NightWatchman Rule In Cricket : क्रिकेट नियमों से घिरा खेल है, जिसे जेन्टलमेन गेम भी कहा जाता है. आज हम ऐसे ही एक नियम के बारे में बताने वाले हैं, जो है नाइटवॉचमैन... भारत और इंग्लैंड के बीच खेली जा रही टेस्ट सीरीज के तीसरे मुकाबले के पहले दिन के खत्म होने पर जब सरफराज खान रन आउट हुए, तब टीम मैनेजमेंट ने कुलदीप यादव को बैटिंग के लिए भेजा, जो एक बल्लेबाज नहीं बल्कि गेंदबाज थे. वह बतौर नाइटवॉचमैन बनकर आए... तो आइए आपको आज नाइट वॉचमैन नियम के बारे में बताते हैं...
क्या होता है NightWatchman नियम?
NightWatchman का काम पिच पर जाकर गेंदें झेलना और खेल खत्म होते तक बिना विकेट गंवाए टिके रहने का होता है. उनके क्रीज पर आने का कोई नियम नहीं है. अमूमन जब डे-एंड पर लाइट कम होने लगती है. बल्लेबाज दिनभर खेलकर थक चुके होते हैं, तो ऐसे में अगले दिन उन्हें बैट्समैन फ्रेश माइंडसेट के साथ मैदान पर उतारने के लिए नाइटवॉचमैन को भेज दिया जाता है. कप्तान अक्सर अपने टॉप ऑर्डर को बचाने के लिए प्लेयर को उतारता है. एक तरह से ये अपने स्पेशलिस्ट बल्लेबाजों को बचाने का प्लान है.
नाइट वॉचमैन प्लेयर का पहली बार इस्तेमाल 3 मार्च 1971 को हुआ था, जब एक एनटेस्ट मैच में आस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के बीच नाइट मैच खेला गया था उस मैच में वेस्टइंडीज के ग्लेन टरनर पहले नाइट वॉचमैन बने थे. इसके बाद इस नियम का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बढ़ती हुई पॉपुलैरिटी के साथ होता गया और आजकल अक्सर आप मैच में अपने बल्लेबाज को फ्रेश स्टार्ट देने के लिए कप्तान और टीम मैनेजमेंट नाइटवॉटमैन का इस्तेमाल करते हैं. आपको बता दें, 1962 में लॉर्ड्स में पाकिस्तान और इंग्लैंड के बीच खेले गए मैच में NightWatchman के रूप में बल्लेबाजी करने आए नसीम-उल-घनी ने शतक लगाकर ये भी साबित कर दिया कि ये बल्लेबाज टाइम पास के लिए नहीं बल्कि स्कोर बनाने के लक्ष्य के साथ ही मैदान पर आते हैं.
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Source : Sports Desk