22 फीट की पिच पर गेंद और बल्ले की जंग का नाम है क्रिकेट! यह खेल सिर्फ शारीरिक मेहनत पर ही नहीं बल्कि रणनीतिक दांव-पेंच का भी खेल है. जो भी टीम इस दांव-पेंच में ज्यादा बेहतर करती है वो मैच की नतीजा अपने पक्ष में रखने में कामयाब रहती है. इस रणनीति में सही टीम का चयन उतना ही जरूरी है जितना कि आपका शानदार प्रदर्शन करना. हर टीम चयन के दौरान वह बल्लेबाजी और गेंदबाजी क्रम चुनना चाहती है जो सामने वाली टीम के परखच्चे उड़ा दे. हालांकि ऐसा हो नहीं पाता, जिस तरह से एक म्यान में दो तलवारें नहीं रह सकती उसी तरह एक ही मैच में दोनों टीमों की रणनीति सफल नहीं हो पाती. मैच के दौरान कोई एक खिलाड़ी ऐसा होता है जो मैच का रुख अपनी टीम की ओर मोड़ता है और अपने अद्भुत प्रदर्शन के चलते अपनी टीम को विजयी टीम बनाता है.
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में ऐसे खिलाड़ियों के प्रदर्शन की सराहना के लिए उन्हें मैन ऑफ द मैच अवॉर्ड दिया जाता है. क्रिकेट जगत में कई ऐसे खिलाड़ी हुए हैं जिन्होंने अपने देश के लिए ऐसी अद्भुत पारियां खेली हैं और न सिर्फ अपना बल्कि अपने देश का नाम भी विश्व पटल पर लिखवाया है.
आइये विश्व क्रिकेट के 10 ऐसे खिलाड़ियों के बारे में जानते हैं जिनकी अद्भुत पारियों ने उन्हे सबसे ज्यादा बार मैन ऑफ द मैच अवॉर्ड का हकदार बनाया है.
10. अरविंद द सिल्वा (Aravinda de Silva), श्रीलंका (Sri Lanka)
श्रीलंका के पूर्व कप्तान और बल्लेबाज अरविंद द सिल्वा ने 1984 से लेकर 2003 तक अपने देश के लिए क्रिकेट खेला. इस दौरान उन्होंने टेस्ट और वनडे दोनों प्रारूप को मिलाकर 401 मैच खेले. अरविंद द सिल्वा ने अपनी शानदार बल्लेबाजी के दम पर कई ऐसी अद्भुत पारियां खेली थी जिसके कारण श्रीलंकाई टीम ने अपने विरोधी पर जीत दर्ज की.
1996 के विश्व कप फाइनल में यह उनकी शानदार पारी का ही कमाल था कि श्रीलंका ने महज 3 विकेट के नुकसान पर लक्ष्य हासिल कर ऑस्ट्रेलिया को मात दी और पहली बार विश्व विजेता का खिताब अपने नाम किया.
1996 के इस फाइनल मैच में ऑस्ट्रेलिया ने पहले खेलते हुए मार्क टेलर के 74 रनों की मदद से 241 रन बनाए थे, लेकिन श्रीलंका ने अरविंद डी सिल्वा की ऑल राउंड परफॉर्मेंस के चलते तीन विकेट के नुकसान पर ही लक्ष्य हासिल कर लिया.
सिल्वा ने अपनी पारी में 2 कैच पकड़े, तीन विकेट लिए और नाबाद 107 रनों की पारी खेली. सिल्वा ने अपने करियर में 41 बार मैन ऑफ द मैच का अवॉर्ड हासिल किया, इसमें 11 बार टेस्ट और 30 बार वनडे मैचों में उन्हें यह खिताब मिला.
