आज 25 जून 2022 है. आप सोचेंगे कि इसमें क्या ख़ास बात है. खास बात है जनाब क्योंकि ठीक 39 साल पहले भारत ने वो इतिहास रच दिया था. जिसके बाद भारतीय क्रिकेट का समय ही बदल गया. दरअसल आज ही के दिन भारत ने चैम्पियन टीम वेस्टइंडीज को हराकर पहली बार कपिल देव की कप्तानी में वर्ल्ड कप का खिताब अपने नाम किया था. क्या समय था वो, जब टीम वर्ल्ड कप के लिए जा रही थी तो किसी को भी उम्मींद नहीं थी कि ये खिलाड़ी जब वापस आ रहे होंगे तो अकेले नहीं बल्कि उस कप को साथ लेकर आ रहे होंगे. टीम ने जैसे ही ये कप अपने नाम किया वैसे ही भारतीय क्रिकेट में एक क्रांति आ गई. देश का हर बच्चा क्रिकेटर बनने के सपने देखने लगा. कपिल देव के साथ-साथ वो सभी प्लेयर्स रातों रात देश के हीरो बन गए. पर ये सब इतना आसान नहीं रहा. 1983 वर्ल्ड कप का सफर काटों से भरा हुआ था. सामने वेस्टइंडीज, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसी मजबूत्त टीमें थीं. जिनसे पार पाना उस समय में बहुत मुश्किल हुआ करता था. लेकिन हमारे शानदार प्लेयर्स ने जिगर दिखाते हुए सभी को पस्त कर दिया.
भारतीय टीम का सफर एक सपने के जैसे शुरू हुआ. टीम ने अपने शुरूआती दोनों मुकाबले जीत लिए थे. और लग रहा था कि दूसरी टीमों की इस बार कुछ नहीं चलेगी। लेकिन कहते हैं ना बसंत के बाद पतझड़ आता है, सुख के बाद दुःख, टीम के साथ भी कुछ ऐसा हुआ. लगातार मैच जीतने के बाद टीम लगातार 2 मुकाबले हार गई. पहले ऑस्ट्रेलिया ने मात दी और उसके बाद वेस्टइंडीज की टीम ने. स्टेज में आगे जाने के लिए अब टीम को हर हाल में अपने बचे हुए 2 मुकाबले जीतने ही थे. और फिर यहां से कप्तान अपना जोश दिखाते हैं. जिम्बाब्वे के साथ हुए मुकाबले में कपिल देव ने वो 175 रन की पारी खेली जो आज भी हम सभी के आँखों में चमक सी ला देती है. शानदार, दमदार पारी थी वो. कपिल देव ने दिखा दिया था कि सुनील गावस्कर को हटा कर उन्हें कप्तानी दी है तो कुछ भी गलत नहीं किया. इस ऑलराउंडर ने जिम्बाब्वे के गेंदबाजों के पसीने छुड़ा दिए. 9 रन पर 4 विकेट गिरने के बावजूद टीम ने कपिल की पारी की बदौलत 31 रन से ये मुकाबला अपने नाम किया. इसके बाद टीम ने ऑस्ट्रेलिया को 118 रन से हराकर सेमीफाइनल में अपनी जगह बनाई। आपको याद दिला दें कि इस वर्ल्ड कप से पहले भारतीय टीम ने 2 वर्ल्ड कप खेले थे जिसमें महज 3 ही मैच जीतने में सफल हुए थे.
अब बारी थी सेमीफाइनल में इंग्लैंड की टीम को हराने की. और टीम ने 6 विकेट्स से ये मैच अपने नाम करके पहली बार वर्ल्ड कप के फ़ाइनल में जगह बना ली. हर भारतीय बस यही दुआ कर रहा था कि 25 जून को कोई चमत्कार हो जाए, वो इसलिए क्योंकि उस समय की वेस्टइंडीज की टीम बहुत खतरनाक हुआ करती थी. 1975 के साथ 1979 का वर्ल्ड कप ये टीम अपने नाम करके यहां आई थी. साथ में वेस्टइंडीज ने लीग मैचों में भी भारत को मात दी थी, ऐसे में ये मुकाबला भारत के लिए मुश्किल से भी मुश्किल होने वाला था. और शुरूआती पल में हुआ भी यही. भारत के बल्लेबाजों ने जैसे वेस्टइंडीज के गेंदबाजों के सामने घुटने ही टेक दिए थे. सिर्फ 183 पर टीम ऑलआउट हो गई. लग रहा था कि सभी सपने चकनाचूर हो गए. लेकिन तभी कप्तान कपिल देव ने अपनी टीम का जोश बढाया और वेस्टइंडीज जैसी बड़ी टीम को भारतीय गेंदबाजों ने 140 रनों पर ही रोक दिया। और फिर पूरा भारत देश क्रिकेटमय हो गया. आज के समय की बात करें तो अब तो इस पर मूवी भी बन चुकी है. यकीन मानिए वो एक ऐसा पल था जिसे हर भारतीय हमेशा अपने यादों में रखना चाहेगा.