कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) ने देश का नेतृत्व करते हुए यह सुनिश्चित किया है कि फिटनेस के मुद्दे पर कोई कोताही नहीं बरती जाए. इसी नक्शेकदम पर चलते हुए जल्द ही भारतीय क्रिकेट प्रणाली में ऐसी व्यवस्था की जाएगी जिसमें राज्यों की टीमों को सीनियर टीम का अनुसरण करना होगा. इसका मकसद राज्य टीम और राष्ट्रीय टीम के बीच फिटनेस की खाई को कम करना है ताकि युवा खिलाड़ी आसानी से राज्य से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट प्रणाली में ढल सकें.
हाल ही में, बेंगलुरू में राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (NCA) में एक कार्यशाला आयोजित की गई, जहां भारतीय टीम के स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच शंकर बसु ने राज्य की कुछ टीमों के कोचों के साथ सत्र आयोजित किया. इस कार्यशाला में प्रशिक्षकों को शारीरिक और सामरिक प्रशिक्षण सहित विभिन्न परीक्षणों से गुजरना पड़ा.
एनसीए में इस कार्यशाला के दौरान भारत A टीम के कोच राहुल द्रविड़ और सीनियर टीम के क्षेत्ररक्षण कोच आर श्रीधर भी मौजूद थे.
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यह पता चला है कि बसु को एक व्यापक स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग प्रणाली का खाका तैयार किया है, जिसका बीसीसीआई (BCCI) की सभी इकाइयों के प्रशिक्षकों को निकट भविष्य में पालन करना पड़ सकता है.
बीसीसीआई (BCCI) के एक अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर बताया, 'यह अभी शुरुआती दौर में ही है, जिसमें बीसीसीआई (BCCI) प्रशिक्षण प्रणाली में एकरूपता लाना चाहता है. इसे दोनों नजरिए से देखा जा सकता है. एक तो इससे प्रथम श्रेणी के क्रिकेटर ज्यादा फिट होंगे और दूसरा प्रशिक्षकों को भी अपने स्तर को सुधारने का मौका मिलेगा.'
मौजूदा समय में विभिन्न टीमों की अपनी प्रशिक्षण प्रणाली है, जिसमें से कुछ ने यो-यो टेस्ट (Yo-Yo Test) को भी लागू किया है लेकिन यह राष्ट्रीय टीम की तरह जरूरी नहीं है जहां खिलाड़ियों को टीम में जगह पक्की करने के लिए कम से कम 16.1 अंक हासिल करना होता है.
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आईपीएल (IPL) में चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) के लिए शानदार प्रदर्शन करने वाले अंबाती रायुडू यो-यो टेस्ट में विफल होने के बाद पिछले साल इंग्लैंड दौरे की टीम से बाहर हो गए थे. इसके बाद बीसीसीआई (BCCI) इस मामले पर गंभीर हुआ है.
Source : PTI