भारतीय कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) ने कहा कि विपक्षी टीम की निगाहों में उनके प्रति भय और सम्मान के अभाव से वह अपने काम करने के तरीके को बदलने के लिए बाधित हुए और ‘प्रभावी खिलाड़ी’ बनने में सफल हुए. एमी पुरस्कार विजेता पत्रकार ग्राहम बेनसिंगर ने भारत के सबसे लोकप्रिय और सक्रिय खिलाड़ी का साक्षात्कार लिया, जिसमें विराट कोहली (Virat Kohli) ने अपनी फिटनेस के बारे में बात की. विराट कोहली (Virat Kohli) ने एक स्पोर्ट्स वेब-शो में बताया कि कैसे उन्होंने 2012 में ऑस्ट्रेलियाई दौरे से वापसी के बाद अपनी फिटनेस पर काम किया, जिससे उनके खेल में सुधार हुआ.
विराट कोहली (Virat Kohli) ने इसमें कहा, ‘ऐसा भी समय था जब मैं बल्लेबाजी के लिए उतरता था तो विपक्षी खेमे में मेरे प्रति कोई भय या सम्मान नहीं होता था.’
और पढ़ें: U19 Asia Cup: एशिया कप में भारत की विजयी शुरुआत, पाकिस्तान को 60 रनों से हराया
विराट कोहली (Virat Kohli) ने कहा, ‘मैं मैदान में ऐसे नहीं जाना चाहता कि विपक्षी टीम सोचे कि यह खिलाड़ी इतना खतरनाक नहीं है. मैं सिर्फ कोई अन्य खिलाड़ी नहीं बनना चाहता था, क्योंकि मैं प्रभाव डालना चाहता था.’ विराट कोहली (Virat Kohli) ने कहा, ‘मैं चाहता था कि जब मैं चलूं तो टीमों को सोचना चाहिए कि हमें इस खिलाड़ी को आउट करना चाहिए वर्ना हम मैच गंवा देंगे.’
विराट कोहली (Virat Kohli) ने साथ ही बताया कि फिटनेस कैसे उनकी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गई और कैसे इसने ब्रिटेन में विश्व कप के दौरान उन्हें तेजी से उबरने में मदद की. विराट कोहली (Virat Kohli) ने कहा, ‘विश्व कप के दौरान प्रत्येक मैच में मेरी ऊर्जा का स्तर 120 प्रतिशत रहता था. मैं इतनी तेजी से उबरा कि प्रत्येक मैच में मैंने औसतन 15 किमी की दूरी तय की. मैं वापस आता और उबरने का उपचार करता और फिर दूसरे शहर में जाता और जल्द ही फिर से ट्रेनिंग के लिए तैयार रहता.’
और पढ़ें: Ashes 2019: 301 पर सिमटी इंग्लैंड की टीम, बचाया फॉलोऑन, बनाई 196 रनों की बढ़त
विराट कोहली (Virat Kohli) ने कहा, ‘इतनी ऊर्जा होती थी कि मैं जिम सत्र में हिस्सा ले सका और 35 दिन के थोड़े से समय में 10 मैच खेल सका. मैंने प्रत्येक मैच इसी ऊर्जा से खेला, मुझे कभी भी ऐसा महसूस नहीं हुआ था. मेरे शरीर में कोई खिंचाव नहीं था.’
अपने आदर्श सचिन तेंदुलकर के बतौर क्रिकेटर कौशल को वह सर्वश्रेष्ठ आंकते हैं, जबकि खुद को वह कड़ी मेहनत का नतीजा मानते हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं जानता हूं कि जब मैं आया था तो मैं इतना कौशल रखने वाला खिलाड़ी नहीं था, लेकिन मेरी एक चीज निरंतर रही कि मैं खुद पर काम करता रहा.अगर भारतीय टीम को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीम बनना है तो उसे एक निश्चित तरीके से खेलने की जरूरत थी.’
विराट कोहली (Virat Kohli) ने कहा, ‘जब हम 2012 में ऑस्ट्रेलिया से वापस आए थे तो मैंने हममें और ऑस्ट्रेलिया के बीच काफी अंतर देखा. मैंने महसूस किया कि अगर हम अपने खेलने, ट्रेनिंग करने और खाने के तरीके में बदलाव नहीं करते हैं तो हम दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीमों से नहीं भिड़ सकते.’
और पढ़ें: पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को श्रीलंकाई खिलाड़ियों ने दिया बड़ा झटका, दौरे पर जाने से किया इंकार
विराट कोहली (Virat Kohli) ने कहा, ‘अगर आप सर्वश्रेष्ठ नहीं होना चाहते तो प्रतिस्पर्धा करने का कोई मतलब नहीं. मैं खुद को सर्वश्रेष्ठ बनाना चाहता था और फिर खेल के प्रति रवैये में भी बदलाव हुआ.’
Source : News Nation Bureau