उत्तराखंड (Uttarakhand) के बाएं हाथ के बल्लेबाज कमल सिंह (Kamal singh) पुराने दिनों को याद करते हुए कैंसर (Cancer) से अपनी लड़ाई के बारे में बात करने लगे जब वह अपनी शुरुआती किशोरावस्था में थे. 21 वर्षीय इस खिलाड़ी ने फरवरी 2020 में अपनी घरेलू टीम (Domestic team) के लिए पदार्पण किया और 5 प्रथम श्रेणी और 9 लिस्ट ए मैच खेले. इस खिलाड़ी ने महाराष्ट्र के खिलाफ अपने प्रथम श्रेणी पदार्पण पर शतक बनाया और 2020-21 की विजय हजारे ट्रॉफी (Vijay hazare trophy) में अपनी टीम के प्रमुख रन-स्कोरर भी बने. हालांकि, वर्ष 2014 में स्टेज टू ब्लड कैंसर (Blood cancer) का पता चलने के बाद क्रिकेट खेलने का उनका सपना अचानक समाप्त होने लगा. उनका करियर और पढ़ाई रुक गई, लेकिन कमल सिंह टीम में वापसी करने के लिए अडिग रहे.
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वर्ष 2014 के अंत तक, उन्होंने तेजी से इलाज के लिए अक्सर डॉक्टरों के पास इलाज के लिए जाते रहे. इलाज का खर्च उनके पिता ने उठाया, जो भारतीय सेना के एक सेवानिवृत्त सूबेदार थे. कमल सिंह ने कहा, हमें पता चला कि प्लेटलेट काउंट बहुत कम था. डॉक्टर ने सुझाव दिया कि हम इलाज के लिए नोएडा (700 किलोमीटर से अधिक दूर एक शहर) जाएं. उन्होंने हमें बाहर जाकर दिल्ली के पास कहीं बेहतर चिकित्सा सुविधा में दिखाने के लिए कहा. कमल सिंह ने कहा, उस उम्र में मुझे बीमारी की भयावहता का एहसास नहीं था. ऐसा लग रहा था कि यह सिर्फ एक और बीमारी थी, जिसके इलाज की आवश्यकता थी, जो छह महीने तक चलेगी. क्रिकेट खेलने की सोच ने मुझे कैंसर से इस लड़ाई से लड़ने की शक्ति दी.
उन्होंने कहा, मैंने कैंसर को हराया क्योंकि मैं क्रिकेट खेलना चाहता था. बचपन में हम गलत चीज नहीं देखते, सिर्फ अच्छे चीज देखते हैं. जीवन में आगे बढ़ने के लिए वह नहीं है जिसे मैं मिस करने जा रहा हूं. मैं केवल वापस आने और खेलने के लिए उत्सुक था. कमल सिंह (Kamal singh) ने आगे कहा, मैं केवल जल्द से जल्द फिट होने का समाधान देख रहा था, उस समस्या का नहीं जिसका मैं सामना कर रहा था. कमल सिंह (Kamal singh) ने 5 प्रथम श्रेणी और 9 लिस्ट ए मैच खेले हैं जिसमें उन्होंने 2 शतक और 5 अर्धशतक की मदद से क्रमशः 387 और 428 रन बनाए.