पहलवान योगेश्वर दत्त ने विश्व कुश्ती से संन्यास लेने के पीछे अपने कारण के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि संन्यास लेने के मुश्किल फैसले के पीछे उनकी उम्मीद छिपी है जिसके अनुसार उन्हें यकीन है कि अगर वह अपने शिष्य बजरंग पूनिया के साथ मेहनत करेंगें तो पुनिया भारत के पहले पहलवान बन सकते हैं जो देश के लिए ओलंपिक्स में स्वर्ण पदक हासिल कर नाम रोशन करेंगे.
योगेश्वर ने कहा कि मैट से संन्यास लेने का फैसला मुश्किल नहीं था क्योंकि उनके पास बजरंग जैसा शिष्य था.
योगेश्वर ने कहा, ‘यह महत्वपूर्ण है कि बजरंग ओलिंपिक पदक के लिए तैयार रहे. वह अच्छे हैं लेकिन और भी बेहतर कर सकते हैं. मैं 2020 में भाग नहीं ले सकता इसलिए बेहतर यही है कि हम बजरंग की मदद करें. वह तोक्यो में स्वर्ण पदक के लिए प्रबल दावेदारों में एक होंगे.’
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गौरतलब है कि केडी जाधव और सुशील कुमार के बाद योगेश्वर ओलंपिक पदक -2012 लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक- जीतने वाले तीसरे भारतीय पहलवान हैं. योगेश्वर ने अपने सफल करियर में 2014 में कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स में गोल्ड पदक जीते थे.
उन्होंने कहा, ‘मेरा करियर अच्छा रहा. मैंने चार ओलिंपिक में भाग लिया. हमारे पहलवानों में बजरंग अच्छा कर रहे हैं और बेहतर हो सकता हैं. इसलिए मौका और सहयोग उन्हें देना अहम है.’
कुश्ती छोड़ने के फैसले पर योगेश्वर ने कहा, ‘अगर बजरंग नहीं होते तो मैं संन्यास नहीं लेता. मैं और स्पर्धाओं में भाग लेता और शायद एक वजन वर्ग ऊपर हो जाता लेकिन मुझे लगा कि यह सही फैसला है. वह अभी 24 साल के हैं. जूनियर स्तर से अपार प्रतिभा दिखा रहे हैं. मैं भारत के लोगों को अब बजरंग में योगेश्वर को देखना चाहता हूं. मेरा करियर लंबा रहा और मैं नहीं चाहता कि बजरंग इससे प्रभावित हों.’
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अपना 35वां जन्मदिन मना रहे हरियाणा के पहलवान ने कहा कि वह बजरंग को 2020 तोक्यो ओलिंपिक के लिए तैयार करने पर ध्यान लगाए हैं.
Source : News Nation Bureau