पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज कृष्णमाचारी श्रीकांत ने कहा कि हार न मानने वाले जज्बे और आत्मविश्वास को देखते हुए मौजूदा कप्तान विराट कोहली की तुलना महान क्रिकेटर कपिल देव से की जा सकती है. श्रीकांत उस टीम का हिस्सा थे, जिसने कपिल की अगुआई में 1983 विश्व कप जीता था, जबकि विराट कोहली उस टीम के सदस्य थे, जिसने 2011 चरण में खिताब जीता था.
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कृष्णमाचारी श्रीकांत ने स्टार स्पोर्ट्स के क्रिकेट कनेक्टिड शो में कहा, मैं कपिल देव के साथ खेला हूं और मैं विराट कोहली को चुनने वाली चयन समिति का भी चेयरमैन रह चुका हूं. मैं आपको बता सकता हूं कि दोनों का रवैया बिलकुल समान है. उन्होंने कहा, दोनों अत्यधिक आत्मविश्वास से भरे होते हैं और वे जानते हैं कि वे केवल जीत के इरादे से ही मैदान में उतरते हैं. हार न मानने वाला जज्बा और आक्रामकता उन्हें लक्ष्य का पीछा करने के दौरान बेहतरीन बनाती है. दोनों का सकारात्मक रवैया उन्हें एक दूसरे जैसा बनाता है. इसी शो पर पूर्व बल्लेबाज वीवीएस लक्ष्मण ने कहा कि विराट कोहली कभी भी अपने जज्बे को कम नहीं होने देता. लक्ष्मण ने कहा, मैं विराट कोहती के जज्बे का मुरीद हूं. मुझे चिंता थी कि उसका जज्बा जल्द ही कम तो नहीं हो जाएगा. लेकिन एक सत्र तो छोड़ो, वह एक ओवर के लिये भी अपनी इस ऊर्जा को कम नहीं होने देता, यह सचमुच ही प्रशंसनीय है. विराट कोहली ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के सभी प्रारूपों में 50 से ज्यादा के औसत से रन बनाए हैं. टेस्ट में उन्होंने 53.62 के औसत से 7240 और वनडे में करीब 60 के औसत से 11,867 रन जोड़े हैं.
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आपको बता दें कि इसी कार्यक्रम में इंग्लैंड के पूर्व कप्तान नासिर हुसैन ने कहा कि विराट कोहली मैच पूर्व अभ्यास के लिए फुटबॉल खेलते हैं तो उन्हे देखकर ऐसा लगता है, जैसे वह क्रिकेट नहीं बल्कि फुटबॉल विश्व कप का फाइनल खेलने की तैयारी कर रहे हैं. क्रिकेट पर करीबी नजर रखने वाले नासिर हुसैन ने फुटबॉल का उदाहरण देकर समझाया कि विराट कोहली में जीत की ललक कितनी अधिक है. नासिर हुसैन ने कहा, मुझे लगता है यह उनकी रन बनाने की भूख और जीतने की ललक का नतीजा है. मैंने उन्हें फुटबॉल खेलते हुए देखा है. भारतीय टीम जब अभ्यास के दौरान फुटबॉल खेलती है तो विराट कोहली को देखकर लगता है कि वह विश्व कप (फुटबॉल) का फाइनल, एफए कप का फाइनल या प्रीमियर लीग का आखिरी मुकाबला खेल रहे हैं.
(PTI input)
Source : News Nation Bureau