9. विवियन रिचर्ड्स (Sir Isaac Vivian Alexander Richards, West indies)
वेस्टइंडीज के पूर्व क्रिकेटर सर इसाक विवियन एलेक्जेंडर रिचर्ड्स ने 1974 से लेकर 1991 तक अपने देश के लिए क्रिकेट खेला. इस दौरान उन्होंने टेस्ट और वनडे दोनों प्रारूप को मिलाकर कुल 308 मैच खेले. अपनी आक्रामक बल्लेबाजी के चलते गेंदबाजों में खौफ भर देने वाले इस कैरिबियाई बल्लेबाज ने विश्व क्रिकेट में अपनी एक नई और अलग पहचान बनाई.
साल 1974 में वेस्टइंडीज़ टीम को सीरीज़ खेलने के लिए भारत आना था. विवियन रिचर्ड्स की यह पहली इंटरनेशनल सीरीज़ थी. सीरीज़ के दूसरे टेस्ट मैच में ही उन्होंने कमाल की बल्लेबाज़ी करते हुए तहलका मचा दिया.
रिचर्ड्स ने भारत के खिलाफ भारतीय मैदान पर बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए नाबाद 192 रनों की यादगार पारी खेली. जिसमें उन्होंने 20 चौके और 6 छक्के जड़े. उनकी बेमिसाल पारी की बदौलत वेस्टइंडीज़ ने भारत को पारी और 17 रनों से करारी शिकस्त दे दी.
इस मैच के बाद रिचर्ड्स की हर पारी और ज्यादा निखरती गई. रिचर्ड्स ने अपने करियर में 41 बार मैन ऑफ द मैच का अवॉर्ड हासिल किया, इसमें 10 बार टेस्ट और 31 बार वनडे मैचों में उन्हें यह खिताब मिला.
8. ब्रायन लारा (Brayan Lara, West Indies)
वेस्टइंडीज के लिए सर डॉन ब्रैडमैन के बाद ब्रायन लारा ही इकलौते ऐसे खिलाड़ी हुए हैं जिन्होंने अपनी टीम के लिए बड़े स्कोर बनाए. यह बड़े स्कोर शतक, दोहरा शतक और तिहरा शतक तक ही सीमित नहीं थे बल्कि वह दुनिया के इकलौते ऐसे बल्लेबाज हैं जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 400 रन बनाए थे. उन्होंने अपनी इस पारी में 582 गेंदों का सामना किया था, 43 चौके और 4 छक्के लगाए थे.
मजे की बात यह है कि उन्होंने ठीक 10 साल पहले इंग्लैंड के ख़िलाफ़ इसी मैदान पर इसी विपक्षी टीम के खिलाफ 1994 में 375 रनों की पारी खेली थी. हालांकि लारा पर अक्सर स्वार्थी होने का इल्ज़ाम लगता रहा है.
लारा पर हमेशा यह आरोप लगता रहा है कि वह अपना रिकॉर्ड बनाने के चक्कर में मैच के रिजल्ट की परवाह किए बिना क्रीज पर टिके रहते हैं. रिचर्ड्स ने अपने करियर में 42 बार मैन ऑफ द मैच का अवॉर्ड हासिल किया, इसमें 12 बार टेस्ट और 30 बार वनडे मैचों में उन्हें यह खिताब मिला.
7. शाहिद अफरीदी (Shahid Afridi, Pakistan)
साल 1996-97 के समीर कप से पहले पाकिस्तान की टीम के सामने एक बड़ी समस्या आ गई थी. उसके लीडिंग बॉलर और लेग स्पिन गेंदबाजी में माहिर मुश्ताक अहमद चोटिल हो गए थे. सामने 4 देशों की चतुर्कोणीय श्रृंखला समीर कप था जिसमें हर देश जीत दर्ज करना चाहता था. पाकिस्तानी चयनकर्ताओं ने इसके लिए देश के सबसे युवा 16 वर्षीय दाएं हाथ के बल्लेबाज और लेग स्पिनर शाहिद अफरीदी का नाम टीम में शामिल किया. आखिरकार पाकिस्तानी कप्तान ने उन्हें समीर कप के चौथे मैच में उन्हें खेलने का मौका देते हुए प्लेइंग 11 में शामिल किया.
