उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) से जुड़े मुद्दों को उठाने वाली याचिकाओं पर दो सप्ताह बाद सुनवाई करेगा. यह मामला प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया था. तमिलनाडु क्रिकेट संघ (टीएनसीए) और हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ (एचपीसीए) की ओर से पेश वकीलों ने पीठ को बताया कि उन्होंने इस मामले में याचिका दायर की है और इन्हें सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाना चाहिए.
ये भी पढ़ें- BCCI अध्यक्ष सौरव गांगुली की ये बात मानने को तैयार नहीं ऑस्ट्रेलिया, बायो सिक्योर प्रोटोकॉल का दिया हवाला
टीएनसीए की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ से कहा, ‘‘मैं तमिलनाडु क्रिकेट संघ की ओर से पेश हुआ हूं. हमने अंतरिम याचिका दायर की है जिसे आज सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया. इसलिए कृपया करके निर्देश दें कि हमारी अंतरिम याचिका को न्यायालय में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए.’’ एचपीसीए की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने भी कहा कि उनके द्वारा दायर याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया है.
ये भी पढ़ें- Big News : IPL 2020 से पहले होगी भारत दक्षिण अफ्रीका में T20 सीरीज! जानिए पूरी डिटेल
पीठ ने कहा कि इन याचिकाओं पर दो हफ्ते के बाद सुनवाई होगी. भारतीय नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने हाल में अदालत का दरवाजा खटखटाते हुए 2016 के आदेश में संशोधन की मांग की थी जिससे कि वह बीसीसीआई और राज्य क्रिकेट संघों का वार्षिक या द्विवार्षिक वित्तीय, अनुपालन और प्रदर्शन ऑडिट कर सकें. कैग ने अपनी याचिका 18 जुलाई 2016 के आदेश में संशोधन की मांग की थी जिसके जरिए उच्चतम न्यायालय ने न्यायमूर्ति आरएम लोढा समिति की सिफारिशों को स्वीकार किया था जिसमें बीसीसीआई की शीर्ष परिषद और इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की संचालन परिषद में कैग के एक नामित को शामिल करना शामिल है.
ये भी पढ़ें- IPL 2020 : कब और क्यों विदेश में हुआ आईपीएल, जानिए तब कौन सी टीम बनी थी विजेता
कैग ने कहा कि 35 राज्यों संघों में से केवल 18 ने अब तक नामांकन का आग्रह किया है जबकि 17 अन्य ने अभी नामांकित अधिकारियों से संपर्क नहीं किया है. उच्चतम न्यायालय ने 18 जुलाई 2016 के अपने आदेश में कैग के नामित को बीसीसीआई सदस्य के रूप में शामिल करने की न्यायमूर्ति लोढा समिति की सिफारिश से सहमत होते हुए कहा था कि इससे क्रिकेट की राष्ट्रीय संचालन संस्था के मामलों में पारदर्शिता और वित्तीय बेहतरी आएगी.
Source : Bhasha