घरेलू क्रिकेट, आईपीएल और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में एक बल्लेबाज के रूप में शिखर धवन के आक्रामक स्टाइल के लाखों-करोड़ों फैन्स दीवाने हैं. श्रीलंका के खिलाफ जारी क्रिकेट सीरिज में उन्हें कप्तान बनाया गया है, लेकिन पिछली कुछ श्रृंखलाओं में तो टीम के अंतिम 11 खिलाड़ियों में भी उनका स्थान पक्का नहीं था. यदि इस साल अक्टूबर से शुरू होने वाली टी-20 विश्वकप श्रृंखला में धवन एक ओपनिंग बल्लेबाज के रूप में खेलना चाहते हैं, तो उन्हें श्रीलंका के खिलाफ टी-20 सीरिज में रनों का ढेर लगाना होगा. धवन को भी यह बात भलीभांति पता है कि टी-20 में देश के लिए खेलना है, तो उन्हें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करके दिखाना होगा. करीब साढ़े पांच हजार रनों का पहाड़ खड़ा करने के साथ, विराट कोहली के बाद धवन आईपीएल में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं. पिछले दो सालों के दौरान धवन की बल्लेबाजी पर नजर डालें, तो स्पष्ट हो जाता है कि आईपीएल में उनका प्रदर्शन बेहद शानदार रहा है.
आईपीएल में तेजतर्रार वापसी करते हुए 2019 से धवन मानो टॉप गियर में बल्लेबाजी करने लगे हैं. कोलकाता नाईट राइडर्स के खिलाफ केवल 63 गेंदों पर नाबाद 97 रन ठोककर 2019 उन्होंने अपनी शानदार वापसी का बिगुल फूंक दिया था. इस पारी ने क्रिकेट प्रशंसकों को दिखा दिया था कि टी-20 की जरूरतों के हिसाब से एक बल्लेबाज के रूप में धवन ने काफी सुधार किया है. 2019 से ही 141.95 के स्ट्राइक रेट और प्रति इनिंग 45.56 के शानदार औसत से रन बनाकर धवन आईपीएल में लगातार शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं.
प्रति मैच रन बनाने के औसत की बात हो या फिर तेजी से रन बनाने की, पिछले दो सालों में धवन ने आईपीएल के सर्वश्रष्ठ बल्लेबाजों में जगह बना ली है, लेकिन टी-20 के लिए जब भारतीय टीम चुनी जाती है, तो वह चयनकर्ताओं की पहली पसंद नहीं होते. इसके लिए चयनकर्ताओं को दोष देना भी गलत होगा. इस साल मार्च में उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ पांच टी-20 मैंचों की सीरिज में मौका दिया गया, लेकिन उनका प्रदर्शन बेहद खराब रहा. पहले मैच में उन्होंने 12 गेंदे खेलकर मात्र 4 रन बनाए, जिसकी वजह से अगले चार मैंचों में उन्हें मैच खेलने का मौका नहीं दिया गया.
टी-20 में रोहित शर्मा के साथ पारी की शुरुआत करने के लिए प्रतियोगिता बेहद कड़ी है. विराट कोहली भी ऊपर आकर बल्लेबाजी करना पसंद करने लगे हैं. ऐसे में 25.92 के औसत और 117.47 के स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी करके धवन भारतीय टी-20 टीम में अपना स्थान पक्का नहीं कर सकते. कम उम्र के कई खिलाड़ी इस स्थान पर दावे दारी पेश कर रहे हैं, ऐसे में 35 साल के धवन को अनंतकाल तक मौके नहीं दिए जा सकते. फिलहाल तो उन्हें टी-20 मैचों में खेलने के मौके मिलते रहते हैं और श्रीलंका के खिलाफ उन्हें वरिष्ठता के आधार पर कप्तानी का दायित्व भी दिया गया है, लेकिन अब वक्त आ गया है कि बेहतर प्रदर्शन करके वह टीम में अपना स्थान पक्का कर लें, अन्यथा कोई युवा खिलाड़ी शानदार प्रदर्शन कर भारतीय टी-20 टीम से उनके सदा के लिए बाहर होने की वजह बन सकता है.
Source : Manoj Sharma