अफरीदी ने 02 अक्टूबर 1996 को अगा खान स्पोर्ट्स क्लब ग्राउंड पर केन्या के खिलाफ अपने एकदिवसीय करियर की शुरुआत की. हालांकि इस मैच में कुछ खास कमाल नहीं कर सके. उन्होंने 10 ओवर गेंदबाजी की जिसमें उन्होंने 32 रन लुटाए और एक भी विकेट नहीं ले पाए. बल्लेबाजी में पाकिस्तान की टीम ने 4 विकेट रहते ही मैच को जीत लिया जिस कारण वो बल्लेबाजी का हुनर दिखा पाने में नाकाम रहे.
अगले मैच में श्रीलंका के खिलाफ पाकिस्तान टीम ने एक बार फिर शाहिद को मौका दिया और इस मैच जो कुछ वो एक स्वर्णिम इतिहास बन गया. 4 अक्टूबर 1996 को पाकिस्तान की पहले बल्लेबाजी करने उतरी. 60 रन पर 1 विकेट के नुकसान के बाद जब शाहिद को एक पिंच हिटर के तौर पर शईद अनवर ने भेजा तो उन्हें भी अंदाजा नहीं था उनकी यह पारी विश्व क्रिकेट में उनकी टीम का चेहरा बदल के रख देने वाली होगी.
नैरोबी में सचिन तेंदुलकर के गिफ्ट किए हुए बल्ले से अपने करियर के दूसरे मैच और बल्लेबाजी की पहली पारी में शाहिद अफरीदी ने ताबड़तोड़ 37 गेंद में शतक लगा डाला.
अफरीदी ने 50 मिनट से कम समय में यह कारनामा कर दिखाया और वनडे क्रिकेट में सबसे तेज शतक लगाने का रिकॉर्ड अपने नाम किया. उन्होंने 1988 में न्यूजीलैंड के खिलाफ भारतीय बल्लेबाज मोहम्मद अजहरुद्दीन के सबसे तेज शतक लगाने के रिकॉर्ड को तोड़ दिया था. अजहरुद्दीन ने 62 गेंदो में 3 छक्के और 10 चौकों की मद्द से यह पारी खेली थी लेकिन अफरीदी ने 11 छक्कों और 4 चौकों की मद्द से उनके इस रिकॉर्ड को तोड़ दिया. इसके लिए उन्हें अपने करियर का पहला मैन ऑफ द मैच अवॉर्ड भी दिया गया.
शाहिद अफरीदी का यह रिकॉर्ड करीब 18 साल तक ऐसे ही टॉप पर बना रहा, जिसे न्यूजीलैंड के ऑलराउंडर कोरी एंडरसन ने वेस्टइंडीज के खिलाफ 2014 में सिर्फ 36 गेंद में सेंचुरी लगाकर तोड़ा. हालांकि कोरी एंडरसन के इस रिकॉर्ड को द. अफ्रीकी बल्लेबाज ए बी डीविलियर्स ने एक साल के अंदर तोड़ दिया. उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ सिर्फ 31 गेंद में वनडे शतक ठोक दिया.
अफरीदी ने अपने करियर में 43 बार मैन ऑफ द मैच का अवॉर्ड हासिल किया, इसमें 32 बार वनडे मैचों में और 11 बार टी-20 इंटरनेशनल मैचों में उन्हें यह खिताब मिला. मजे की बात यह है कि अपने टेस्ट करियर में 27 टेस्ट मैच खेलने वाले इस हरफनमौला खिलाड़ी को इस फॉर्मेट में एक भी मैन ऑफ द मैच अवॉर्ड नहीं मिला है.
6. विराट कोहली (Virat Kohli, INDIA)
क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में भारतीय टीम के क्रिकेट कप्तान विराट कोहली दुनिया के श्रेष्ठतम बल्लेबाजों में से एक हैं. वह लगातार एक के बाद एक नए कीर्तीमान स्थापित करते जा रहे हैं. विश्व क्रिकेट के महानतम खिलाड़ियों में अपना नाम शामिल करने वाले इस भारतीय खिलाड़ी ने हाल ही में सबसे तेज 10 हजार ODI रन बनाने का रिकॉर्ड अपने नाम किया है. सचिन तेंदुलकर के बाद एकदिवसीय क्रिकेट में सबसे ज्यादा सेंचुरी लगाने वाले विराट कोहली ने अपने करियर की शुरुआत 2008 में की थी और अभी आने वाले सालों में और कई रिकॉर्ड ध्वस्त करते नजर आएंगे.
