @LaureusSport भारत को पुरस्कार all, मेरे सभी साथियों, प्रशंसकों और भारत में और दुनिया भर में शुभचिंतकों को जिन्होंने हमेशा भारतीय क्रिकेट का समर्थन किया है.
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आपको बता दें कि सचिन तेंदुलकर का सपना था कि वह विश्व कप टीम का हिस्सा बनें. 2003 में दक्षिण अफ्रीका में खेले गए विश्व कप के फाइनल में हालांकि उनका यह सपना टूट गया था. रिकी पोंटिंग की कप्तानी वाली आस्ट्रेलिया ने फाइनल में सौरव गांगुली की कप्तानी वाली भारत को मात दी थी. लेकिन भारत ने महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में 2011 में सचिन तेंदुलकर के घर मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए फाइनल में श्रीलंका को हरा खिताब अपने नाम किया था. आस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान स्टीव वॉ ने 46 साल के सचिन को यह अवार्ड सौंपा.
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सचिन ने अवार्ड मिलने के बाद कहा, यह अविश्वसनीय है. विश्व कप जीतने की भावना को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. कितनी बार ऐसा होता है कि किसी टूर्नामेंट में अलग-अलग तरह के विचार निकल कर सामने आते हैं. बहुत कम होता है कि पूरा देश एक साथ मिलकर जश्न मनाए. उन्होंने कहा, यह बताता है कि खेल कितनी बड़ी ताकत है और ये हमारी जिंदगी पर क्या जादू करता है. अभी भी जब मैं उस पल को देखता हूं तो यह मेरे साथ ही रहता है. तेंदुलकर के ट्राफी हासिल करने के बाद बेकर ने उनसे अपनी भावनाओं को साझा करने को कहा तो इस भारतीय खिलाड़ी ने कहा, मेरी यात्रा (क्रिकेट) की शुरुआत तब हुई थी जब मैं 10 साल का था. भारत ने विश्व कप जीता था. मुझे उस समय उसके महत्व के बारे में पता नहीं था. चूंकि हर कोई जश्न मना रहा था तो मैं भी उस में शामिल हो गया.
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उन्होंने कहा, लेकिन कहीं न कहीं मुझे पता था कि देश के लिए कुछ अच्छा हुआ है और मैं भी एक दिन इसका अनुभव करना चाहता था.... और यहीं से मेरा सफर शुरू हुआ. एकदिवसीय और टेस्ट क्रिकेट में बल्लेबाजी के ज्यादातर रिकार्ड अपने नाम करने वाले इस खिलाड़ी ने कहा, यह (विश्व कप जीतना) मेरी जिंदगी का सबसे गौरवान्वित करने वाला पल था. मैंने 22 साल तक इसका पीछा किया लेकिन कभी हिम्मत नहीं हारा. मैं सिर्फ अपने देश की तरफ से ट्राफी उठा रहा था. तेंदुलकर ने कहा कि लारेस ट्राफी हासिल करना उनके लिए बेहद ही सम्मान की बात है.
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इस मौके पर उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के क्रांतिकारी नेता नेल्सन मंडेला के प्रभाव को भी साझा किया. तेंदुलकर जब मंडेला से मिले थे तब इस क्रिकेटर की उम्र केवल 19 साल थी. पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा, उनकी कठिनाई ने उनके नेतृत्व को प्रभावित नहीं किया. उनके द्वारा दिए गए कई संदेशों में से मुझे सबसे महत्वपूर्ण यह लगा कि खेल में सभी को एकजुट करने की शक्ति है. विश्व कप जीतने वाली टीम के सदस्य रहे भारतीय टीम के मौजूदा कप्तान विराट कोहली ने भी तेंदुलकर को इस पुरस्कार को जीतने पर बधाईं दी. उन्होंने तेंदुलकर और बीसीसीआई को टैग करते हुए ट्वीट किया, प्रतिष्ठित लारेस सर्वश्रेष्ठ खेल लम्हे का पुरस्कार जीतने के लिए सचिन पाजी को बधाई. हमारे राष्ट्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि और गर्व का क्षण.
(इनपुट भाषा आईएएनएस)
Source : News Nation Bureau