क्रिकेट, ये एक शब्द नहीं भारत में जज्बात, धर्म, दिल और दिमाग सब माना जाता है। क्रिकेट की ऐसी दीवानगी आपको और किसी देश में देखने को मिलेगी जो भारत में देखने को मिलती है. आज का क्रिकेट भी फटाफट वाला हो गया है, 50 ओवर में 300-350 रन बनाना आम बात हो गया है, लेकिन पहले की क्रिकेट में ऐसा नहीं होता था. वैसे इक्का-दुक्का मौकों पर ही 80 और 90 के दशक में 300 का आंकड़ा पार होता था. अब कोई टीम 334 रन बनाए तो विरोधी टीम के ओपनर क्या करेंगे, आप कहेंगे ये क्या सवाल है, ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करेंगे और क्या विकल्प है उनके पास. चाहें हारे या जीते बल्बेबाज हर गेंद पर चौका-छक्का लगाने के बारे में सोचेंगे.
चलिए आपके सोचने के दायरे को और छोटा कर देते हैं, कि 60 ओवर में 334 रन का टारगेट मिले तो आपका जवाब होगा, हां चेस हो सकता है. लेकिन ओपनर्स को अच्छी और तेज शुरुआत देनी होगी. बात सही भी है लेकिन क्या आपको पता है कि इस कंडीशन में भी भारत का एक महान बल्लेबाज 174 गेंद खेलकर 36 रन बनाकर पवेलियन लौटा था, वह भी पूरे 60 ओवर खेलने के बाद अब बताते हैं कि कौन हैं ये महान बल्लेबाज, इस बल्लेबाज का नाम है सुनील गावस्कर, नाम सुनकर हैरान रह गए ना, आप क्या खुद गावस्कर को आज तक विश्वास नहीं हुआ कि वह इस तरह की पारी कैसे खेल सकते हैं.
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यह मैच 7 जून 1975 को लॉर्ड्स में खेला गया था, टू्र्नामेंट था प्रडेंशियल कप और सामने विरोधी था इंग्लैंड. इंग्लैंड ने पहले टॉस जीतकर बल्लेबाजी का फैसला किया और 60 ओवर में 4 विकेट नुकसान पर 334 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया. इस पारी में इंग्लैंड की तरफ से ओपनर डेविन एमिस ने 137 रन की पारी खेली थी.
इंग्लैंड से टीम इंडिया बड़े अंतर से हारी
अब एक कहावत है, दबाव में या तो निखर जाओ या बिखर जाओ, यहां शायद गावस्कर दोनों ही चीज में कंफ्यूज हो गए. वो ना तो आउट हुए और ना ही तेज रना बना पाए. 335 रन के टारगेट का पीछा करने उतरी टीम इंडिया की शुरुआत काफी धीमी रही. इस पारी में गावस्कर ने बार बार लगातार बड़े शॉट्स मारने की कोशिश की लेकिन वह हर बार असफल रहे. ये सिलसिला इतना लंबा चला कि इसमें 60 ओवर ही निकल गए. पारी की शुरुआत करने उतरे सुनील गावस्कर अंत तक आउट नहीं हुए. उन्होंने 174 गेंदों में केवल 36 रन ही बनाए और चौका लगाया केवल एक. गावस्कर की धीमी और कभी याद ना करने वाली पारी के कारण टीम इंडिया 60 ओवर में 3 विकेट के नुकसान पर 132 रन ही बना पाई और टीम इंडिया को 202 रन से हार झेलनी पड़ी.
अब गावस्कर ने क्यों ऐसी पारी खेली, यही सवाल आपके मन में है ना, उस समय टीम के मैनेजर रहे जी.एस रामचंद्र ने गावस्कर के धीमी बल्लेबाजी की शिकायत बोर्ड से भी की. रामचंद्र ने अपनी शिकायत मे कहा था कि गावस्कर की ऐसी बल्लेबाजी से टीम का मनोबल बिल्कुल नीचे गिरेगा और उनका कॉन्फिडेंस भी कम होगा. अब जितने मुंह उतनी बातें, कुछ लोगों ने कहा कि सुनील गावस्कर ने वनडे क्रिकेट के विरोध में ले पारी खेली, कईं लोगों का मानना था कि सुनील गावस्कर वनडे फॉर्मेट के शुरुआत से खिलाफ थे, हालांकि गावस्कर ने ऐसा कभी नहीं कहा.
खराब पारी खेलने को लेकर गावस्कार की हुई थी आलोचना
उस पारी के बाद सुनील गावस्कर की बहुत आलोचना हुई. मीडिया ने ही नहीं, उनके टीम के खिलाड़ी भी उनसे इस पारी के बाद नाराज थे. पूर्व भारतीय क्रिकेटर और उस मैच में सुनील गावस्कर के साथी रहे अंशुमन गायकवाड़ ने कहा था कि उस समय सच में हमें बिल्कुल समझ नहीं आ रहा कि आखिर हो क्या रहा है. हालांकि उन्होंने ये भी बताया कि उस पारी के बाद गावस्कर ने किसी से बात नहीं की और चुपचाप अकेले बैठ गए. सुनील गावस्कर ने इस पारी का जिक्र अपनी आत्मकथा “सनी डेज” में भी किया है, उन्होंने अपनी किताब में लिखा था कि वह पारी उनके क्रिकेट करियर का सबसे घटिया पारी थी. बैटिंग करते वक्त उन्होंने आउट होने की भरपूर कोशिश की लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था.
Source : Lakshya Sharma