कप्तान कोहली अपने अब तक के करियर में 48 मैन ऑफ द मैच अवॉर्ड हासिल कर चुके हैं. इसमें 8 बार टेस्ट और 30 बार वनडे और 10 बार टी-20 मैच शामिल है.
5. रिकी पॉन्टिंग (Rickey Ponting, Australia)
ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट इतिहास के लिए सबसे सफल कप्तान रिकी पॉन्टिंग ने अपने करियर की शुरुआत 15 फरवरी 1995 को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ वेलिंगटन के बसिन रिजर्व स्टेडियम में की थी. हालांकि करियर के पहले ही मैच में वो महज एक रन के स्कोर सिमन्स का शिकार हो गए थे. पॉन्टिंग ने अपने करियर के दौरान 560 मैच खेले जिसमें उन्होंने 13378 टेस्ट 13704 ODI रन बनाए. वह 17 टी-20 मैच भी खेले जिसमें महज 401 रन ही बना सके.
पूर्व ऑस्ट्रेलियाई बॉलर ग्रेग कैंपबेल के भतीजे पॉन्टिंग ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में पहला शतक इंग्लैंड के खिलाफ लिड्से में 1997 में लगाया था। हालांकि ODI की तुलना में उनका टेस्ट डेब्यू काफी शानदार रहा. 8 दिसंबर 1995 को श्रीलंका के खिलाफ वाका के ग्राउंड में पॉन्टिंग ने अपना टेस्ट डेब्यू किया जहां उन्हें चमिंडा वास की गेंद पर एक विवादित LBW के चलते 96 के निजी स्कोर पर वापस जाना पड़ा.
पॉन्टिंग ने अपने 17 साल के करियर अपने और अपनी टीम के लिए कई विश्व रिकॉर्ड बनाए. इस दौरान वह 49 बार मैन ऑफ द मैच के अवॉर्ड से सम्मानित किए गए, जिसमें 16 टेस्ट, 32 ODI और 1 टी-20 इंटरनेशनल मैच शामिल है.
4. कुमार संगाकारा (Kumar Sangakkara, Sri Lanka)
श्रींलका क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और विकेटकीपर कुमार संगाकारा ने अपने करियर की शुरुआत 5 जुलाई 2000 में पाकिस्तान के खिलाफ की थी. अपने पहले ही मैच में उन्होंने इस बात की झलक दिखा दी थी कि वो श्रीलंकाई क्रिकेट इतिहास में कितना बड़ा नाम होंगे. हालांकि वो पहले मैच में 35 के निजी स्कोर पर रन आउट हो गए थे, लेकिन उसके बाद वह रुके नहीं और अपने करियर के दूसरे ही मैच में अपना पहला मैन ऑफ द मैच अवॉर्ड हासिल किया. हालांकि दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेले गए इस मैच में भी उन्हें रन आउट होकर वापस जाना पड़ा पर तब तक वो 11 चौकों की मदद से 85 रन बना चुके थे.
संगाकारा के क्रिकेट को अलविदा कहने तक एक बल्लेबाज विकेटकीपर के तौर पर वह कई ऐसे रिकॉर्ड बना चुके थे जिसे विश्व के सफलतम कप्तानों में से एक एम एस धोनी भी नहीं तोड़ पाए हैं.
अपने 15 साल तक के क्रिकेट करियर के दौरान 404 ODI, 134 टेस्ट और 56 टी-20 मैच खेले. इस दौरान उन्होंने 25 शतक और 98 अर्धशतक की मदद से 14234 ODI रन बनाए, वहीं टेस्ट में 11 दोहरे शतक, 38 शतक और 52 अर्धशतक लगाने का रिकॉर्ड भी संगाकारा के नाम दर्ज है. वह सर डॉन ब्रैडमैन के बाद इकलौते दूसरे खिलाड़ी हैं जिनके नाम इतने दोहरे शतक दर्ज है, ब्रैडमैन ने 12 दोहरे शतक लगाए थे.
