India vs Bangladesh : भारत ने बांग्लादेश को 2-1 से हराकर 3 मैचों की टी-20 सीरीज पर कब्ज़ा कर लिया. टीम इंडिया के इस शानदार प्रदर्शन के पीछे भारतीय टीम के दाएं हाथ के तेज गेंदबाज दीपक चाहर (Deepak Chahar) की गेंदबाजी रही, जिन्होंने अपनी बेहतरीन गेंदबाजी के दम पर सभी का दिल जीत लिया. इसके साथ ही दीपक चाहर (Deepak Chahar) ने ऑस्ट्रेलिया में होने वाले T20 वर्ल्ड कप के लिए भी दावा पेश दिया .उम्मीद है कि चाहर 2020 में T20 वर्ल्ड कप में जसप्रीत बुमराह के साथ टीम इंडिया की गेंदबाज़ी की अगुआई करते हुए दिखाए दें.
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दीपक चाहर ने हाल ही में खत्म हुई T20 सीरीज के तीसरे और आखिरी मैच में वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम किया. दीपक चाहर ने 3.2 ओवर की गेंदबाज़ी में 7 रन देकर 6 विकेट लिए थे, जो T20 क्रिकेट के इतिहास में सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी प्रदर्शन है. इससे पहले ये रिकॉर्ड श्रीलंका के पूर्व स्पिनर अजंता मेंडिस के नाम था. मेंडिस ने जिम्बाब्वे के खिलाफ साल 2012 में 8 रन देकर 6 विकेट लेने का कारनामा किया था, लेकिन अब ये रिकॉर्ड दीपक चाहर के नाम है. चाहर ने सीरीज के 3 मैच में 8 विकेट हासिल किए. जिसमें से आखिरी मैच में हैट्रिक समेत 6 विकेट लेना रहा. दीपक चाहर भारतीय मेंस टीम की ओर से T20 इंटरनेशनल क्रिकेट में हैट्रिक लेने वाले पहले भारतीय गेंदबाज बने. जबकि T20 क्रिकेट इतिहास की बात की जाए तो कुल 12वीं हैट्रिक रही.
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बुमराह-चाहर विराट के ब्रह्मास्त्र
बांग्लादेश के अपनी धारधार गेंदबाजी से दीपक चाहर ने दिखा दिया कि दवाब में उन पर भरोसा किया जा सकता है. चाहर ने अपनी गेंदबाजी के दम पर ऑस्ट्रेलिया में अगले साल नवंबर में होने वाले टी-20 वर्ल्ड कप के लिए भी अपनी दावेदारी को और मजबूत किया. ऑस्ट्रेलिया की तेज और उछाल भरी पिच पर चाहर कारगार साबित हो सकते हैं.
ऑस्ट्रेलिया में ग्रांउड बड़े-बड़े होते हैं ऐसे में डेथ ओवर्स में चाहर की ऑफ कटर और स्लो गेंदें काफी कम आएंगी. ऊपर से टीम इंडिया के पास पहले से ही जसप्रीत बुमराह जैसा गेंदबाज हैं, जो विरोधी बल्लेबाजों को एक-एक रन के के लिए तरसा देता हैं. बुमराह की गेंदों का मौजूदा समय में किसी भी बल्लेबाज़ के पास कोई जवाब नहीं है. ऐसे में चाहर के आने से यकीनन बुमराह के कंधों से बोझ होगा. ऐसे में बुमराह-चाहर की जोड़ी से विरोधी बल्लेबाजों को निपटना आसान नहीं होगा.
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स्विंग है सबसे बड़ी ताकत
दीपक चाहर की सबसे बड़ी ताकत उनकी स्विंग गेंदबाजी है. दीपक चाहर ने स्विंग की कला अपने पापा की क्रिकेट अकादमी में सीखी थी. चाहर की गेंदबाज़ी में भुवनेश्वर कुमार और प्रवीण कुमार की झलक दिखती है. चाहर के पास स्विंग के साथ-साथ गति भी है जिसके दम पर वो विरोधी बल्लेबाजों को धूल चटाने का दम रखते हैं.
Ipl में धोनी की अगुआई मे दीपक चाहर ने अपनी स्विंग की कला को धार दी थी. महेंद्र सिंह धोनी ने दीपक चाहर से पावरप्ले में गेंदबाजी कराई, जिससे चाहर का कॉन्फिडेंस बढ़ा. इसके बाद चाहर ने अपनी गेंदबाजी की बाकी स्किल्स पर भी ध्यान दिया और धीरे-धीरे वो डेथ ओवर्स में भी विरोधी बल्लेबाजों का काल साबित हो गए. दीपक चाहर कई बार इंटरव्यू में कह चुके हैं कि उनकी सफलता के पीछे धोनी का हाथ है.
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डेब्यू में किया धमाका
दीपक चाहर पहली बार सुर्खियों में तब आए जब उन्होंने राजस्थान के लिए साल 2010 में फर्स्ट क्लास में डेब्यू किया. चाहर ने इस मैच में हैदराबाद के खिलाफ घातक गेंदबाजी के दम पर 10 रन देकर 8 विकेट चटकाए थे. चाहर की इस गेंदबाजी की बदौलत हैदराबाद की पूरी टीम महज 21 रनों पर ढेर हो गई. उस वक्त चाहर की उम्र सिर्फ 18 साल थी. इसके बाद सफलता चाहर के साथ चहलकदमी करने लगी और चाहर ने लगातार दो बार राजस्थान को रणजी ट्रॉफी का खिताब जिताने में अहम भूमिका निभाई.
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जब चैपल ने चाहर को किया था रिजेक्ट
ऐसा नहीं है कि दीपक चाहर को नाकामी नहीं मिली. साल 2008 में दीपक चाहर को क्रिकेट एसोशिएशन अकादमी निदेशक के हेड रहे ग्रेग चैपल ने दीपक चाहर को टीम के अंतिम 50 खिलाड़ियों में जगह नहीं दी थी क्योंकि चाहर की फिटनेस उस लेवल की नहीं थी, जिसके दम पर वो टीम में जगह बना सकें. यहां तक कि चैपल ने उन्हें गेंदबाजी ना करने तक की सलाह दे डाली थी. फिर क्या था दीपक चाहर ने इस बात को गले से लगा लिया. धोनी की कप्तानी में ipl में चेन्नई सुपर किंग्स की ओर से खेलते हुए चाहर ने ना सिर्फ अपनी गेंदबाजी पर ध्यान दिया बल्कि अपनी फिटनेस लेवल को भी बढ़ाया और चेन्नई सुपर किंग्स को फाइनल में पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई.
Source : News Nation Bureau