अपने ऊपर लगे मजहबी भेदभाव के आरोपों के बाद अब पूर्व क्रिकेटर वसीम जाफर ने एक एक कर सबका जवाब दिया है. वसीम जाफर ने अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज किया है. वसीम जाफर ने कहा है कि उनके ऊपर जो आरोप लगे हैं उनसे उन्हें काफी चोट पहुंची है. उन्होंने साफ किया कि जो कम्यूनल एंगल बनाया गया है, वह काफी दुखद है. उन्होंने कहा कि उन पर ये आरोप है कि वे इकबाल अब्दुल्ला समर्थन करते हैं और उन्हें कप्तान बनाना चाहते हैं, लेकिन ये सही नहीं है.
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पू्र्व क्रिकेटर वसीम जाफर ने कहा कि वे इकबाल अब्दुल्ला को नहीं बल्कि जय बिस्टा को कप्तान बनाना चाहते थे. लेकिन चयनकर्ताओं ने ही उन्हें अब्दुल्ला को कप्तान बनाने का सुझाव दिया था. उन्होंने कहा कि चयनकर्ता रिजवान शमशाद और बाकी चयनकर्ताओं ने कहा कि वे इकबाल अब्दुल्ला को कप्तान बनाएं. वे टीम के सीनियर खिलाड़ी हैं और आईपीएल भी खेल चुके हैं. इसके बाद उन्होंने उनका सुझाव मान लिया था. कुछ ही समय पहले वसीम जाफर को उत्तराखंड क्रिकेट टीम का कोच बनाया गया था जिसके लिए उनके साथ 45 लाख रुपये का करार किया गया. इससे पहले कुछ रिपोर्ट्स सामने आई थीं, जिसमें बताया गया है कि उत्तराखंड टीम के कोच बनाने के बाद से वसीम जाफर खिलाड़ियों को ट्रेनिंग की बजाए बजाय मजहबी पाठ पढ़ाने में जुट गए थे. पहले उन्होंने इक़बाल अब्दुल्ला को जबरदस्ती टीम का कप्तान बनाया और फिर उसके बाद उत्तराखंड की टीम का स्लोगन ‘राम भक्त हनुमान की जय’को बदल दिया. इन्हीं सब विवादों के कारण पूर्व टीम इंडिया के बल्लेबाज और कोच वसीम जाफर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
1. I recommended Jay Bista for captaincy not Iqbal but CAU officials favoured Iqbal.
2. I did not invite Maulavis
3. I resigned cos bias of selectors-secretary for non-deserving players
4. Team used to say a chant of Sikh community, I suggested we can say "Go Uttarakhand" #Facts https://t.co/8vZSisrDDl— Wasim Jaffer (@WasimJaffer14) February 10, 2021
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खबरों के अनुसार उत्तराखंड क्रिकेट संघ के सचिव महिम वर्मा और मुख्य सिलेक्टर रिजवान शमशाद के साथ विवाद होने के बाद जाफर ने इस्तीफा दिया. इसके अलावा अपने इस्तीफे में जाफर ने सचिव महिम वर्मा पर टीम में दखल देने के साथ कई आरोप लगाए हैं. दूसरी ओर महिम ने ही जाफर पर गंभीर आरोप लगाए और खुद पर लगे आरोपों को खारिज कर दिया. उत्तराखंड क्रिकेट का कहा कहना है कि जाफर टीम के अधिकारियों से लड़ाई करते थे बल्कि मजहबी गतिविधियों से टीम को तोड़ने का प्रयास कर रहे थे. महिम ने कहा कहना है कि वसीम जाफर घरेलू क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी थे इसलिए हम लोग उनका फैसला मानते थे लेकिन घरेलू टूर्नामेंट सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में टीम का प्रदर्शन बेदर खराब रहा और पांच में चार मैच टीम हार गई. इसके बाद उत्तराखंड क्रिकेट संघ ने विजय हजारे ट्रॉफी के लए टीम की घोषणा की और चंदेला को कप्तान बनाया गया और फिर जाफर नाराज हो गए और उन्होंने अगले दिन इस्तीपा दे दिया.
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अपने ऊपर लगे आरोपों के बाद वसीम जाफर ने ये भी कहा है कि वे प्रेक्टिस के दौरान मौलवियों को लेकर नहीं आए थे. बायो बबल में मौलबी आए थे और हमने नमाज पढ़ी. उन्होंने कहा कि देहरादून में कैंप के दौरान ही दो या तीन जुमे आए. मौलवियों को उन्होंने नहीं बुलाया. हम लोग कमरे में नमाज पढ़ते थे और जुमे के दिन मिलकर नमाज पढ़ते थे. वसीम जाफर ने ये भी कहा कि वे अपने अनुभव से उत्तराखंड के युवाओं को नए मुकाम पर ले जाना चाहते थे, लेकिन महिम वर्मा ने स्वतंत्रता नहीं दी, इसलिए वे ऐसा नहीं कर पाए. ऐसे हालात में उनका काम कर पाना संभव नहीं था, इसलिए उन्होंने इस्तीफा दे दिया. उन्होंने कहा कि एक बार सचिव महिम वर्मा ने उनसे सफेद गेंद और लाल गेंद के लिए अलग अलग टीमें बनाने की बात कही थी, लेकिन इस पर उन्होंने जवाब दिया था कि आपने क्रिकेट नहीं खेला है, खुद मैंने और रिजवान ने खेला है, इसलिए वे बात कर लेंगे.
Source : Sports Desk