संगाकारा ने 50 बार मैन ऑफ द मैच का अवॉर्ड जीता, जिसमें 16 टेस्ट, 31 ODI और 3 टी-20 इंटरनेशनल मैच शामिल है.
3. जैक कैलिस (Jacques Kallis, South Africa)
दुनिया के सबसे बेहतरीन और दक्षिण अफ्रीका के सर्वकालिक महान ऑलराउंडर जैक कैलिस ने 14 दिसंबर 1995 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच से अपने करियर की शुरुआत की थी. हालांकि वह पहले मैच में महज 1 रन के स्कोर पर आउट हो गए थे.
कैलिस ने दुनिया के एकमात्र ऑलराउंडर हैं जिनके नाम वनडे और टेस्ट में 250 विकेट और 10,000 से ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड दर्ज है। इसके अलावा कैलिस टेस्ट और वनडे में 100 कैच लेने वाले भी दुनिया के इकलौते क्रिकेटर हैं। कैलिस इकलौते ऐसे खिलाड़ी हैं जिनके नाम टेस्ट और वनडे दोनो फार्मेट में 100 कैच लेने का रिकॉर्ड हैं।
उन्होंने अपने लगभग 18 साल के करियर में 57 बार मैन ऑफ द मैच का रिकॉर्ड हासिल किया, जिसमें 23 बार टेस्ट (जो कि टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा है), 32 बार ODI और 2 बार टी-20 मैच शामिल हैं.
2. सनथ जयसूर्या ( Sanath Jayasurya)
श्रीलंका के विस्फोटक बल्लेबाज सनथ जयसूर्या ने अपने करियर की शुरुआत 26 दिसंबर 1989 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ किया था, हालांकि शुरुआत कुछ खास नहीं थी, या यूं कहें कि साल 1995 तक जयसूर्या की सालाना ODI एवरेज 30 के पार नहीं गई. लेकिन 1996 विश्व कप जयसूर्या के करियर के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ. उन्होंने शाहिद अफरीदी के बाद दूसरी सबसे तेज सेंचुरी (48 गेंद) बनाने की रिकॉर्ड अपने नाम किया, वहीं 17 गेंदों में अर्धशतक भी लगाया था.
जयसूर्या ने 110 टेस्ट मैच में 6973 रन बनाए, जिसमें 14 शतक और 3 दोहरा शतक शामिल है और 445 वनडे मैच में 13430 रन बनाए, जिसमें 28 शतक शामिल है. इस दौरान उन्होंने 58 बार मैन ऑफ द मैच का रिकॉर्ड हासिल किया, जिसमें 4 बार टेस्ट, 48 बार ODI और 6 बार टी-20 मैच शामिल हैं.
1. सचिन रमेश तेंदुलकर (Sachin Tendulkar)
दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक और क्रिकेट के भगवान के नाम से प्रसिद्ध सचिन तेंदुलकर ने 16 साल की उम्र में पाकिस्तान के खिलाफ अपने क्रिकेट करियर की शानदार शुरुआत की और श्रीकांत की कप्तानी वाली टीम में 6 पारियों में देश के लिये दो अर्धशतक बनाये. उन्होंने ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान पर इंग्लैंड के खिलाफ खेलते हुए 1990 में पहला शतक (नाबाद 119) रन बनाए.
ODI में पहला दोहरा शतक लगाने वाले इस बल्लेबाज के नाम अनेकों रिकॉर्ड हैं. अपने 24 साल के करियर में उन्होंने 76 बार मैन ऑफ द मैच का रिकॉर्ड हासिल किया, जिसमें 14 बार टेस्ट और 62 बार ODI मैच शामिल हैं.
Source : Vineet Kumar